Nainital: कुछ समय पहले लोगों का मानना था कि अनपढ़ लोग खेती किसानी करते हैं, परंतु आज का दौर यह है कि पढ़ा-लिखा वेल एजुकेटेड आदमी खेती किसानी के मैदान में उतर रहा है। पहले के समय में लोग भले ही पढ़े-लिखे नहीं हुआ करते थे, परंतु उन्हें पैसे कैसे कमाते हैं, इसका तरीका वह बहुत अच्छी तरह जानते थे, जिसके चलते उन्होंने खेती किसानी से अपना परिवार पाला।
वर्तमान समय में कृषि विज्ञान आज की युवा पीढ़ी के लिए वरदान साबित हो रहा है। कृषि विज्ञान के जानने वाले लोगों ने कृषि को एक नया स्वरूप दिया है। आज का युवा कृषि को आधुनिक तरीके से करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहा है। भारत में कृषि को व्यापार की रीढ़ माना जाता है।
पहले के समय में लोग पारंपरिक खेती करते थे खाद उर्वरक के नाम पर यूरिया और रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करते थे जिससे उर्वरक भूमि कठोर हो गई और अनाज की उपज कम होने लगी, इस स्थिति से लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा पारंपरिक खेती से मुनाफा कमाना काफी मुश्किल हो गया था।
जागी आधुनिक खेती की लहर
अब आधुनिक खेती का जन्म हुआ जिसमें आज का युवा जैविक खाद का इस्तेमाल कर और नगदी फसल लगाकर लाखों करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा है। उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत आने वाला नैनीताल (Nainital) के राजीव भास्कर (Rajeev Bhaskar) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बीज कंपनी में नौकरी करते थे।
इस बीच कंपनी ने उन्हें खेती पाती से संबंधित ढेरों अनुभव दिए। इस अनुभव के बिहाव पर उन्होंने खुद का व्यापार और खेती प्रारंभ की फल स्वरूप वह एक सफल उद्यमी और कृषक बने। राजीव बताते हैं कि उन्होंने कभी इस विषय पर कोई विचार नहीं किया वह पिछले 4 वर्षों तक वीएनआर सीड्स कंपनी की सेल्स और मार्केटिंग टीम के साथ टीमवर्क करते रहे।
अपने काम के दौरान वे देश के अलग-अलग हिस्सों के किसानों से मिले और कृषि के दांवपेच को समझा जिसके बाद उनका रुझान भी किसानी की तरफ दिखने लगा। इसके बाद उन्होंने खेती करना प्रारंभ किया और आज वे सफल कृषक बन करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।
थाई अमरूद की खेती को बनाया आय का जरिया
राजीव भास्कर कृषि विज्ञान के ही छात्र हैं, उन्होंने कृषि विज्ञान से अपना स्नातक पूरा किया और सीड कंपनी को ज्वाइन कर लिया। जब वे स्नातक कर रहे थे। उसके बाद जॉब करने लगे तब तक उनके दिमाग में खेती किसानी को पेशे के तौर पर करना नहीं था।
उन्होंने मार्केटिंग को समझने के लिए एमबीए भी किया। परंतु जैसे-जैसे वे सीड कंपनी में जॉब के माध्यम से अनुभव ले रहे थे वैसे वैसे उनकी रूचि कृषि में बढ़ने लगी। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न एक बार कृषि को भी मौका दिया जाए और वह कृषि करने लगे। उन्होंने कृषि के लिए अमरूद के फल को चुना।
वे खेती प्रारंभ करने से पूर्व उन किसानों से भी मिले जिनसे वे कृषि के लिए प्रेरित हुए। उनसे दोबारा मार्गदर्शन लिया। राजीव ने हरियाणा (Haryana) के पंचकुला गांव में 5 एकड़ जमीन किराए पर ली और उस जमीन पर थाई अमरूद की खेती प्रारंभ की। वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और ‘अवशेष मुक्त’ याने रेसिड्यू फ्री खेती के पैटर्न पर अपनी खेती प्रारंभ की।
एक करोड़ रुपए कमाते हैं साल का
राजीव भास्कर का व्यापार दिन दुगना रात चौगुना बढ़ रहा है। उन्होंने अपनी कृषि की शुरुआत मात्र 5 एकड़ जमीन से शुरू की थी और आज वे 25 एकड़ जमीन में थाई अमरूद (Thai Amrood) के वृक्ष लगाकर थाई अमरूद का व्यापार (Thai Guava Business) कर रहे हैं। राजीव ने 25 एकड़ जमीन पर 12000 वृक्ष लगाए हैं, जिसमें वह 6 लाख RS प्रति एकड़ कमाते हैं। 25 एकड़ जमीन में 600000 के हिसाब से 10000000 रुपए एक सीजन में कमाते हैं।
राजीव बताते हैं कि वह अपने व्यापार को लेकर काफी असमंजस में थे, क्योंकि वह काफी अच्छी जॉब कर रहे थे, उसे छोड़कर किसानी करना उन्हें आसान नहीं लग रहा था। फिर उन्हें एक थाई अमरूद किसान ने 5 एकड़ जमीन पंचकूला में किराए पर देने की बात कही। तब उन्होंने नौकरी छोड़ कर पूरे समय खेती करने का विचार बना लिया।
अमरूद के वृक्ष की कटाई करने का तरीका
राजीव भास्कर बताते हैं कि वैसे तो अमरूद के वृक्ष को वर्ष में दो बार काटा जाता है। एक बार बरसात के मौसम में और एक बार सर्दियों के मौसम में, परंतु राजीव अमरूद की अन्य वैरायटी और उनके विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए मात्र बरसात के मौसम में अमरूद के वृक्ष की कटाई करते हैं।
उसके बाद वे अमरूद के वृक्ष को पूरे 1 साल के लिए ऐसे ही छोड़ देते हैं। राजीव अपने अमरूद के फलों को दिल्ली एमपीएससी बाजार में 10 किलो के डब्बे में पैक करके बेचते हैं। मौसम के अनुसार फलों की क्वालिटी को देखते हुए क्रेता 40 रुपए से 100 रुपए तक राजीव को किलोग्राम के हिसाब से देते हैं।