Delhi: गरीबी और अभाव जैसी दीवार को तोड़ने का साहस केवल मेहनत करने वाले व्यक्ति के हाथों में होता है। दोस्तों दुनिया में कई ऐसे परिवार है, जिन्हे दो वक्त का खाना भी नही मिल पता, ऐसे में उस परिवार के बच्चे उच्च शिक्षा तो दूर प्राथमिक शिक्षा भी नही ले पाते। शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जो गरीबी से निकाल कर एक सभ्य समाज का निर्माण करता है। गरीब तबके के लोग पढ़ाई को ज्यादा वैल्यू देते है।
आज हम एक पियूष झा की बात करेंगे, जिन्होंने 100 परसेंटाइल ला कर लोगों को चौका दिया। जी हां दोस्तों ये वही लड़का है, जिसने मुसीबतों को अपनी मंजिल बनाई और आगे बढ़ता रहा। गरीबी की जंजीर तोड़ अभाव का रोना रोए बिना वो मुकाम हासिल की है की लोग उसकी तारीफ करते हुए नही तक रहे। चलिए अब हम इस लड़के के बारे में जान लेते है।
कोन है पियूष झा
19 वर्षीय पियूष झा (Piyush Jha) दिल्ली के नांगलोई में अपने परिवार के साथ रहते है। वे एक मिडिल क्लास फैमिली से तालुक रखते है। उनके पिता सिक्योरिटी गार्ड (Father Security Guard) है और मां एक ग्रहणी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम विहार के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से की। गरीबी जरूर है लेकिन उनका लक्ष्य निश्चित था।
कक्षा 12 वी में उन्होंने 89 प्रतिशत अंक हासिल किए और इसके बाद वे NEET की पढ़ाई में लग गए। उन्होंने किसी बड़े इस्टीट्यूड में पढ़ाई नही की सेल्फ स्टडी के बल पर NEET परीक्षा ना केवल क्रैक की बल्कि ऑल इंडिया टॉप भी किया।
सरकारी स्कूल के बालक और 88 वी रैंक
मीडिया से बात करते हुए पियूष बताते है की उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई एक सरकारी स्कूल में की है। वे कहते है लोग सरकारी नोकरी करते है, लेकिन सरकारी स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ाना नही चाहते। लेकिन आज पियूष ने दिल्ली (Delhi) के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके 3 साल तक निरंतर NEET की तैयारी करके सफलता हासिल की।
720 में से पियूष को 706 अंक प्राप्त हुए इसी के साथ उन्होंने ऑल इंडिया 88 वी रेंक हासिल की और EWS रेंक में 8 वा स्थान प्राप्त किया। पियूष AIIMS से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई करना चाहते थे। इसी के साथ उनका सपना पूरा हुआ।
एक हादसा मेडिकल फील्ड का कारण बना
पियूष से जब पूछा गया कि मेडिकल फील्ड हो क्यों चुना, इंजीनियर और बैंकिंग सेक्टर में भी जॉब कर सकते थे? तब पियूष कहते है जब भी कक्षा दसवीं में थे, तब कैंसर की वजह से उनके मां की मृत्यु हो गई थी। इसीलिए इस दिन से ही डिसाइड कर लिया कि अब मेडिकल फील्ड में ही अपना कैरियर बनाना है।
NEET के पहले प्रयास में तबीयत खराब हो जाने के कारण वह अपना प्रदर्शन ठीक तरह से नहीं कर सके। सेकंड प्रयास में ऑनलाइन कोचिंग लेने के बावजूद भी NEET की परीक्षा प्राप्त नहीं कर सके, लेकिन उन्हें भरोसा था कि वह एक दिन इस परीक्षा को क्रैक कर अपना और अपने माता-पिता का सपना पूरा कर सकेंगे। तीसरी प्रयास में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की।
शिक्षकों को बताया अपना आदर्श
पीयूष कहते हैं कि उसके स्कूल की टीचर्स ने उसकी काफी ज्यादा मदद की। टीचर्स के कारण ही उन्होंने साइंस विषय को अपना फेवरेट सब्जेक्ट बनाया और बिना बोरियत महसूस किए पढ़ाई में लग गए। पियूष के चाचा ने भी उनका हौसला बढ़ाया।
उन्होंने NEET की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों से अपने सब्जेक्ट को फेवरेट बना कर पढ़ने की हिद्यायत दी है। दिल्ली के ‘राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय’ के पियूष झा के साथ इस वर्ष सरकारी स्कूलों के 1074 स्टूडेंट्स ने भी NEET परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। इनमें 695 लड़कियां हैं और 379 लड़के है। लड़कियों ने साबित कर दिया की वे भी किसी से कम नहीं है।