यहाँ की आदिवासी महिला ने अपने छोटे से झोपड़े को अनाज का बीज बैंक बनाया, UNO ने तारीफ की

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Lahari Bai Seed Bank
Baiga tribal woman from Dindori Madhya Pradesh Lahari Bai made seed bank in her huts. Now her name has reached in UN and America

Photo Credits: Twitter

Dindori/Jabalpur:कहते हैं इंसान अगर कुछ करना चाहे तो इसकी शुरुआत कहीं से भी कर सकता है। अक्सर लोगों को कहते सुना है कि काश मेरे पास भी सुविधाएं होती, तो कुछ बढ़ाकर गुजरता। परंतु वास्तविकता यह है कि जब कोई इंसान कुछ करना चाहता है तो वह जहां है, जिस परिस्थिति में है वहां से भी एक बड़ी शुरुआत कर सकता है।

इसके ढेरों एग्जांपल हमें समाज में देखने मिलते हैं, जहां छोटे तबके से भी आने वाले लोग जिनके पास ना शिक्षा थी, ना खाने पीने की सही व्यवस्था, और ना ही कोई बड़ा सपोर्ट उसके बावजूद भी जीवन में बड़ी ऊंचाई तक पहुंचे।

ऐसी ही एक खबर अभी मीडिया में छाई हुई है जिसमें, एक वनवासी महिला (Forest Woman) जिसका शिक्षा से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं उन्होंने प्रकृति को संरक्षित रखने एवं अनाजों को सहेजने के उद्देश्य से एक बीच बैंक बना डाला।

जिसमें कई किस्म के अनाजों के बीज एवं कई ऐसे पौधों के बीज भी रखती हैं, जो लगभग विलुप्त हो चले हैं। यह सब कुछ उन्होंने अपनी लगन, मेहनत एवं जुनून के दम पर किया। जिस वजह से दुनिया भर में आज उनकी ख्याति फैल रही है। आज की स्टोरी उसी जुनूनी महिला के नाम।

डिंडोरी मध्यप्रदेश की रहने वाली हैं ये जुनूनी महिला

दोस्तों हम बात कर रहे हैं लहरी बाई की, यह मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जिला डिंडोरी (Dindori) के अंतर्गत आने वाले सिलपुरी ग्राम की रहने वाली है। दरअसल यह जंगलों के बीच पड़ने वाला एक गांव है। जिसके चारों तरफ प्रकृति की सुंदरता बिक्री हुई है दूर-दूर तक आपको सिर्फ हरियाली ही देखने मिलेगी।

वास्तव में लहरी बाई एक बैगा आदिवासी समुदाय (Baiga Tribe) से आती है। जिनका जीवन जंगलों में ही बीता है। शिक्षा स्कूल, कॉलेज एवं शहर से उनका दूर-दूर तक नाता नहीं होता। जब उन्होंने देखा कि आने वाले समय में अनाज के अच्छे किस्म के बीजों की समस्या आ सकती है, तब उन्होंने बीज बैंक (Seed Bank) बनाने का निर्णय लिया और आज यूएनओ तक इनकी ख्याति पहुंच गई।

25 से अधिक मोटे अनाजों के बीज करती हैं संरक्षित

आपको बताना चाहेंगे कि लहरी बाई आज 25 से भी ज्यादा किस्म के अनाजों का बीज भंडारण करती हैं। इनके पास ज्यादातर मोटे अनाज के बीज होते हैं। जिन्हें मिलेट क्रॉप भी कहा जाता है।

सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो मोटे अनाज में पौष्टिक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। जिन्हें पचाना भी आसान होता है और सेहत के लिए उत्तम माने जाते हैं। इन 25 अनाजों में मुख्य अनाज हैं, बाजरा, ज्वार, कुटकी, कोदो, चीना, कुट्टू, रागी, सांवा, इत्यादि। मिनट क्राफ्ट को सुपर फूड भी कहा जाता है।

ख्याति फैलने पर कलेक्टर ने भी किया सम्मान

लहरी बाई (Lahari Bai) के आसपास रहने वाले लोगों से बातचीत के दौरान पता चला कि, आज लहरी बाई के पास 25 अनाज से भी ज्यादा किस्म की फसलों का बीज संरक्षित है। किंतु यह इतनी आसानी से नहीं हुआ यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई गांव तक पैदल यात्रा की, बीजों को इकट्ठा किया अलग-अलग क्षेत्रों से और उन्हें मौसम के प्रभावों से बचाते हुए अपने पास संरक्षित किया।

हालांकि इनके पास सिर्फ दो कमरों की झोपड़ी है, परंतु इस बीज बैंक के लिए उन्होंने बड़ी उम्दा तरीके से छोटी छोटी मिट्टी के टैंक बनाए हैं, जिसमें इन बीजों का भंडारण बहुत ही सुंदर ढंग से कर पाती है। इनकी इन्हीं व्यवस्थाओं के चलते कलेक्टर ने इन्हें सभी अधिकारियों के मध्य सम्मान दिया।

विलुप्त और दुर्लभ प्रजाति के कुछ बीज भी मिल जाएंगे इनके कलेक्शन में

लहरी बाई के बीज बैंक में 25 वैरायटी के मिलेट क्रॉप तो मिल ही जाते हैं। वही कुछ विलुप्त प्रजाति के पौधों के बीज भी इनके भंडार में शामिल है। साथ ही कई गांव एवं जंगल के विजिट के दौरान लहरी बाई ने कुछ दुर्लभ बीज भी संरक्षित करने में सफलता हासिल की।

लहरी बाई ने अभी तक शादी नहीं की वह एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहती हैं। एवं आवास योजना के अंतर्गत सरकार से एक पक्के मकान की उम्मीद जोड़े हुए हैं। कलेक्टर से सम्मान मिलने के बाद उन्हें यह भरोसा भी दिलाया गया कि जल्दी उन्हें उनका एक पक्का मकान मिलेगा। साथ ही यूएनओ से मिले सम्मान के बाद लहरी बाई बहुत ही प्रसन्न है कि उनकी मेहनत आखिर रंग लाई।

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