
मां का दर्जा इस दुनिया में बहुत बड़ा है। एक मां के लिए उसका बच्चा जैसा भी हो प्राणों से भी प्यारा होता है। मां ही जानती है कि एक बच्चे को जन्म देने में क्या होता है। सबसे पहले एक औरत 9 महीने एक बच्चे को अपने पेट में पलटी है, उसके बाद एक साथ सैकड़ों हड्डी टूटने जितना दर्द बर्दास्त करके जिंदगी और मौत के बीच झुझते हुए एक बच्चे को जन्म देती है।
उसके बाद 2 वर्ष तक अपने सीने से लगा कर पालती है। मां (Mother) की ममता ही होती है जो अपने बच्चे के लिए इतनी सब परेशानी से लड़ने की ताकत देती है। हर मां अपने बच्चे ले लिए बेहतर की कामना करती है। वे चाहती है की उनका बच्चे अच्छी तरह पढ़े लिखे और खूब तरक्की करे।
माता-पिता अपने बच्चों को कभी भी किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देते। वे चाहते हैं कि उन्होंने जैसा जीवन जिया उनके बच्चे उससे भी अच्छा जगन चाहिए, इसीलिए वे दिन रात मेहनत करके केवल अपने बच्चों के लिए ही कमाते हैं।
कैब ड्राइवर गुलेश चौहान
हरियाणा (Haryana) की एक महिला अपने बच्चे के पालन पोषण के खातिर एक कैब ड्राइवर (Cab Driver) बन गई। जी हां यह एक मां की ममता है, जो अपने बच्चे की उज्जवल भविष्य और बच्चे को पालने के लिए पैसे कमाने के लिए सड़कों पर कैप चलाती हैं। हम बात कर रहे हैं गुलेश चौहान (Gulesh Chauhan) की, जो हरियाणा की बहू और राजस्थान की बेटी है।
बताया जा रहा है कि गुलेश कुमार की शादी 17 वर्ष की उम्र में कर दी गई थी। वे राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं और उनकी शादी हरियाणा में हुई। वे केवल कक्षा नौवीं तक पढ़ी लिखी है, इसकी वजह से वे कहीं जो भी नहीं कर सकती थी। जब बच्चे की परवरिश की बात आई तो घूंघट में रहने वाली इस महिला का जीवन पूरी तरह बदल गया।
एक मां का संघर्ष
शादी विवाह के बाद महिलाएं उम्मीद करती हैं कि उनका जीवन उनके पति के साथ बढ़िया से कटेगा। पति बाहर से कमा कर लाएगा और पत्नी अपनी गृहस्थी संभाली थी और बच्चों का अच्छे से लालन पालन करेंगी। परंतु परिस्थितियां कभी भी विपरीत हो सकती है। कभी भी कोई भी अनचाही चीज है हो जाती है और परिस्थितियां पूरी तरह बदल जाती है।
ऐसा ही कुछ गुलेश चौहान के साथ हुआ। जब उनके पति की मृत्यु हो गई और भी 2 साल के बेटे की जिम्मेदारी के साथ अकेली पड़ गई। एक बिना पढ़ी लिखी महिलाओं के लिए घर से बाहर काम करके पैसा कमाना (Earning Money) काफी मुश्किल होता है। परंतु एक मां के लिए सब कुछ संभव होता है।
हर संभव काम किए पुलिस ने
बताया जा रहा है कि जिस वक्त गुलेश की शादी हुई थी, उस वक्त उनकी उम्र लगभग 17 वर्ष थी, समय अच्छा बीत रहा था, परंतु दुर्भाग्य से वर्ष 2023 में उनके पति की मृत्यु हो गई। उस समय पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया था, साथ ही आर्थिक मुश्किलें भी आन पड़ी थी।
उस समय गुलेश ने खुद को मजबूत बनाया और मां और पिता दोनों का फर्ज निभाया। पिता की तरह रोजगार की तलाश में उन्होंने सब्जी बेची, घरों घर जाकर खाना बनाया और सड़क किनारे पकौड़े की स्टॉल लगाई। इन सब में गुलैश की मां की भूमिका काफी महत्वपूर्ण।
Today morning I met Gulesh Chauhan, India's first female Uber driver.
Gulesh is an inspiration. Hope her dream of starting a driving school for women comes true. It will benefit many young girls…
#WednesdayMotivation pic.twitter.com/LtHNB4p5o6
— Gaurie Dwivedi (@GaurieD) February 15, 2023
गुलेश की मा ही है जिन्होंने उन्हे बाहर जाकर काम करने के लिए प्रेरित किया। गुलेश की मां का कहना था कि उन्हें भूलना होगा कि वह एक औरत है और घर से बाहर निकल कर उन्हें अपने बच्चे के खातिर काम करना होगा।
लोगों ने उड़ाया मजाक
बताया जा रहा है कि गुलेश चौहान ने अपनी मां की बात मान कर घर से बाहर निकल कर पैसे कमाने का फैसला लिया। उसी समय उन्हें जानकारी मिली कि डीटीसी में महिला ड्राइवर की भर्ती की जा रही है। उन्हें यह मौका अपने लिए काफी अच्छा लगा, इसीलिए उन्होंने रिश्तेदारों की गाड़ी से ड्राइविंग सीखे और हैवी व्हीकल लाइसेंस लेने के लिए पहुंच गई। लोगों ने उनका काफी मजाक उड़ाया, परंतु उन्होंने इस मजाक को डर के मारे गए अपने लक्ष्य की तरफ रुख किया।
My bestest Sunday! My Uber driver today is Delhi’s first female Uber driver—the supercool Gulesh Chauhan (she posed without the mask just for this pic at my request!) pic.twitter.com/GXA6USAzjE
— mayank austen soofi, the freelance Joycean (@thedelhiwalla) December 5, 2021
आज 7 वर्ष बीत गए हैं उन्हें कैब चलाते हुए वे सुबह 6:30 बजे से लेकर शाम के 6:30 बजे तक कैब चलाती हैं। उन्होंने इंडिया टॉप रेटेड फ़ीमेल कैब ड्राइवर की उपाधि भी हासिल की हुई है। आज उनका बेटा बीकॉम फाइनल ईयर में आ गया है और वह अपनी मां पर प्राउड फील करता।