Allahabad: हर किसी के जीवन का एक ही लक्ष्य होता है, पैसे कमा कर अच्छा जीवन जीना। कुछ लोग पैसे कमाने की दौड़ में काफी आगे होते हैं तो कुछ लोग काफी पीछे होते हैं। ज्यादातर लोग एजुकेशन को अपना हथियार बनाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो पढ़ाई लिखाई के अभाव के चलते अच्छा खासा व्यापार चलाते हैं।
एक पढ़े लिखे इंसान के लिए सबसे कठिन होता है मजदूरी करना क्योंकि उस व्यक्ति को छोटे से काम को करने में काफी शर्म आती है, वह सोचता है कि उसके बारे में लोग क्या सोचेंगे। आपको बताना चाहेंगे कि लोगों का काम होता है कहना और हमारा काम है कर्तव्य करते रहना।
यदि हम लगातार अपने काम के प्रति समर्पित रहेंगे और किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझेंगे तो हम 1 दिन इसी छोटे काम को एक बहुत बड़ा आयाम दे सकते हैं। अक्सर पढ़ा-लिखा युवा सोचता है कि बड़े पैकेज में जॉब (Job) मिलेगी और वह जॉब के माध्यम से ढेर सारा पैसा कमा सकेगा, परंतु आज के बेरोजगारी भरे समय में जॉब मिलना काफी कठिन होता है। महामारी के बाद से तो यह संघर्ष और ज्यादा बढ़ गया है।
इंजीनियर भाई की चाय मैगी दुकान
मध्य प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले सुधांशु (Shudhanshu) ने यूपी के प्रयागराज में खोली चाय और मैगी की दुकान है। आपको बता दें कि सुधांशु अच्छी तरह से 40000 RS की नौकरी नोएडा (Noida) की एक फाइनेंशियल कंपनी में कर रहे थे, परंतु उन्हें नौकरी में मजा नहीं आ रहा था।
वह अधिक इनकम चाहते थे। जिसके चलते उन्होंने अपना खुद का व्यापार खोलने का सोचा। सुधांशु ने इंजीनियर भैया की चाय मैगी (Engineer Bhaiya Ki Chai Maggie) के नाम से एक चलती फिरती दुकान खोली।
मजेदार बात यह है कि उनका व्यापार दिन दुगना रात चौगुना तरक्की पर है। उन्होंने काफी आसानी से अपने व्यापार में सफलता हासिल कर ली है, आज वह दिन भर में 3000 से 4000 RS यूं ही कमा लेते हैं। सुधांशु कहते हैं कि उन्होंने 3 महीने के भीतर ही लाखों रुपए कमा लिए जो एक बहुत बड़ी सफलता है।
माता-पिता की ख्वाहिश पर खरे नहीं उतर सके
सुधांशु बताते हैं कि वे मध्य प्रदेश के हैं, परंतु उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के नैनी इलाके में किराए से निवास कर रहे हैं और वही वह अपना व्यापार चला रहे हैं। सुधांशु कहते हैं कि उनके पिता पेशे से सरकारी कर्मचारी हैं और उनकी ख्वाहिश थी कि उनका बेटा भी एक सरकारी कर्मचारी बने परंतु ऐसा हो ना सका।
उन्होंने अच्छी खासी पढ़ाई कर रखी है वे प्रयागराज के हंसवाहिनी कॉलेज से सिविल में डिप्लोमा किया है और 6 महीने का फाइनेंस एंड एकाउंट का कोर्स किया है। इसके बाद उन्होंने अपने नॉलेज के बिहाव पर नोएडा की एक फाइनेंशियल कंपनी में नौकरी प्रारंभ करती थी।
काम के मुताबिक नहीं मिल रही थी सैलरी
सुधांशु बताते हैं कि प्राइवेट कंपनियों में टारगेट के हिसाब से काम पूरा किया जाता है हर दिन कंपनी टारगेट देती है और एंपलॉयर्स को उस टारगेट को पूरा करना होता है। सब कुछ बढ़िया चल रहा था बे हर दिन अपना टारगेट पूरा कर समय पर काम पूरा कर देते थे।
परंतु इस महंगाई के समय में उन्हें जो सैलरी मिल रही थी, उसमें से वह अपना खर्चा निकालने के बाद कुछ बचा नहीं पाते थे, इसलिए उनके दिमाग में हमेशा यही बात आती थी कि उन्हें शेविंग भी करनी है, परंतु उस हिसाब से उन्हें सैलरी नहीं मिलती। तब उन्होंने व्यापार करने का मन बनाया और 2 साल नौकरी करने पर जो थोड़ा बहुत पैसा जुड़ा हुआ था उस पैसे से उन्होंने व्यापार की शुरुआत की।
ई-रिक्शा को दिया दुकान का स्वरूप
आगे सुधांशु बताते हैं कि नौकरी छोड़ जब उन्होंने व्यापार करने का फैसला लिया तो सबसे पहले उनके दिमाग में आया कि उन्हें किस चीज का व्यापार करना चाहिए। तब उनके दिमाग में आया कि इस समय खाने पीने की चीजों में काफी ज्यादा मुनाफा है, तो उन्होंने जो 200000 RS की रकम जोड़ी हुई थी।
उन पैसों से एक ई रिक्शा खरीदा और उसे मॉडिफाई करा कर एक दुकान का स्वरूप दिया। ई-रिक्शा से उन्होंने एक चलती फिरती दुकान तैयार कर ली इन 200000 RS में उनके पास एक काफी अच्छा सेटअप बन गया।
दोस्तों ने निभाई दोस्ती
सुधांशु बताते हैं कि व्यापार के शुरुआती दिन उनके लिए काफी कठिन थे, परंतु उनके दोस्तों ने उनके इस व्यापार में भरपूर साथ दिया। वे रोजाना उनकी दुकान पर आते और 100 से 200 RS का नाश्ता कर उसके बनाए हुए प्रोडक्ट की काफी तारीफ करते और मजेदार बात यह है कि सुधांशु के दोस्त सभी चीजों का पूरा बिल देते थे।
सुधांशु कहते हैं कि यदि लोगों को कुछ बड़ा करना है, तो उन्हें अपने जीवन में एक बार रिस्क लेना ही पड़ता है नहीं तो वह जहां है उसी में सीमित रह जाते हैं, व्यक्ति यदि कुछ साल मेहनत करें तो वह जीवन भर सुखी रह सकता है।