
Kishanganj: दोस्तों एक माता पिता अपने बच्चे के लिए हर संभव कोशिश करते हैं कि उनका बेटा अच्छे से अच्छा जीवन जी सकें। माता पिता खुद परेशानियों को झेल लेते हैं, परंतु अपने बच्चे के लिए वह हमेशा अच्छा ही सोचते हैं। माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छी तरह से पढ़ लिखकर नौकरी करें और अपना जीवन अच्छी तरह व्यतीत करें।
एक पिता अपने परिवार और अपने बच्चे को पालने के लिए कोई भी काम करने को तैयार होता है। फिर चाहे वह काम छोटा ही क्यों ना हो। सोशल मीडिया पर काफी सारे लोगों की सफलता की कहानी वायरल होती रहती है। उन कहानियों से हमेशा हमें यह सीख मिलती है कि हर व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां होती हैं, उन कठिनाइयों से लड़ते हुए जो सफल हुआ उस सफलता का मजा कुछ अलग ही होता है।
आज हम एक ऐसे आईएएस अधिकारी की सफलता की कहानी के विषय में जानेंगे, जिसके पिता ने गली गली मोहल्ले मोहल्ले भटकते हुए कपड़े बेचे और अपने बेटे को शिक्षित किया और परिवार पाला। आज उसी बेटे ने आईएएस बनकर अपने माता-पिता और शहर का नाम रोशन किया है।
आईएएस अधिकारी अनिल बसाक की सफलता की कहानी
दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से हम बात करेंगे बिहार के रहने वाले आईएएस अधिकारी अनिल बसाक (IAS Officer Anil Basak) की। अनिल बसाक एक मध्यम वर्गीय परिवार के बेटे हैं। अनिल के पिता एक गांव से दूसरे गांव दरवाजे दरवाजे जाकर कपड़े बेचते हैं और अपने परिवार को पालते हैं।
अनिल बसाक बिहार (Bihar) के किशनगंज (Kishanganj) इलाके के रहने वाले हैं। उन्होंने बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया तभी उन्होंने निर्णय लिया कि वह इस आर्थिक तंगी को दूर करके ही दम लेंगे। उनका सपना था कि वह कुछ ऐसा काम करें जिसमें देश की सेवा कर सके इसीलिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को चुना।
ऐसे तय किया आईएएस अधिकारी बनने का सफर
जानकारी के अनुसार अनिल बसाक चार बच्चों में दूसरे नंबर के बेटे है। उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा डामाडोल थी। उनके पिता फेरी लगाकर पैसे कमाते थे, जिस दिन अच्छा काम हो गया तो परिवार को भरपेट खाना मिलता था और जिस दिन व्यापार अच्छा नहीं हुआ उस दिन उनका ईश्वर ही मालिक होता था। परंतु अनिल ने इन परिस्थितियों को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
उन्होंने हर वक्त इस स्थिति से निकलने का प्रयास किया वे बताते हैं कि उन्होंने उनकी प्रारंभिक शिक्षा तो गांव से ही हुई, परंतु उसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चलेगा जहां उन्होंने वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली में दाखिला लिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी।
Anil Basak is one such person who has transformed himself and his family's life by becoming an #IAS.
Son of a hawker from Kishangarh in Bihar, Anil has secured the 45th rank in the Union Public Service Commission (#UPSC) Civil Services Examination (CSE) 2020. Proud moment 👏🏻👏🏻. pic.twitter.com/AHNAAAoRMC— Socio Story (@SocioStory) September 30, 2021
2 वर्ष के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और लगातार तैयारी करते रहे। वर्ष 2018 में उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कंप्लीट हो गई वे चाहते तो किसी अच्छी कंपनी में नौकरी कर सकते थे, परंतु उन्होंने नौकरी नहीं बल्कि यूपीएससी की तैयारी को अहम माना।
तीसरे प्रयास में पाई 45 वी रैंक
जानकारी के अनुसार अनिल ने दूसरे प्रयास में 616 वी रैंक हासिल की थी। जिसमें उन्हें आयकर आयुक्त की नौकरी प्राप्त हुई थी। परंतु उनका मन आईएएस अधिकारी में अटका हुआ था, इसीलिए उन्होंने एक बार फिर से प्रयास करने का फैसला लिया।
#योग्यता को #आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ती। सामान्य वर्ग से IAS बनें बिहार, किशनगंज के अनिल बसाक। वो भी 45वीं रैंक। #गरीबी का नारा महज #वामपंथी_झांसापट्टी है। जो मानसिक रूप से दुर्बल बनाता है समाज और मनुष्य को। #अभिनन्दन_अनिल
💐💐 pic.twitter.com/cwzdUEUlbc— सुमन्त (@sumantkabir) September 25, 2021
उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से उन्होंने आयकर आयुक्त की नौकरी ज्वाइन कर ली थी साथ में तीसरे प्रयास के लिए वे तैयारी कर रहे थे, उन्होंने तीसरे प्रयास में 45 वी रैंक हासिल करके आईएएस अधिकारी का पद हासिल कर लिया।
पूरे मोहल्ले में है खुशी का माहौल
अनिल बसाक जब आईएएस पद के लिए चयनित हुए तो उनके मोहल्ले में खुशी की लहर थी। अनिल बसाक के माता-पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। अनिल के पिता कहते हैं कि उन्हें काफी खुशी होती है कि जब लोग उन्हें अनिल का पिता कहकर बुलाते हैं।
Anil Basak AIR -45 pic.twitter.com/r09Yxe592V
— Ias World Official (@ias_world) January 8, 2022
वही अनिल की मां कहती है कि उनके बेटे ने काफी संघर्ष किया है। एक फेरी लगाने वाले व्यक्ति के बेटे की इस सफलता से यूपीएससी या अन्य परीक्षा के उम्मीदवार को यह सीख लेनी चाहिए कि सफलता के लिए केवल परिश्रम की जरूरत होती है। धन या फिर सुविधाओं के अभाव से लोगों को अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। मेहनत करनी चाहिए 1 दिन सफलता हासिल जरूर होती है।