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Delhi: जहाँ देश और दुनिया कोरोना संकट से जंग कर रहे है, तो वही दूसरी ओर खबर आ रही है कि भारत को अगले साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट मिलना तय है। लेकिन UN महासभा के नेतृत्व करने वालों को अभी यह तय करना है कि वह जून में होने वाले चुनाव को कैसे आयोजित करेगा, क्योंकि UN सदस्य देशों के प्रतिनिधि कोरोना महामारी के कारण होने वाली असुविधा की वजह से वोटिंग नहीं कर सकते हैं।
इस स्थिति में UN महासभा के अध्यक्ष के प्रवक्ता रीमा अबाजा ने कहा कि चुनाव आयोजित कराने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, इस पर कोई भी निर्णय इस महीने के आखिर में लिया जाएगा और इस मसले पर सदस्यों के विचारों को भी जाना जाएगा। खबर है की अस्थायी सीट को क्षेत्रीय आधार पर बांटा जायेगा और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों ने भारत को सर्वसम्मति से अपना समर्थन दिया हुआ है।
भारत को मिल रहे समर्थन पर चीन और पाकिस्तान नहीं आये साथ
इंडोनेशिया के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद ये सीट खाली हो गई है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान भी भारत को मिल रहे समर्थन के कारण से सभी देशों के साथ खड़े हैं खैर यह तो उनकी मज़बूरी है। इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का चुनाव निश्चित है, परन्तु रूल्स के अनुसार, सभी देशों के वोट देने की औपचारिकता भी जरूरी है।
इन रूल्स के अनुसार जरूरी मामलों के लिए, एक साइलेंट वोटिंग प्रणाली को फॉलो किया जाता है। जिसके मुबाबिक सभी देशों को 72 घंटे के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज कराने का वक़्त दिया जाता है। अगर कोई देश अपनी प्रतिक्रिया नहीं देता या कोई आपत्ति नहीं जताता है, तो इस स्थिति में प्रस्ताव को पारित समझ लिया जाता है। परन्तु इस प्रक्रिया से सभी देशों को वीटो का अधिकार भी मिल जाता है और एक देश की भी आपत्ति, प्रस्ताव को खारिज कर सकती है।
भारत का डंका बजना लगभग तय
एक अच्छी बात है है की प्रवक्ता अबाजा ने कहा कि चुनाव की ई-वोटिंग प्रणाली पर विचार हो रहा है, ताकि कुछ आपत्ति के बाद भी बहुमत को प्रस्ताव मिल सके। ऐसे में अब भारत का डंका बजना लगभग तय माना जा रहा है। अब बस औपचारिकता होने की देर है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को सीट मिलने के बाद भारत का वर्चस्व और धिक् बढ़ जायेगा। फिर भारत पाक में बैठे मुंबई ताज होटल और उरी-पुलवामा के गुनहगारों के खिलाफ भी कार्यवाही करने में सक्षम हो जायेगा। वैसे तो भारत की काबिलियत को देखते हुए बहुत पहले ही भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह हक़ मिल जाना चाहिए था।