
Patna: बिहार हर मामले में सबसे आगे है। यहां के हर व्यक्ति का दिमाग अलग-अलग तरह से चलता है। बिहार के ज्यादातर लोग शिक्षा के क्षेत्र में आगे होते है। ऐसा माना जाता है की बिहार (Bihar) में व्यापार की बहुत ज्यादा कमी थी, परंतु अब बिहार व्यापार में भी अपना योगदान दे रहा है।
इस राज्य में ज्यादातर लोग खेती किसानी सपना परिवार पालते हैं, परंतु वर्षों से चली आ रही पारंपरिक खेती के चलते जमीन की उर्वरा शक्ति लगभग समाप्त हो गई है, जिसके चलते किसान केवल खाना खर्चा ही अपनी फसलों से निकाल पाता है, उससे ज्यादा नहीं।
इस वजह से ही है राज्य थोड़ा पिछड़ भी गया था, परंतु यह कि लोगों ने अपने राज्य को आर्थिक मजबूती लेने के लिए तरह-तरह के व्यापार की शुरुआत की जिसमें काजू प्रोसेसिंग यूनिट (Cashew Processing Unit) भी शामिल है। व्यापार करने के नजरिए से यहां के लोगों ने अपने राज्य को आर्थिक रूप से काफी मजबूत बना लिया है। दोस्तों आज हम बिहार के उस बेटे की बात करेंगे, जिसने काजू प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर राज्य के कई लोगों को रोजगार प्रदान किया है आइए बात करें उस व्यक्ति के विषय में।
इंजीनियर पास बिहार का युवक
बिहार राज्य के अंतर्गत आने वाला मधुबनी (Madhubani) जिले के बेनीपट्टी के बाजितपुर गांव से तालुक रखने वाले अभिषेक कुमार (Abhishek Kumar) पेशे से इंजीनियर है। ये वही व्यक्ति जिसने इंजीनियर की लगी लगाई नोकरी छोड़ कर काजू प्रोसेसिंग की यूनिट लगाई है। इस यूनिट में करीब 60 से 70 लोग काम करते है।
अभिषेक ने 24 लोगो को जॉब दी और 50 महिलाएं और पुरुषों रोजगार का साधन दिया है। आज अभिषेक के कारण बिहार राज्य के छोटे से गांव बाजितपुर में सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं। अभिषेक इस कारोबार से आज वे पूरे गांव में एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।
अभिषेक की शुरुआत
जानकारी के अनुसार अभिषेक ने काजू प्रोसेसिंग यूनिट (Cashew Nut Processing Unit) लगाने से पहले मुंबई के एक नामचीन कंपनी में 10 वर्ष तक इंजीनियर की जॉब की है। परंतु उस काम में अभिषेक का मन नहीं लग रहा था, वे कुछ बड़ा और अच्छा करना चाहते थे। उस कंपनी से अच्छा खासा पैकेज मिल रहा था, परंतु वह पैकेज स्थिर था, जिसकी वजह से वह अपनी इनकम और काम को बढ़ाना चाहते थे।
इन्हीं सब उधेड़बुन के बीच अभिषेक अपने गांव लौट आए और व्यापार करने के विषय में सोचने लगे। वे घर में रहकर ही थोड़ा बहुत कुछ कर रहे थे। इसी दौरान महामारी की दस्तक हुई और देश में लॉकडाउन की स्थिति बन गई। लॉकडाउन के समय ढेरों लोगों के रोजगार छिन गए। इस स्थिति को देखते हुए अभिषेक के दिमाग में समाज के लिए कुछ करने का विचार आया जिससे डे भी समृद्ध रहे और लोगों को भी रोजगार मिल सके।
मुंबई के अनुभव से लगाई बिहार में यूनिट
लोक डॉन की स्थिति में होने वर्क फ्रॉम होम करने का विचार किया वह अपने घर से ही काजू प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए काम कर रहे थे। आखिरकार उन्होंने वर्ष 2020 में बिहार की पहली काजू प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। अभिषेक के लिए पहली और बड़ी समस्या थी कि उनके गांव में काजू की खेती नहीं होती थी, इसीलिए वे मुंबई और मध्य प्रदेश से कच्चा माल आर्डर करते थे।
अपने गांव में प्रोसेस करके उसे लोगों तक पहुंचाने का कार्य करते। काजू की प्रोसेसिंग करने के बाद उसकी कीमत में काफी इजाफा हो जाता है और उसकी डिमांड भी बढ़ जाती है। उनकी यूनिट से बिहार के उस गांव में एक रोजगार का साधन बन गया।

इसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही सृजन योजना से उन्हें 2500000 रुपए की लोन मिली और खेतों को बेच कर उन्होंने 2000000 रुपए और जुटाए और इन पैसों को अपने बिजनेस में इन्वेस्ट कर दिए। 4 से 5 महीनों में उनका काम दौड़ने लगा और सारा इन्वेस्ट किया हुआ पैसा उन्होंने कवर कर लिया।
शुरुआत लोगों से मिले तानों से हुई
अभिषेक बताते हैं कि उनका संघर्ष का दौर काफी कठिन था, उन्होंने की सफलता 1 दिन की नहीं बल्कि कई वर्षों की है। उन्होंने कई वर्षों तक संघर्ष किया संघर्ष के दौर पर लोग उनका मजाक भी उड़ आते थे और ताने भी मारते थे, कुछ लोग तो यह भी कहते थे कि यह लड़का अच्छी खासी नौकरी छोड़ गांव लौट आया है ना जाने अब उसका क्या बनेगा।
लोगों की बात को इग्नोर करते हुए अभिषेक ने लगातार अपने कार्य की तरफ प्रगति करते रहे और वह बताते हैं कि आज वही लोग जो कुछ समय पहले ताना मारा करते थे। वही उनके यहां नौकरी करते हैं। अभिषेक आगे बताते हैं कि प्रोसेस किया हुआ काजू बाहर से मंगाने पर 1000 रुपया किलो मिलता है और बिहार में अभिषेक के द्वारा किया गया प्रोसेस काजू 800 RS प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिल जाता है। ऐसे में व्यापारियों को काफी ज्यादा फायदा भी हो रहा है।