पहाड़ों में पति-पत्नी कर रहे सेब और कीवी की सफल खेती, फायदे देख लोग स्वरोगार के लिए प्रेरित हो रहे

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Apple And Kiwi Farming
Uttarakhand couple started apple and kiwi farming in Pauri Garhwal and gets successful. apple and kiwi production is good earning business.

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Pauri Garhwal: पहाड़ों में रहने वाले लोगों को अब खेती रास नहीं आ रही, क्योंकि पहाड़ों की पथरीली जमीन पर खेती करना किसी गंजे के सिर में बाल उगाने जैसा है। इसी के चलते लोग यहां से पलायन करके शहरों में बसते हैं और नौकरी की तलाश करते हैं।

पहाड़ों की बंजर पड़ी जमीन लोगों के किसी काम की नहीं होती, यहां पर रोजगार भी विशेष नहीं होता इसलिए लोगों को मजबूरन अपनी जन्मभूमि छोड़कर कर्मभूमि की तलाश करनी पड़ती है। लेकिन पहाड़ों में कुछ ऐसे लोग भी है, जो अपनी जन्म भूमि में रहते हुए अपनी मिट्टी के लिए कुछ करने की हिम्मत रखते है। जी हा इस लेख के माध्यम से हम आपको एक ऐसे ही दंपति के बारे में बताने जा रहे जो कमाई के साथ साथ नाम भी कमा रहे।

कोन है ये दंपति

उत्तराखंड (Uttarakhand) के पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) के एक छोटा सा गांव जिसका नाम मटकुंड (Matkund) है। यहां के रहने वाले दंपति विजयपाल चंद और उनकी पत्नी धनी कांति चंद ने कमाल की कर दिया। उन्होंने बिना अभाव का रोना रोए कुछ ऐसा कर दिखाया की आज गढ़वाल उन पर गर्व करता है। जी हां इस पति पत्नी की जोड़ी ने सेव और कीवी की खेती (Apple and kiwi Farming) कर छोटे से गांव में रोजगार की नई लहर ले आए है।

Kiwi Farming
Kiwi farming file photo.

दोस्तों कांति चंद एक गृहणी है, लेकिन बेहद प्रतिभाशाली है। वे मजेदार पकवान से लेकर तरह तरह की ज्वैलरी भी डिजाइन करती है। साथ ही उन्हें ड्राइविंग भी आती है। हमेशा अपने मुख पर मुस्कान लिए लोगों से बात करती है। बागवानी में तो माहिर है।

आधुनिक खेती का थामा आंचल

आज के समय में समाज में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है। देश में हुई महामारी ने तो लोगों को बहुत बुरी तरह तोड़ दिया है। कई लोगों ने तो अपनी नौकरी खोई। कुछ छोटे लघु उद्योग बंद हो गए इससे काफी ज्यादा छती हुई। इसी लोगो ने स्वरोजगार और आधुनिक खेती को अपनाया।

ऐसा ही कुछ विजयपाल चंद (Vijaypal Chand) और उनकी पत्नी धनी कांति चंद (Dhani Kanti Chand) ने किया उन्होंने 2012 13 के बीच 100 नालियों के लगभग बगीचा बनाया और उसमे सेव को खेती प्रारंभ की। बंजर भूमि में जैविक खाद का इस्तेमाल किया तो सेव की खेती प्रारंभ की उन्हे इससे काफी ज्यादा फायदा हुआ। बीते 10 सालों में उन्होंने खेती से अपनी आय का एक शानदार स्त्रोत तैयार कर लिया।

10 साल से कर रहे है खेती

वर्ष 2012 13 में दोनो पति पत्नी ने एक साथ मिलकर मटकुंड गांव की अपनी पुश्तैनी जमीन में सेव की खेती करने का विचार किया। उन्होंने सबसे पहले सेव की बागवानी करने के लिए एक प्रशिक्षण लिया जिसमे उन्होंने खेती के विषय के सब कुछ बेहद बारीकी से सिखा।

Kiwi farming
Kiwi farming file presentation photo.

शुरुआत करने में उन्हें कभी घबराहट हो रही थी। क्योंकि सेब की खेती करना आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने शुरुआत की और सफल हुए। बीते दस सालों में उन्होंने अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखा और 50 नाली जितनी जमीन पर कीवी को खेती (Kiwi Ki Kheti) करना प्रारंभ कर दिया, आज वे इस खेती से अच्छी कमाई कर लेती है और अपने परिवार को पाल रही है।

आस पास के गांव के लोगो को सिखाते है बागवानी

पहाड़ों में रोजगार ना होने के कारण लोग पलायन करते है, लेकिन आज कांति चंद और विजय पाल चंद की मेहनत के बदौलत आज उस गांव के युवा खेती किसानी की तरफ अपना रुझान दे रहे है। दोनो पति पत्नी गांव के अन्य लोगों को बागवानी सीखा रहे है और उन्हें स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित कर रहे है।

Money
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कांति चंद ने मीडिया को बताते हुए कहा इस काम से उन्हें काफी फायदा हो रहा है। साथ ही एप्पल मिशन ने उन्हें काफी सहयोग दिया। लेकिन मार्केट की व्यवस्था ठीक ना होने के कारण उन्हें उत्पाद का सही दाम नही मिलता, साथ ही फसल को सही समय पर शहर से दूर पहुंचाने में काफी ज्यादा परेशानी होती है, लेकिन इसके बाद भी सेब और कीवी रामनगर, कोटद्वार, देहरादून दिल्ली जैसे शहर तक पहुंचते है।

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