बिहार में ये सोलर प्लांट बना, जो हर महीने 250 मेगा वाट बिजली दे रहा, बिहार चला ग्रीन एनर्जी की ओर

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Floating Solar Power plant Bihar
Bihar is now moving towards green energy. Floating Solar Power plant built in Bihar and its first floating power plant seen in Darbhanga.

Darbhanga: पूरी दुनिया आज एनर्जी के मामले में ग्रीन एनर्जी (Green Energy) की ओर भाग रही है। वर्तमान में एवं पिछले कुछ दशकों में हमने एनर्जी के लिए डीजल, पेट्रोल, कोयला जैसे संसाधनों का बेहिसाब दोहन किया। जिससे एक और धरती का अंदरूनी सिस्टम तो बिगड़ ही रहा है।

दूसरी ओर मौजूदा डीजल पेट्रोल एवं कोयला जैसे संसाधनों के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण भी चरम पर आ चुका है। जिस वजह से पृथ्वी के वायुमंडल में भी मौसम बिगड़ने लगे। चुकी आज बिजली के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। इसलिए बिजली की खपत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही।

ऐसे में सरकार अल्टरनेटर एनर्जी सोर्स के तौर पर सोलर अर्थात सूर्य से पैदा की जा रही बिजली पर ज्यादा फोकस कर रही है। इस एनर्जी की सबसे खास बात यह है कि इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है। तो इससे बिजली तो मिल ही रही हमारा वातावरण भी सुरक्षित है। बिहार में भी सरकार ने तैयार किया है, पानी में तैरने वाला एक सोलर प्लांट (Floating Solar Power Plant), जिससे सैकड़ों मेगावाट बिजली हर महीने जेनरेट हो रही।

बिहार के किस जिले में स्थापित है यह प्लांट

आपको बताना चाहेंगे मौजूदा सोलर प्लांट जिसकी आज हम बात कर रहे हैं, इसे बिहार के दरभंगा (Darbhanga) जिले के अंतर्गत कैमरा ना ग्राम में तैयार किया गया है। यह लगभग 6 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है और इसकी सबसे मजेदार बात यह है कि यह प्लांट पूरी तरीके से एक तालाब के ऊपर पानी में तैरता हुआ बनाया गया है।

पानी पर बने होने की वजह से इस प्लांट को देखने के लिए भी लोग दूर-दूर के गांव से आते हैं। सोलर प्लांट की एक खास बात और है कि इसे मेंटेन करना इसका रखरखाव बहुत आसान है एवं सोलर स्टेशन 25 साल लगातार तक बिजली उत्पादन कर सकता है।

तालाब के उपर बने इस सोलर प्लांट में मछली पालन भी होता है

दोस्तों प्रोजेक्ट तैयार करने वाले इंजीनियर से बातचीत के दौरान पता चला कि, जब इस प्रोजेक्ट को फाइनलाइज किया जा रहा था, तब इस बात का ध्यान रखा गया कि, अगर इसे किसी तालाब के ऊपर डिवेलप किया जाता है, तो जहां एक और जमीन खरीदने की लागत से भी सरकार बचेगी।

वहीं दूसरी तरफ तालाब के पानी को मछली पालन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। तो आज इस तालाब में कई प्रजाति की मछलियों भी पाई जाती हैं। इन मछलियों के लिए भी बकायदा अलग से एक डिपार्टमेंट बनाया है, जो इनके पालन एवं बिक्री का काम संभालते हैं। बिहार के रहने वाले हैं तो इसी वीकेंड प्लान करें दरभंगा सोलर पावर प्लांट देखना।

एसी एवं डीसी दोनो तरह की बिजली सप्लाई दी जाती है

प्रोजेक्ट इंचार्ज चंदन कुमार जी ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह सोलर प्लांट बिहार का पहला एवं इकलौता प्लांट है। जिस वजह से बिहार में सोलर पावर प्लांट को लेकर एक अलग ही उत्साह है। इस प्लांट में दो तरह की बिजली सप्लाई की व्यवस्था बनाई गई है।

पहली एसी सप्लाई होती है एवं दूसरी डीसी करंट की सप्लाई। अलग-अलग बात करें तो डीसी पावर प्लांट के जरिए करीब 1.7 मेगावाट बिजली रोज मिलती है एवं बाकी बची हुई बिजली एसी के तौर पर सप्लाई हो रही है। इस प्लांट को मेंटेन करने के लिए 12 कर्मचारियों की टीम 24 घंटे काम करती है।

6 एकड़ में फैले इस प्लांट में लगे हैं हजारों सोलर प्लेट्स

आपको बता दें पानी में तैरता हुआ यह सोलर प्लांट 6 एकड़ तालाब के ऊपर बनाया गया है जिसमें करीब 3400 से अधिक सोलर प्लेट्स का इस्तेमाल किया गया है। यह 1 दिन में करीब-करीब 9 मेगावाट बिजली तैयार कर लेता हैं। यानी महीने भर में 200 से लेकर ढाई सौ मेगावाट तक की बिजली सप्लाई कर रहा है।

सोलर बहुत ही भरोसेमंद एवं किफायती एनर्जी का सोर्स है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा (Rewa) में एशिया का सबसे बड़ा सोलर एनर्जी प्लांट (Asia’s largest Solar Plant) सरकार द्वारा लगाए गए हैं, जिसकी बिजली दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन इस्तेमाल करता है।

आज देश के लगभग हर सेक्टर ग्रीन एनर्जी सोर्स का इस्तेमाल ही करना चाह रहा। आने वाले समय में आपको आपके आसपास भी ऐसे कई सोलर पावर स्टेशन देखने को मिलेंगे। यह ईंधन का एक सस्ता और आसान स्त्रोत भी साबित होगा।

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