Sonipat: वर्तमान समय में काफी शिक्षित और होनहार विद्यार्थी कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हजारों वर्ष पहले से चला आ रहा रोजगार का मजबूत साधन कृषि को माना गया है।
वर्तमान समय में भारत का 75 प्रतिशत युवा खेती-किसानी के बदौलत अपना जीवन चला पा रहा है। समय के साथ खेती और अन्य पारंपरिक फसलों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। आज से कुछ वर्षों पहले हर घर में अनाजों का भंडार लगा होता था, परंतु धीरे-धीरे जमीन ने अपनी उर्वरक शक्ति को खो दिया है, फल स्वरूप अब किसान पारंपरिक खेती से अपना जीवन काफी मुश्किलों से चला पा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि कई किसान नुकसान होने पर आत्महत्या जैसा घातक कदम भी उठा लेते हैं। इसीलिए कृषि विज्ञान के क्षेत्र में काफी तरक्की देखने मिल रही है। आज का युवा ठंडे इलाकों में भी उगने वाली चीजों को भारत में तकनीकों के माध्यम से उगा रहा है।
हरियाणा के बेटे की सफलता की कहानी
हरियाणा (Haryana) राज्य के अंतर्गत आने वाला सोनीपत (Sonipat) जिला का गांव चिटाना का निवासी अंकित कौशिक (Ankit Kaushik) खेती किसानी से लाखों रुपए कमा रहा है। अंकित कौशिक के पिता पेशे से डॉक्टर हैं, इसीलिए कहते हैं एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ही बनता है, क्योंकि बेटा अपने पिता के नक्शे कदम चलता है, परंतु हम देख सकते हैं कि अंकित कौशिक ने अपने पिता के पेशे को ना चुनकर स्वयं का एक पेशा बनाया। आज वह एक सफल किसान है।
अंकित ने आधुनिक खेती को बढ़ावा देते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) करना प्रारंभ किया और 5 वर्षों में उन्होंने अपने कारोबार को इतना बढ़ाया कि वह 1 वर्ष का 500000 RS कमाते हैं। अंकित ने यूट्यूब के माध्यम से स्ट्रॉबेरी की खेती को विस्तार पूर्वक समझा और अच्छी तरह मेहनत करके सफलता प्राप्त की।
अन्य किसान अंकित से हुए प्रेरित
अंकित की सफलता ने उनके क्षेत्र के कई किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा आधुनिक खेती और जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया। किसानों ने जाना की परंपरागत खेती में वे उतना लाभ नहीं कर सकते जितना नगदी फसलों से वे कमा सकते हैं।
अंकित कौशिक ने खेती से संबंधित ढेरों जानकारियां यूट्यूब के माध्यम से जुटाए हैं और किसानों को भी अपने ज्ञान से खेती के लिए मार्गदर्शन करते हैं। अंकित बताते हैं कि उनके पिता डॉक्टर है, सोनीपत के गोहाना अड्डे पर कौशिक डेंटल क्लीनिक है जिस के संचालक उनके पिता है।
इसके साथ ही उनके पिता मशरूम की खेती (Mushroom Farming) करते थे। खेती की प्रेरणा उन्हें उनके पिता से ही मिली अंकित खेती किसानी तो करना चाहते थे, परंतु परंपरागत तरीके से नहीं बल्कि आधुनिक और जैविक तरीके से। वे चाहते थे कि कुछ इस तरह से खेती करें की उनकी लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो।
4 एकड़ जमीन पर करते हैं खेती
अंकित ने अपनी खेती की शुरुआत स्ट्रॉबेरी की फसल से की अपनी जानकारी को और मजबूत करने के लिए उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया और अपनी खेती प्रारंभ की। अंकित 4 एकड़ खेती किराए से खरीद कर उसमें स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। वे 4 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी के साथ मशरूम और अन्य फसलों की भी खेती करते हैं।
अंकित बताते हैं कि उन्हें केवल स्ट्रॉबेरी की फसल से ही साल का 500000 RS का मुनाफा होता है और अन्य फसलों से भी अलग कमाई करते हैं। सर्दियों के मौसम में स्ट्रॉबेरी काफी ज्यादा फलती है, इन 4 महीनों में वे अपने साल भर की कमाई पूरी कर लेते हैं। फलों को डब्बा में पैक कर दिल्ली के आजादपुर फल और सब्जी मंडी में भिजवा दी जाती है।
महाराष्ट्र से लाते स्ट्रॉबेरी के पौधे
अंकित बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी के पौधे महाराष्ट्र के पुणे से लेकर आते हैं, वहां पर यह पौधे 8 से 10 RS पर पौधा मिलता है। साथ ही ट्रांसपोर्ट चार्ज अलग होता है। 1 एकड़ जमीन में करीब 30 से 32 पौधों का रोपण किया जाता है। 1 एकड़ जमीन के लिए 300 से 320 रुपए केवल पौधों को खरीदने में खर्च होते हैं।
अंकित बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ज्यादा लागत की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि इस फसल में लागत से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। अंकित को देखकर अन्य किसानों ने भी परंपरागत खेती को छोड़ स्ट्रॉबेरी खेती करना प्रारंभ किया। जहां परंपरागत खेतिया 6 माह में पैसे देती है, वही स्ट्रॉबेरी की खेती दिन-प्रतिदिन पैसे देती है, इसीलिए शहरों के लोग भी गांव आकर किराए से खेती लेकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।