Alwar: राजस्थान की अगर बात की जाए तो यह राज्य ब्लॉक प्रिंटिंग शैली (Ancient Dabu Printing Style) के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र बन चुका है। यहा यह शैली बहुत ही प्राचीन काल से चली आ रही है। इसे प्रिंटिंग की कला के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है।
बता दे कि इस राज्य में एक छोटा सा गाँव है अकोला। यहा यह अनोखी ब्लाक प्रिंटिंग शैली सदियों से प्रचलित है। जिसे डब्बू कहा जाता है। कहते है कि आसमान जैसे जैसे दिन में रंग बदलता है, ठीक वैसे ही यह भी आसमान के रंगों की कापी करता है। यानि जैसे कि दिन का नीला, सुर्यास्त का लाल और रात का इंडिगो रंग।
इस ब्लाक प्रिंटिंग कला की शुरुआत किसने की और कैसे हुई। यह वार्तालाप लोगो के बीच होते ही रहती है। इस पर सबकी बहस चलती रहती है। इस बहस मे कुछ लोग यह कहते हैं कि इसकी शुरुआत रेगिस्तानी जगहो से हुई है।
कुछ लोगो का मानना है कि यह 675 ईस्वी मे चीन से आई थी। परंतु इस कला का केन्द्र वर्तमान समय में अकोला बन गया है। जहा इसमे शानदार व एक से बढ़कर एक डिजाइन तैयार करने के लिए जैविक सामग्री जो कि जमीन से प्राप्त होती हैं का उपयोग करते है।
बता दे कि इस ब्लाक प्रिंटिंग कला की टेक्नोलाजी मे एक अल्का नाम की महिला ने अपना अच्छा बिजनेस प्रारंभ किया। जिससे उस महिला की इस व्यवसाय मे सालाना 3 करोड रुपए कमाई हो रही हैं। आइए इस पोस्ट से जानते हैं कि इस ब्लाक प्रिंटिंग कला से इस महिला ने कैसे अपना बिजनेस शुरू किया।
अन्य केन्द्रो मे से अकोला ही इस कला के लिए रह गया है एक केन्द्र
बताया जाता है कि यह डब्बू प्रिंटिंग एक समय राजस्थान मे इस तरह से फ़ैली थीं कि राजस्थान इन्ही के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र बन चुका था। लेकिन वर्तमान के समय में अकोला ही एक ऐसा केन्द्र हैं, जो कुछ ही गिने चुने केंद्रों में से एक रह गया है।
कहते हैं कि इस तकनीक मे काम करने वाले श्रमिकों की सातवीं पीढ़ी आज भी यहा काम कर रही हैं। बता दे कि इस तकनीक को जो कोई भी यहा देखने के लिए लोग आते हैं। वह यहा के इंडिगो रंग और प्रकृति से उत्पादित रंग बिरंगी नजारो को देखकर उसकी ओर और अधिक आकर्षित हो जाते हैं।
बता दे कि अल्का शर्मा (Alka Sharma) जो कि अलवर (Alwar) की एक टेक्सटाइल डिजाइनर हैं, वह भी जब पहली बार वर्ष 2007 मे गाव मे गई तो उन्होने भी इस तकनीक की कला को ठीक इसी तरह फ़िल किया था।
अल्का शर्मा ने अपने ग्रेजुएशन मे किया है टेक्सटाइल डिजाइनिन्ग की पढ़ाई
बता दे कि अल्का शर्मा ने 2003 मे अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई मे टेक्सटाइल डिजाइनिंग का कोर्स किया है। उन्होने अधिकतर राजस्थान (Rajasthan) के अकोला गाँव के बारे में सुना था। जो कि वहां के कारीगरो के परिवार के लिए बहुत जाना जाता है।
उन्होने प्रिंटिग की इस टेक्नोलाजी की और अधिक श्रेष्ठ बनाने के लिए अपना पुरा जीवन काल समर्पित कर दिया था। इसी कारण वह राजस्थान के कारीगरो के साथ काम करने के लिए वर्ष 2007 मे यहा आई।
जानिए क्या था अल्का का इस तकनीक के पीछे मकसद
अल्का के अनुसार वह इस तकनीक को और अधिक आगे बढ़ाना चाहती थीं। उनका मक्सद एक नई ब्रान्ड शुरू करना नहीं बल्कि कपड़े के प्रिन्ट को समझना और उनके इस तकनीक को उंचाई तक पहुंचाना था। इसलिए वह अकोला मे ही रहकर इस तकनीक के बारे मे कुछ जानना चहती थी।
उन्होने यहा रहकर बहुत कुछ सिखा भी लिया। अल्का जिस समय वहा गई तो इस ब्लाक प्रिंटिंग का काम केवल एक ही परिवार करता था। जो कि उनके लिए बहुत परेशानी वाली बात थी। क्योकि वह इसे और अधिक आगे बढ़ाने के लिए इसमे एक से अधिक परिवार को जोडना चाहती थी।
इस ब्रांड को 2012 मे मिला नाम
अल्का ने इस डब्बू कला (Dabu Art) की तकनीक मे जुडते ही इस कला को उन्होने एक ब्रान्ड के रूप मे चेन्ज कर दिया। बता दे कि अल्का शर्मा ने साल 2012 मे आवरन नामक ब्रान्ड की शुरुआत की। उन्होने इस ब्रान्ड Aavaran मे इतना प्रयास इसलिए किया, ताकि वह इस कला को बनाए रखे और डब्बू नामक ब्लाक प्रिंटिंग शैली को पुनर्जिवित कर सके।
The Ayurvastra Collection by Aavaran #Udaipur. Alka Sharma's #Latest #initiative #ecoclothing #free of all synthetic & toxic irritants!
Farah Singh wearing Dabu printed #Indigo #saree.@chinnadua wearing #Manjishtha dyed print.Switch to #clothes good for you & the #environment! pic.twitter.com/yoc8SAUunC
— The Wishlist (@wishlistpopups) July 30, 2018
द बेटर इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अल्का कहती हैं कि वह यह सब इसलिए कर रही हैं। ताकि इस क्षेत्र के शिल्पकारो की वह आर्थिक रूप से मदद भी कर सके। जिससे वह अपनी इस कला से अच्छा पैसा कमाए।
अल्का ने 2015 मे उदयपुर जाकर की अपने पहले स्टोर की शुरुआत
बता दे कि अल्का शर्मा से धीरे-धीरे अन्य कारीगरो भी जुड्ने लगे और फ़िर वह अपने कारीगरो के साथ 2015 मे उदयपुर गई फिर अपना पहला कारखाना वहाँ शुरू किया। लेकिन आज के समय की बात करे, तो अल्का का यह अनवर नाम का ब्रान्ड 100 घरो के परिवारो के कारीगरो के साथ अपने 40,000 वर्ग फ़ुट के मैन्युफ़ैक्चरिन्ग क्षेत्र मे काम कर रहा है।
How I am reviving Rajasthan's traditional #textile printing craft – #Founder of Aavaran – Alka Sharma https://t.co/O9VOmB3mFv #MeriKahani #SustainableFashion #Artisans #Fashion #SustainableClothing #VocalForLocal #MotivationalQuotes #InspirationalQuotes #WomenEntrepreneurs pic.twitter.com/UF8sFz4sSp
— Workmob (@Workmob) July 9, 2021
साथ ही यह ब्रान्ड अन्य चार गाँव की 200 से भी ज्यादा महिलाओ को रोजगार भी देता है। जिससे उन्हे 15,000 से 40,000 प्रति माह की तनख्वाह भी देती है और अल्का शर्मा की बात करे, तो वह इस ब्रान्ड से सलाना 3 करोड़ रुपये की कमाई कर रही हैं।