
Kohima: भारत एक कृषि प्रधान देश है और अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है। भारत एक ऐसा देश है, जहां परंपरा संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता देखने मिलेगी। अभी भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है, यहां पर लगभग 7 लाख गांव है, जो अपनी मुख्ता के लिए जाने जाते हैं।
किताबों और कहानियों में सुनी भारत की संस्कृति सभ्यता और परंपरा को आप स्वयं इन गांव में महसूस कर सकेंगे। भारत के गांव को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है, लोग विदेश से यहां की परंपरा देखने के लिए आते हैं।
भारत कृषि प्रधान देश है, तो यहां पर आप हरियाली से भरे खेत देखेंगे, जहां अनाज की उपज होती है और इसी अनाज से लोगों का पेट भरता है, साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। लेकिन भारत में एक ऐसा गांव भी है, जिसे ग्रीन विलेज (Green Village) के नाम से जाना जाता है। इस गांव के हरे-भरे मैदान यहां की पहचान है और खूबसूरती ऐसी के लोग यहां बसना चाहे। तो चलिए दोस्तों इस गांव के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कहा है ये गांव
हरे भरे मैदानो से बना भारत का यह गांव दुनिया के कोने-कोने में प्रसिद्ध है, लोग यहां हरियाली के बीच में कुछ क्वालिटी समय बिताने के लिए भी आते हैं। जी हां यह गांव भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में शामिल नागालैंड से 20 किलोमीटर की दूरी पर भारत-म्यांमार की सीमा पर स्थित है। इस गांव का नाम खोनोमा (Khonoma Village) है, जो हरियाली के लिए जाना जाता है।

भारत देश में प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या चरम पर है, इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली है वायु प्रदूषण के कारण लोग खुली हवा में सांस नही ले पा रहे। खोमोना देश के प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को बैलेंस करता है। इस गांव को योद्धा गांव भी कहा जाता है, इसका इतिहास वीर रस से भरा हुआ है।
क्यों कहा जाता है इसे ग्रीन वैलेज
भारत देश में ऐसे कई गांव है, जो अपनी हरियाली के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह गांव बेहद खास है। क्योंकि इस गांव में कुछ ऐसा हुआ था, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। जानकारी के अनुसार पहले यह गांव शिकार करने के लिए जाना जाता था।
Cultural programme at Khonoma Village, #Nagaland organised as part of #ParyatanParv 2018 #IncredibleIndia pic.twitter.com/n1mNFrziVx
— Incredible!ndia (@incredibleindia) September 20, 2018
शिकारी यहां पर जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए आते थे। लेकिन इस गांव में अंगमी आदिवासी (Angami Tribe) निवास करते है, इनके होने से न इस गांव में वनों की कटाई होती है और ना ही पशुओं का शिकार। इन आदिवासियों ने शिकारी और वन काटने वालों से काफी लंबी लड़ाई लड़ी फलस्वरूप 90 के दशक से सरकार को शिकार करने और वन काटने पर रोक लगानी पड़ी।
ऐतिहासिक खोनोनोमा युद्ध
ग्रीन विलेज खोनोमा अंगमी आदिवासियों का घर है, ये जनजाति अपनी बहादुरी और मार्शल आर्ट्स कौशल के लिए प्रसिद्ध है। यहां के आदिवासियों ने कई साल पहले सतत विकास के सिद्धांत को अपना लिया था। बताया जाता है कि लगभग 100 वर्ष पहले यहां के लोगों ने अंग्रेजों से नाक से चने चबवा लिए थे।
उस समय कोई आधुनिक हथियार नहीं हुआ करते थे, लेकिन अपनी मार्शल आर्ट की वजह से यहां की जनजाति ने अंग्रेजों को धूल चटाई थी। जब अंग्रेजों ने नागालैंड पर हमला किया था, तो अंगामी जनजाति ने अपनी रणनीति से अंग्रेजों का काफी बड़ा नुकसान किया था, साथ ही 1830 से 1880 तक यहां पर कोई भी अंग्रेज अपना अधिपत कायम नहीं कर सका। लेकिन बाद में अंग्रेज शासन यहां कायम हुआ, लेकिन अंगमि जनजाति ने अपना स्वर्णिम इतिहास रचा।
वनों की कटाई परंपरा का हिस्सा थी
वर्ष 1998 से इस गांव में कोई भी व्यक्ति ना शिकार करता है और ना ही वृक्ष काटता है, जबकि उनका जीवन और गुजर बसर वनों की कटाई और शिकार करके ही होता था। ऐसा कहा जाता है की ये आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा रहा है।
No, this is not Indonesia or Thailand.
This is our very own Khonoma village, Nagaland.#Nagaland #Khonomavillage #incredienortheastindia #geetwashere pic.twitter.com/WqrwTI3Ym8— The Old Monk Lady (@geet_freebird) December 7, 2017
सरकार के द्वारा ही यहां बेन लगाया गया इसके बाद ही खोनोमा का जंगल और 20 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्र को गांव की पंचायत ने ‘खोनोमा नेचर कंज़रवेशन एंड त्रगोपन सैंक्चुअरी’ (Khonoma Nature Conservation and Tragopan Sanctuary) का नाम दिया है। ये परिवर्तन एक घटना के बाद आया।
Khonoma Village in Nagaland is the first Green Village in Asia. Watch Report by @neerajddnews @tourismgoi pic.twitter.com/PrapD1g35z
— DD News (@DDNewslive) February 28, 2023
एक बार गांव वालों ने हंटिंग कॉम्पीटीशन के चलते एक हफ़्ते में ही करीब 300 विलुप्त होने की कगार पर खड़े Blyth’s Tragopan की हत्या कर दी। जिससे गांव के बुजुर्गों को यह ठोस कदम उठाना पड़ा। तब से आज तक इस गांव में जीव और वन संरक्षण किया जा रहा है। लोग जरूरत के लिए लकड़ियां वृक्षों की टहनी से प्राप्त करते है। साथ ही यहां सैकड़ों पर्यटक आते है, जिनका स्वागत गांव वाले अपने अंदाज में करते है।