Satara, Maharashtra: भारतीय कृषि प्रधान देश है, यहां अर्थव्यवस्था की रीड ही खेती किसानी है, लेकिन पिछले कुछ समय से किसान अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर खेती किसानी नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करना चाहते हैं। लेकिन एक बार फिर समय बदलाव और पारंपरिक तकनीक देश में लौट आई।
लॉकडाउन के समय परेशानियों से कोई नहीं बच सका। एक तरफ मौ-तों का तांडव मचा था, तो दूसरी तरफ लोगों का रोजगार छिना जा रहा था। महामारी से उभरने के बाद समाज में स्टार्टअप और आधुनिक खेती को बढ़ावा मिला। वर्तमान समय में लोग बड़ी-बड़ी नौकरियों को छोड़कर खेती किसानी की तरफ रुख कर रहे हैं। लोगों का खेती किसानी छोड़ने का एक और कारण था, केमिकल युक्त खेती।
किसान भाइयों ने भर भर के रसायनों का इस्तेमाल किया, जिससे जमीन बंजर हो गई फल स्वरुप लागत के हिसाब से फसल की उपज ना होने से उन्हें घाटा हो रहा था। तब कृषि वैज्ञानिकों ने रिसर्च की और जमीन के बंजर होने का कारण पता किया। इसका निवारण करने के बाद आधुनिक खेती याने जैविक खाद का इस्तेमाल कर की जाने वाली खेती का शुभारंभ हुआ।
दो सगे भाई ने किया कमाल
दोस्तों समाज में पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती याने फल सब्जी और कई प्रकार के ड्राई फ्रूट्स की खेती की जा रही है, जिसका उदाहरण है महाराष्ट्र के सतारा जिले के पलटन गांव के दो सगे भाई (Two Brothers), जो खेती करके लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।
अमोल अहिरेकर (Amol Ahirekar) और चंद्रकांत अहिरेकर (Chandrakant Ahirekar) समाज के लिए एक प्रेरणा है। अहिरेकर परिवार के दोनों भाई आठ एकड़ जमीन में अनार की खेती कर लगभग 80 से 90 लाख रुपए आराम से कमा लेते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने 20 से 25 महिलाओं को भी रोजगार दिया है, जिससे उनका घर और वे खुद आत्मनिर्भर बन रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस परिवार में लगभग 42 एकड़ जमीन है, जिसमें से वह लगभग 20 एकड़ जमीन में केवल अनार की खेती (Pomegranate Farming) करते हैं।
देश विदेश में होता है निर्यात
जानकारी है कि दोनों भाइयों ने 20 एकड़ जमीन में अनार के पौधे लगाए थे, जिनमें से लगभग 8 एकड़ जमीन में लगे लगभग 2200 पौधों में 300 ग्राम से 700 ग्राम तक के फल वाले अनार की उपज हुई। 8 एकड़ जमीन में लगभग 80 टन अनार के फल का उत्पादन हुआ।
इसी 80 तन अनार ने उन्हें लगभग 80 से 90 लाख रुपए का प्रॉफिट कमा कर दिया। इन दोनों भाई की फसल न केवल देश बल्कि, विदेशों में भी सप्लाई होता है। जी हां भारत के कई राज्यों के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश में भी भारत के अनार की सप्लाई होती है।
डेढ़ एकड़ से की थी शुरुआत
परिवार वालों का कहना है कि उनके पास मात्र डेढ़ एकड़ पुश्तैनी जमी थी। जिसमे उन्होंने वर्ष 1996 में पहली बार अनार की फसल लगाई। यह उनके लिए एक प्रयोग था, जो सफल रहा। डेढ़ एकड़ जमीन से उन्होंने लाखों रुपया कमाए जिससे 4 एकड़ जमीन खरीदी। उसमे भी अनार की फसल लगाई जिससे मुनाफा दो गुना हो गया।
इसी तरह हर फसल से लागत निकाल कर मुनाफे से जमीन खरीदी और आज उनकी जमीन 42 एकड़ हो गई। वर्तमान में वे 20 एकड़ जमीन पर अनार लगाते है और बाकी की जमीन पर गन्ने की खेती करते है।
पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार से की मुलाकात
जानकारी है की अहिरकर परिवार वर्ष 1996 से अनार की फसल आने के बाद पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार के लिए अनार के फल लेकर जाते है। इस वर्ष भी उन्होंने मंत्री से मुलाकात की ओर अनार के फल तोहफे में दिया। 700 ग्राम का एक फल देख कर शरद पवार भी दोनो भाइयों के फेन हो गए।
मुलाकात के में दोनो पार्टी ने लगभग 2 घंटे तक बात चीत की। मंत्री शरद पवार ने दोनो भाइयों से खेती के बारे में। जाना और उनका कहना है, काफी कुछ नया सुनने और सीखने मिला। साथ ही मंत्री ने उन्हें ईरान में फल निर्यात करने की सलाह भी दी।