Bargarh, Odisha: स्टार्टअप (Startup) के दौर में जहां लोग नए-नए आइडियाज पर काम कर रहे है, वही खुद को आर्थिक रूप से फ्री बनाने के लिए बिजनेस को अपना रहे है। दोस्तों एक दौर था जब लोग सरकारी नौकरी को ज्यादा तवज्जो दिया करते थे, लेकिन यह भ्रम लोगों का लॉकडाउन के समय टूटा। इस दौर में काफी सारे लघु उद्योग बंद हो गए और कुछ लोगों की जमीन जमी नौकरियां भी चली गई।
ऐसे में लोग काफी ज्यादा हताश और निराश हो गए। चारों तरफ लोग बीमारी से और कुछ लोग खाने-पीने की तलाश में भटकते रहे। जैसे ही लॉकडाउन समाप्त होता है, लोग स्टार्टअप की तरह बढ़े। क्योंकि लोगों को समझ आ गया है कि यदि जीवन को सुरक्षित और सर्वाइवल बनाना है, तो खुद का स्टार्टअप करना बेहद जरूरी है।
इसी का उदाहरण है उड़ीसा (Odisha) की यह ग्रहणी (Housewife) जिसने गोबर से पेंट (Cow dung paint) बनाकर न केवल व्यापार प्रारंभ किया है, बल्कि एक इको फ्रेंडली पेंट का विकल्प भी लोगों को दिया है। तो चलिए विस्तार से जान लेते हैं इस महिला के बारे में।
गोबर के पेंट ने गौ को मरने से बचाया
भारत देश में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। लोगों का मानना है कि एक गाय के अंदर 36 कोठी के देवी देवताओं का वास होता है। वहीं दूसरी तरफ व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो गाय को दूध के व्यापार के लिए रखा जाता है।
वही जब गाय दूध देने लायक नहीं रहती तो उसे सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। कई बार तो गाय को बूचड़खाने में मरने भी दे दिया जाता है। लेकिन गोबर के पेंट और जैविक खाद जैसे उत्पादों ने जीवो को जिंदा रखने का एक नया मकसद दिया है।
जी हां वर्तमान समय में गोबर से पेट जैविक खाद और न जाने कितने सारे उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जो ग्रामीण इलाके में रोजगार का एक नए स्रोत बन गया है। गाय के गोबर से बना यह पेंट इको फ्रेंडली (Eco friendly Paints from cow dung) है, इसी वजह से मार्केट में इसकी काफी ज्यादा डिमांड है।
ग्रामीण इलाके में रोजगार को दिया बढ़ावा
आपको बता दे गोबर से पेंट बनाने की शुरुआत सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के द्वारा किया गया था। उनका उद्देश्य था ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं को रोजगार प्रदान करना। जैसा कि हम जानते हैं ग्रामीण इलाकों में रोजगार की काफी समस्या होती है, साथ ही काफी चीजों का अभाव भी होता है, लेकिन यह व्यापार बिना किसी अन्य संसाधन के आसानी से किया जा सके इसका ध्यान रखा गया है।
खादी इंडिया (Khadi India) के द्वारा इस पेंट को मार्केट में सेल किया जाता है। भारत सरकार के द्वारा युवाओं को गोबर से पेट निर्माण करने की ट्रेनिंग दी जाती है इसके बाद वे अपना व्यापार स्वयं स्टार्ट कर सकते हैं।
भारत के बिहार उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में यह व्यापार शुरू हो गया है। उड़ीसा राज्य में पहली बार गोबर के पेंट का व्यापार शुरू करने वाली 33 वर्षीय महिला जिसका नाम दुर्गा प्रियदर्शनी (Durga Priyadarshini) है, जिन्होंने जयपुर से पेंट बनाने की ट्रेनिंग ली और अपना खुद का गोबर के पेंट का प्लांट डाला।
कैसे आया बिजनेस का आइडिया
दुर्गा प्रियदर्शनी ने 2 वर्ष पहले तक एक ग्रहणी का जीवन जिया। लेकिन उनका मकसद समाज में एक अपनी अलग पहचान बनाना था और वह सही मौके के साथ सही बिजनेस आइडिया की तलाश कर रही थी। उनका कहना है कि वह डेरी बिज़नेस में रुचि रखती थी।
हरियाणा राज्य में कभी उत्तम गुणवत्ता का दूध और कई नस्ल के जीव पाए जाते हैं, लेकिन ऐसा कुछ उड़ीसा राज्य में नहीं है। इसीलिए उड़ीसा में उत्तम गुणवत्ता का दूध बेचने के लिए डेरी व्यापार करना चाहती थी, उन्होंने हरियाणा के झांझर गांव में जाकर पशुपालन का तरीका सीखा।
इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा, जिसमें गोबर से पेट बनाया जा रहा था। दुर्गा को यह काम काफी ज्यादा पसंद आया, इसलिए उन्होंने पशुपालन को ना करके गोबर के पेंट को बनाने के बारे में सोचा।
दुर्गा के व्यापार करने की कला
दुर्गा का उद्देश्य सोशल वर्किंग करना भी था, इसलिए उन्होंने अपने काम के जरिए किसानों और गोवंश पालनो की सहायता की। दुर्गा बताती है कि गोबर से पेंट बनाने के लिए सबसे पहले गोबर और पानी की बराबर मात्रा ली जाती है। इसके बाद गोबर को गड़ा करने के लिए ट्रिपल डिस्क रिफाइनरी विधि का प्रयोग किया जाता है।
कैल्शियम कंपोनेंट डालकर बेस बनाया जाता है और डिस्टेंपर और इमल्शन तैयार किया जाता है। पेट में लगभग 30 प्रतिशत भाग गोबर होता है, जिसके घर में उपयोग करने के एन्टीबैक्टीरयल, एंटी फंगल, दुर्गंध मुक्त, नॉन-टॉक्सिक, फ्री फ्रॉम हैवी मेटल, नेचुरल थर्मल इंस्युलेशन जैसे आठ फायदे हैं। क्या पेट पूरी तरह ऑर्गेनिक है इसीलिए अभी तक उन्होंने लगभग 4000 लीटर पेंट बना कर बेच चुकी है।