Khunti: हर किसी को एक परफेक्ट लाइफ नहीं मिलती। लोग अपनी लाइफ धीरे-धीरे पर्फेक्ट बनाते हैं। यदि व्यक्ति खुद के घर में है और दो वक्त आराम से खाना खा रहा है, तो वह व्यक्ति काफी अमीर है, क्योंकि दुनिया में ऐसे भी ढेर सारे लोग हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी और घर का छत नसीब नहीं होता।
दुनिया में ढेरों लोग ऐसे हैं, जो कई कई दिनों तक भूखे हैं या फिर सुबह कमाते हैं और शाम खाते हैं। इसके साथ ही ढेरों बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपना जीवन अनाथालय (Orphanage) में गुजारा है और गुजार रहे हैं। ऐसे भी बच्चे हैं जो शिक्षा से काफी दूर है और भीख मांग कर अपना गुजारा करने पर मजबूर है।
बड़े-बड़े शहरों में देखा गया है कि फुटपाथ पर या चौराहे पर छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हुए नजर आते हैं। जो बच्चे अनाथालय में पले होते हैं, उन्हें कभी माता-पिता का प्यार नहीं मिला होता, परंतु अनाथालय में भी वे काफी अच्छा जीवन जी लेते हैं, फुटपाथ से तो काफी अच्छा। आज की कहानी ऐसी बेटी की है जिसने अनाथालय में रहकर शिक्षा प्राप्त की और आज आईआईटियन (IITian) है।
जाने कोन है एलिशा हासा
आपको बता दें एलिशा हासा (Elisha Hasa) झारखंड (Jharkhand) राज्य के अंतर्गत आने वाले खूंटी (Khunti) के एक अनाथालय में पली-बढ़ी हैं। इस दुनिया में जब उन्होंने आप खोलिए तब से अब तक उन्होंने अपना जीवन अनाथालय में गुजारा है।
अनाथालय से ही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। वे एक सरकारी स्कूल में पढ़ी है और हाल ही में उन्होंने जेईई की मुख्य परीक्षा पास की है। अब उनका अगला टारगेट आईआईटी की एडवांस परीक्षा है।
बताया जा रहा है कि एलिशा हासा एक अनाथ आदिवासी लड़की हैं, जिन्होंने कभी ठीक तरह से हिंदी तक नहीं बड़ी आज भी आईआईटी की परीक्षा में सफल हुई है। दोस्तों जेईई की परीक्षा भारत की कठिन परीक्षा में से एक है जिसमें चुनिंदा लोग ही चुने जाते है।
सपनों की उड़ान कार्यक्रम में दिए पंख
अलीशा की कहानी काफी दुख भरी है। यह कहती है कि 9 वर्ष की उम्र में उनकी माता पिता इस दुनिया से चले गए जिसके बाद उनका ख्याल रखने वाला कोई नहीं था इसीलिए उन्हें एक अनाथालय में रहना पड़ा। अनाथालय से उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कालामाटी खूंटी में वर्ष 2015 से शिक्षा लेना प्राप्त किया। स्कूल जाने और शिक्षा प्राप्त करने से उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।
स्कूल के माध्यम से ही उन्होंने सपनों की उड़ान कार्यक्रम के बारे में जाना। यही वह कार्यक्रम है, जिसमें उनके सपनों को उड़ान मिली। एलीशा ने दिन रात एक कर के पढ़ाई की दुर्भाग्य से उन्हें पिछले वर्ष सफलता प्राप्त नहीं हुई, परंतु इस वर्ष उन्होंने एसटी कैटेगरी से ऑल इंडिया में 1788 वी रैंक हासिल की।
जाने सपनों की उड़ान योजना के बारे में
दोस्तों आपको बता दे सपनों की उड़ान योजना भारत सरकार द्वारा गरीब एससी एसटी मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए शुरू की गई है। जिसमें उन छात्रों को इंजीनियर और मेडिकल की कोचिंग दी जाती है। इस योजना की मदद से ढेरों छात्र-छात्राओं ने अपने सपनों को साकार किया है।
इसकी शुरुआत आईआईटी के छात्र रह चुके खूंटी के एक विद्यार्थी जिनका नाम शशि रंजन है, उन्होंने छात्रों की मदद के लिए इस योजना की शुरुआत की है। शिक्षा काफी ज्यादा महंगी हो गई है। हर छात्र इतना अफोर्ट नहीं कर सकता इसके लिए सरकार द्वारा तरह-तरह की योजनाएं चला रही हैं जिससे योग्य बच्चों को प्लेटफार्म मिल सके।
झारखंड सरकार ने उठाया बीड़ा
बताया जा रहा है कि झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उन लड़कियों की मदद के लिए आगे आ रही है जो गरीब है और शिक्षा के काबिल है। अलीशा नए मेंस की परीक्षा पास कर ली है, अब वह एडवांस की तैयारी कर रहे हैं, इसीलिए झारखंड के मुख्यमंत्री का कहना है कि वे जेई मेंस पास कर चुकी हर छात्रा की मदद करेंगे।
उनका कहना है कि उनके राज्य में काफी ज्यादा गरीब परिवार है, जो महंगी से महंगी शिक्षा का खर्चा नहीं उठा सकते फल स्वरूप उन छात्रों की प्रतिभा और सपने दब जाते हैं, इसीलिए भारत सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है।