
Thiruvananthapuram: इसरो (ISRO) के महान वैज्ञानिकों ने कुछ ही समय पहले भारत की तरफ से चांद पर चंद्रयान 3 विक्रम लैंडर को सफलता पूर्वक लैंड कराया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश है, इस बात की खुशियां पूरे भारत वर्ष में मनाई गई। इसरो के वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि बेहद बड़ी और शानदार है।
इस मिशन के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की और उनकी मेहनत सफल हो गई। दोस्तों अकसर किसी बड़ी सफलता के बाद ही किसी व्यक्ति विशेष का काम नाम जग जाहिर होता है। आज हम इसरो के ही एक विज्ञानिक की बात करेंगे, जिसने मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और आज मेहनत के बलबूते पर एक उपलब्धि हासिल की।
जाने चंद्रयान 3 के बारे में
चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole Of Moon) में अपना झंडा स्थापित करने वाला इकलौता देश भारत है और चांद पर उतरने वाला भारत दुनिया जा चौथा देश बन गया है। सबसे पर चंद्रमा पर अमेरिका फिर रूस फिर चीन। अब चौथा स्थान पर भारत।
आपको बता दें 14 जुलाई को चंद्रयान लांच किया गया था और 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर लैंड किया था। भारत की इस उपलब्धि से इसरो के सभी वैज्ञानिक और देश की जनता सब में खुशी की लहर है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान 3 का उद्देश चहलकदमी और यथास्थान प्रयोग करना है। चांद पर पानी की तलास और मानव जीवन संभव है या नही इसकी खोज भी इसमें शामिल है।
चांद पर भारत के उदय होने में दिया योगदान
दोस्तों हम बात करेंगे एक अहम शक्श की जिसने देश की उपलब्धि में अपना साथ दिया। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे है, इसरो के वैज्ञानिक भरत की जिन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और इसरो तक पहुंचने में सफल हुए। एक छोटे से शहर की प्रतिभा आज पूरे देश में अपना परचम लहरा रही है।
लोगों को सुनने में सब कुछ बहुत आसान लगता है, लेकिन भरत का संघर्ष बहुत ज्यादा था। बेटे की कामयाबी पर पिता के चंद्रमौलेश्वर मां के वनजाझी की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था। अपने शहर का नाम रोशन करने वाले भरत ने चांद पर भारत उदय करने में जी जान से मेहनत की।
Congratulations India 🇮🇳
Thanks you ISRO @isro 🔥#Chandrayaan3 pic.twitter.com/pQjIbsTnmj— Bharat Kumar 🇮🇳 (@bharatgurjar_98) August 23, 2023
चंद्रयान 3 मिशन में युवाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण रही। इस मिशन में देश के कोने-कोने से आए युवा शामिल रहे, जिसमे छतीसगढ़ के दुर्ग जिले के होनहार भरत भी आते है। उन्होंने अपने मेहनत और प्रतिभा के दम पर इसरो में नौकरी हासिल।
जाने युवा भरत की कहानी
जानकारी के अनुसार भरत कुमार (Bharat Kumar) इसरो में मेकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने कक्षा 12 वी की पढ़ाई चरोदा बीएमवाय स्थित केंद्रीय विद्यालय से की। वे बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहे है। फिजिक्स में 99, केमिस्ट्री में 98 और गणित में 99 अंक लाकर टॉप किया।
इसके बाद उन्होंने आईआईटी (IIT) में दाखिला लेने के लिए परीक्षा दी और वे एक बार में ही पास हो गए। फिर उन्होंने आईआईटी धनवाद में मेकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering) के लिए प्रवेश लिया और अपनी शिक्षा पूरी की। आईआईटी में भी उन्होंने टॉप किया, इसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया गया था। आखरी सेमेस्टर के दौरान उनका कैंपस सिलेक्शन इसरो में हुआ।
जाने भरत के संघर्ष के बारे में
भरत एक मिडिल क्लास परिवार से विलॉन्ग करते थे। उनका पूरा परिवार कच्चे मकान में रह कर गुजारा कर रहे थे। उनके माता पिता दोनो केबिन में टपरानुमा होटल (ठेला) चलाते थे। इसके बाद भरत के पिता जी एक बैंक में गार्ड की नौकरी करने लगे तो उनकी मां ने हो अकेले होटल चलाने लगी।
Meet K. Bharat Kumar a son of a bank security gaurd. From Tea selling with mother at a small town in chhattisgarh, to gold medalist at IIT Dhanbad, then to ISRO and now in important role for Chandrayaan 3 execution. Thanks to his parents and teachers for support throughout 🙏 pic.twitter.com/GEpvLM4IB4
— Dr. Gaurav Kumar (@gauravkumar_bhu) August 25, 2023
भरत अपने परिवार की बड़ी संतान है, इसलिए माता पिता की तकलीफ उन्हें मिटानी थी। एक समय उन्होंने होटल में प्लेट भी धोई है। इसरो में आने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपना घर कांस्ट्रेक्ट करवाया और फिर माता पिता को काम करने से मना किया।
आर्थिक स्थिति के चलते भरत अपनी पढ़ाई को करने में असमर्थ था। इस समय दो परिवारों ने उनकी भगवान की तरह मदद की। एक परिवार रायपुर के रामदास जोगलेकर और दूसरा उनके साडू भाई अरुण थे, जिन्होंने भरत की कामयाबी पर एक अहम रोल प्ले किया है।