शख्स भीख मांगने वाले गरीब बच्चों के लिए मसीहा बना, कई लापता बच्चो को उनके परिवार से मिलाया

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Naresh Paras
Agra-based child rights activist Naresh Paras is doing good social work. His work of rescuing and teaching children begging on the road.

Agra: कहते हैं असली इंसान वही है, जो दूसरे इंसानों के काम आए। एवं धर्म में भी यही कहा गया है कि, यदि आप दूसरों की मदद करते हैं तो ऊपरवाला आपकी मदद करता है। समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जो आर्थिक दृष्टि से इतना कमजोर है की अपने लिए बेहतर जिंदगी तो दूर की बात अपने बच्चों को शिक्षा भी नहीं दिलवा पाते।

वही जानकारी के अभाव में कई बार यह बच्चे सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं। ऐसे में कुछ एनजीओ भी समाज सेवा काम करते हैं। वैसे चाहते तो बहुत लोग हैं परंतु, कुछ ही लोग ऐसे हैं, जो वास्तव में अपना समय और पैसा समाज के जरूरतमंद लोगों पर खर्च कर पाते हैं।

ऐसे ही एक शख्स से आपको मिलवाने वाले हैं, जो स्वयं तो बहुत मजबूत परिस्थिति से नहीं आते परंतु अपनी कमाई का लगभग पूरा हिस्सा उन जरूरतमंद बच्चों पर खर्च करते हैं। जो मजदूरी, भीख मांगने के काम में जुड़े हैं। ये उन्हें पढ़ाते हैं और सही मार्ग दिखा रहे।

वही कुछ ऐसी बच्चियां जो दुर्जनों की वजह से वेश्यावृत्ति जैसे कामों में फस गई थी। उन्हें पुलिस की मदद से वेश्यावृत्ति के दलदल से बाहर निकालकर उनके परिवारजनों से मिलाने का नेक काम भी कर रहे हैं।

यह नेक काम करने वाला शख्स रहते हैं इस शहर में

जानकारी के अनुसार ये नेक कम करने वाला व्यक्ति उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) जिले के रहने वाले हैं, इनका नाम श्री नरेश पारस (Naresh Paras) है। वैसे तो नरेश जी स्वयं किसी बड़े बैकग्राउंड को बिलॉन्ग नहीं करते बल्कि व्यवसाय के तौर पर एक छोटी प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं।

इसके बावजूद भी वह अपनी कमाई का 90 प्रतिशत तक का हिस्सा उन बच्चों का खर्च कर रहे हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से पढ़ नहीं पाते। यह नेक काम पिछले 15 वर्षों से करते आ रहे हैं। जिसमें बच्चों की पढ़ाई के अलावा कई ऐसे लापता बच्चों को भी उन्होंने ढूंढ निकाला जिन्हे पुलिस और पेरेंट्स भी ना ढूंढ सके।

जब एक भीख मांगने वाले बच्चे ने पास की बोर्ड एग्जाम परीक्षा

जानकारी के मुताबिक शेर अली खान नाम का एक बच्चा जो पेशे से भीख मांगने का काम करता था। एवं परिवार की तरफ से किसी प्रकार का कोई सहारा प्राप्त नहीं था। ऐसे में उसके अंदर की पढ़ाई की ललक को देखते हुए नरेश जी ने उसे पढ़ाना शुरू किया एवं स्कूल से संबंधित उसकी पूरी मदद की जैसे एडमिशन करवाना, ट्यूशन, इत्यादि।

नतीजा आज वही शेर अली खान ने दसवीं का एग्जाम पास कर लिया, वह भी 63 परसेंट से। भले यह प्रतिशत आपको छोटे लग रहे हो सुनने में पर जिस तबके से शेर अली खान आते हैं वहां यदि कोई पढ़ ले तो अपने आप में बड़ी बात मानी जाएगी। इसी वजह से नरेश जी और शेर अली पूरे शहर में रातों रात प्रसिद्ध हो गए।

नरेश जी पिछले 15 सालों से कर रहे बच्चों के लिए काम

नरेश जी एक प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने देखा की आगरा स्थित इंदिरा नगर की मारवाड़ी बस्ती में ढेरों बच्चे हैं जो ना स्कूल जाते हैं ना ही किसी प्रकार की शिक्षा ले रहे अपनी गरीबी के चलते। क्योंकि उन्हें अपना जीवन यापन के लिए बचपन से ही किसी न किसी तरह का काम करना मजबूरी है।

तब नरेश जी ने ठाना की अपने काम से समय निकाल कर वो इन बच्चों की मदद करेंगे। और आज से 15 साल पहले ये सिलसिला शुरू हुआ। नतीजा आज शेर अली जैसे कई एग्जांपल देखने मिलते हैं।

कई लापता बच्चों को मिला चुके हैं बिछड़े माता पिता से

यही नहीं नरेश जी बच्चों को पढ़ाने एवं अच्छी शिक्षा देने के अलावा आगरा एवं उसके आसपास की कई गरीब बस्ती में उन बच्चों को भी ढूंढने का काम करते हैं जो अपने मां-बाप से बिछड़ गए थे। इसके लिए वह प्रशासन से मिले आंकड़े न्यूज़ की खबरें एवं अनाथ बच्चों के डाटा को मैच करते हैं। जिस वजह से अभी तक कई बच्चों को अपने मां-बाप तक पहुंचाने में सफल हुए।

वही कुछ ऐसी बच्चियां जो दुर्भाग्यवश वेश्यावृत्ति के दलदल में धंस चुकी थी, उन्हें पुलिस की सहायता से बाहर निकाल के सुरक्षित माता पिता के पास तक पहुंचा सके। नरेश पारस जी के इस जज्बे को हम सलाम करते हैं।

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