भारत के इस किले पर ट्रैकिंग करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है, खूबसूरती देख हैरान रह जाएंगे

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Harihar fort
All you need to know about Harihar Fort Trek. Harihar Fort is a historic fort located in the Nashik district of Maharashtra, India.

Nasik: भारत में तरह-तरह के किले महल और जगह है, जहां अक्सर पर्यटक लोग विजिट करते हैं और वहां अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। भारत के सभी जगह अपने आप में खास और खूबसूरत है सभी जगह अपनी अपनी खूबसूरती और विशिष्टता के लिए जानी जाती।

लोगों को एडवेंचर काफी पसंद आता है, कुछ लोग एडवेंचर के नाम पर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं, तो कुछ लोग जंगलों में घूम फिर कर वहां के जंगली जानवरों और उस जंगल की खासियत के बारे में जानते हैं। आसमान से लेकर जमीन की गर्त तक लोगों के लिए एक एडवेंचर की दुनिया है।

लोगों को ऊंचाई से कूदना या समुद्र के गर्त में खोजबीन करना एडवेंचर का एक हिस्सा लगता है। कुछ लोगों को इन सब चीजों में बहुत मजा आता है, तो कई बार यह चीजें खतरनाक भी साबित हो जाती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ऐसे किले के बारे में बताएंगे जिसे मौत का किला भी कहा जाता है तो आइए जाने विस्तार से।

महाराष्ट्र का हर्ष गढ़ किला

आज हम आपको भारत के एक ऐसे किले के बारे में बताएंगे जहां ट्रैक करना आसान बात नहीं है। लोगों का कहना है कि जो भी व्यक्ति इसकी चढ़ाई करता है, तो उसका जिंदा वापस आना बहुत ही ज्यादा कठिन होता है और यदि कोई भी व्यक्ति वापस आ गया तो उसे कहते हैं कि मृत्यु के मुंह से वापस आया है यानी मृत्यु को छू कर वापस आया है।

Harihar fort trek

आज हम आपको इस खतरनाक किले (Danger Fort) और यहां की खासियत को विस्तार से बताएंगे। आपको बता दें यह किला महाराष्ट्र के पुणे मुंबई रूट पर बनाया गया है। इस किले का नाम हर्ष गढ़ का किला या हरिहर किला (Harihar Fort) है। यह जमीन में नही बल्कि पहाड़ों पर बनाई गई है, ​​हर्षगढ़ (Harshgadh) यानि हरिहर किला आज से 1000 वर्ष पहले यादव वंश के राजाओ के द्वारा खोजा गया था। बाद में अहमदनगर के निजाम शाह ने उस पर अपना अधिपत्य कर लिया।

चट्टान को काटकर निर्मित किया गया किला

जानकारी के मुताबिक इस महल को चट्टान की कटाई से निर्मित किया गया है, इस किले का रास्ता काफी टेढ़ा मेढा और सकरा है। बताया जा रहा है इसकी चढ़ाई कही कही 90 डिग्री भी हो जाती है। जिसकी वजह से इस किले की चढ़ाई काफी कठिन मानी जाती है। कोई भी व्यक्ति यदि इस किले की चढ़ाई (Harihar Fort Trek) करने के बारे में सोचता है, तो वह अपने जीवन की कोई परवाह ना करते हुए चढ़ाई करता है।

लोगों का मानना है कि इससे केले की चढ़ाई करने के लिए लोगों को बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है। सावधानी हटी और दुर्घटना घटी जैसी कहावत इस किले की चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए एकदम सही साबित होती है। यह रास्ता काफी ज्यादा खतरनाक है, इसीलिए लोगों का कहना है कि जो भी इस किले की चढ़ाई करता है वह मौत के मुंह में जाने की तैयारी करता है।

ट्रैकिंग का ठीक समय

सबसे ऊंची चट्टान में स्थित होने की वजह से इस किले में ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही पानी की। किले की ट्रेकिंग के लिए सबसे खतरनाक समय बरसात का मौसम माना जाता है, क्योंकि ऊंची चट्टान पर बसे होने की वजह से आसमान के नजदीक होता है, जहां बिजली गिरने का खतरा काफी ज्यादा होता है और पानी गिरने की वजह से फिसलन भी काफी ज्यादा हो जाती है।

यदि आप इस किले को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आपके लिए इस जगह पर जाने का बेस्ट समय अक्टूबर से मई के बीच होता है ठंड के मौसम में और गर्मियों के मौसम में यह जगह थोड़ी कम खतरनाक होती है।

जाने का रास्ता

तो आइए अब हम इस किले तक पहुंचने के रास्ते के बारे में बात करेंगे। दोस्तों आपको बता दें यह ट्रैकिंग की शुरुआत हरसवाडी और निर्गुदपाड़ा गांवों से शुरू होता है। इस किले की चढ़ाई लगभग 90 डिग्री तक खड़ी है। जिस वजह से अनुभवी ट्रैकर्स भी इस चढ़ाई को काफी मुश्किलों से चढ़ पाते हैं, यह पहाड़ चौकोर और प्रिज्म की तरह दिखाई देता है।

इसकी ऊंचाई 170 मीटर है। इस पहाड़ी को चलने के लिए 117 सीटों का भी निर्माण किया गया है। जो पहाड़ों से अंदर जाते हुए सीधे केले के शीर्ष पहुंचती है। यदि आपका मन भी ट्रेकिंग करने का है और आप भी हरिहर केले की पैकिंग करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको महाराष्ट्र नासिक तक ट्रेन से सफर करना होता है। यहां से 60 किलोमीटर की दूरी पर कसारा रेलवे स्टेशन है। जहां से आप बस टैक्सी या फिर कैब की मदद से निर्गुडपाड़ा गांव पहुंचकर ट्रैकिंग शुरू कर सकते हैं।

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