
Photo Credits: ANI
Guwahati: किसी कवि ने क्या बेहतरीन लाइन नहीं कही है की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हमने आए दिन ऐसी कई कहानियां सुनी है, जिनमें किसी गरीब वर्ग छोटे से गांव या किसी बहुत ही कमजोर परिस्थितियों से निकलकर भी कई लोगों ने सफलता की ऊंचाइयों को हासिल किया है, जिसे कई बार सक्षम लोग भी पा ना सके।
खास तौर पर हमें तब अधिक खुशी मिलती है, जब कोई अति कमजोर वर्ग का व्यक्ति अपने सपनों को हासिल कर ले। लेकिन अपने सपनों को पाने के लिए हमें सतत प्रयासरत रहना जरूरी होता है। ऐसी ही एक मिसाल देखने मिली है।
असम राज्य के एक छोटे से गांव में एक दिहाड़ी मजदूर (Daily Wage Laborer) कई सालों से एक-एक दो-दो रुपए की चिल्लर-गुल्लक में जोड़ रहा था। अपने सपनों की स्कूटी खरीदने के लिए, उसने सालों प्रयास जारी रखा। नतीजा आज उसकी सपनो की गाड़ी (Dream Scooty) उसके पास है।
यह कहानी है असम के एक दिहाड़ी मजदूर की
दोस्तों यह प्रेरणा भरी कहानी भारत देश के पूर्वी राज्य असम की राजधानी गोवाहटी के अंतर्गत आने वाले एक छोटे से ग्राम बीरगांव से निकली है। जानकारी के अनुसार यहां रहने वाले उपेन जो पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर है। अर्थात रोज कमाने और खाने वाले वर्ग से आते हैं। उनका सपना था कि, वह अपने लिए एक टू व्हीलर स्कूटी गाड़ी खरीदें।
हम सब जानते हैं यह गाड़ी बहुत महंगी आती है, मार्केट में आज इसकी कीमत करीब 90,000 से 10,0000 रुपए है। इतनी रकम ला पाना एक दिहाड़ी मजदूर के लिए असंभव सी बात है। लेकिन उपेन ने अपने सपनों को जिंदा रखा और युक्ति लगाई गुल्लक में पैसे जोड़ने की। नतीजा आज वह अपने सपनों की गाड़ी स्कूटी को घर ला चुके हैं।
2014 से ही ही जोड़ रहा था गुल्लक में पैसे
जानकारी के अनुसार उपेन रॉय (Upen Rai) ने आज से कई साल पहले यह सपना पाला कि, उसे अपने सपनों की गाड़ी स्कूटी लेना है। परंतु गाड़ी की रकम सुनकर वह परेशान था। क्योंकि इतना पैसा जुटा पाना उसके लिए संभव नहीं था।
इसलिए 2014 में उसने एक बड़ा सा गुल्लक लिया और रोज के जीवन यापन से बचने वाले पैसे चाहे वह एक रुपए हो, दो रुपए हो, 5 का सिक्का हो या 10 का सिक्का हो इमानदारी से रोज के रोज गुल्लक में डालना शुरू कर दिया।
इतने साल लगातार जोड़ने के बाद हाल ही में उसने अपनी गुल्लक को तोड़कर उस में डाली गई रकम को काउंट किया तो पाया करीब डेढ़ लाख रुपए जुड़ चुके हैं। फिर क्या था दोस्तों उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा और वह दौड़कर थैली में सारे सिक्कों को रखकर शोरूम पहुंच गया।
बैंक ने चिल्लर लेने से किया मना, शोरूम मैनेजर ने की मदद
दोस्तों शोरूम (Scooty Showroom) पहुंचने के बाद जब उपेन राय ने सिक्कों से भरी थैली उनके काउंटर पर रखी तो पूरे शोरूम में जैसे हड़कंप सा मच गया कि, एक मजदूर चिल्लर लेके स्कूटी खरीदने आया है। इतनी सारी चिल्लर किसी शोरूम के लिए एक्सेप्ट करना मुश्किल था।
इसलिए शोरूम मैनेजर ने बैंक में संपर्क किया, परंतु बैंक ने इस चिल्लर को लेने से इनकार कर दिया। उपेंद्र राय को निराश देख शोरूम मालिक ने कुछ व्यापारियों की मदद से सिक्कों को एक्सचेंज कर नोट में कन्वर्ट किया। जिससे आखिरकार उपेन का स्कूटी लेने का सपना पूर्ण हो सका।
गाड़ी हाथ में आते ही रॉय हुआ भावुक चाबी पकड़कर रो पड़ा
वास्तव में शोरूम मालिक एवं मैनेजर ने उपेन का पूरा साथ दिया उसकी चिल्लर को एक चेंज करवाने में, वहीं शोरूम के 4 कर्मचारियों को करीब 2 घंटे लग गए इन सिक्कों को गिनने में। उपेन को उनकी ड्रीम बाइक स्कूटी करीब 90000 रुपए में पड़ी।
जैसे ही शोरूम मालिक ने उनके हाथ में गाड़ी की चाबी दी एवं स्कूटी का हैंडल उपेन रॉय ने अपने हाथों से पकड़ा तो वह भावुक हो गया और खुद को रोने से रोक ना सका। यह नजारा देख पूरा शोरूम ही भावुक हो उठा था।
Assam | Guwahati daily wage labourer buys a scooter using coins saved for 8 years
I was collecting these coins since 2014. Finally, when my collection amounted to Rs 1.5 lakh, I decided to buy a scooter by using a portion of my collection: Upen Roy (06.04) pic.twitter.com/EENV5BDv00
— ANI (@ANI) April 6, 2022
हर किसी ने रॉय को बधाई दी एवं अपनी तरफ से मिठाई देकर सम्मानित भी किया। इस समय उपेन बहुत खुश था, उनका कहना था अपने सपनों की गाड़ी खरीदने पर उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनके जीने का उद्देश्य आज पूर्ण हुआ।