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Kolar: भारत एक ऐसा अनोखा देश है, जहां हर एक देश में इंसान को हैरान कर देने वाले भव्य मंदिरों का निर्माण किया गया है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो ना ही सिर्फ अपने प्राचीन के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि शिल्पकला के लिए भी पूरे विश्व में मशहूर हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है। यह मंदिर अपने इतिहास, मान्यता और रोचक तथ्यों के वजह से पूरे विश्व में मशहूर है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोगों का यह मानना है कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण संभा शिव मूर्ति और उनकी पत्नी वी रुक्मिणी ने लगभग साल 1980 के आसपास करवाया था। कहा जता है कि प्रारंभ में इस स्थान पर पहले पांच शिवलिंग (Shivlinga) फिर एक सौ एक शिवलिंग और फिर एक हज़ार एक और ऐसे ही करते-करते आज यहां लगभग 1 करोड़ शिवलिंग स्थापित हैं।
हालांकि वर्ष 2018 में संभा शिव मूर्ति यानि स्वामी जी का देहांत हो गया है, तब से यहां उपस्थित अन्य अधिकारी शिवलिंग लगाते रहे हैं। कहा जाता है कि स्वामी जी चाहते थे कि यहां करोड़ों शिवलिंग की स्थापना हो। यूं तो आपने महादेव (Mahadev) के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे, उनके कई रूप भी देखे होंगे। जरा गौर कीजिए अगर मंदिर का आकार ही महादेव की महिमा सुनाए।
कोटिलिंगेश्वर मन्दिर कोलार, कर्नाटक
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हमारे देश में सभी देवी देवताओं के अनोखे और बेहद मशहूर मंदिर कई स्थानों पर स्थापित हैं। सभी मंदिरों में कोई न कोई अनूठी बात ऐसी देखने को मिलती है जो उनको सभी मंदिरों से अलग बना देती है। दक्षिण भारत (South India) में ऐसा ही अपने आप में एक अनोखा मंदिर है कोटिलिंगेश्वर (Kotilingeshwara Swamy Mandir)। जैसा कि नाम से ही लग रहा है, एक करोड़ शिवलिंग।
एक करोड़ शिवलिंग स्थापित करने की अनूठी पहल के अंतर्गत इस मंदिर का निर्माण किया गया है और यहां अब तक लाखों शिवलिंग की स्थापना हो चुकी है। दूर दूर से लोग मंदिर की भव्यता को देखने आते है। माना जाता है कि यहां आकर मनोकामना पूरी होने पर भक्त भी अपना शिवलिंग स्थापित करवा सकते हैं।
पौराणिक कथा
मान्यताओं पर विचार करे तो कहा जाता है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ज्ञानी ने श्राप दिया था, तो उन्होंने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया था। श्राप से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने 10 लाख नदियों से जल लेकर आये थे, इसी जल से शिवलिंग का अभिषेक किया था और तब से लेकर आज तक ये शिवलिंग यही पर विराजमान है।
कोटिलिंगेश्वर मंदिर कर्नाटक
यह मंदिर कर्नाटक के कोलार जिले मै स्थित हैं मंदिर में मुख्य शिवलिंग के साथ 1 करोड़ शिवलिंग स्थित हैं मुख्य शिवलिंग की ऊंचाई 108 फिट हैं और सामने बने नन्दी की ऊंचाई 35 फिट हैं मंदिर निर्माण 10 वी शताब्दी मै हुआ हैं इस मंदिर के अलावा 11 और आस पास हैं pic.twitter.com/t9kbFhSjmW— .. (@Aku2511) May 2, 2021
कोटिलिंगेश्वर मंदिर (Kotilingeshwara Temple) कर्नाटक के कोल्लार ज़िले के काम्मासांदरा नामक गाँव में स्थित है। भगवान भोलेनाथ का एक अद्वितीय और अति विशाल शिवलिंग के रूप में विराजमान है, जिसके लिए यह मंदिर प्रसिद्ध हैI भोलेनाथ के इस विशाल शिवलिंग को पूरी दुनिया में ‘कोटिलिंगेश्वर’ के नाम से जाना जाता है। चारों तरफ़ छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह प्रतीक पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में अपना बसेरा बनाया हुआ है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहाँ दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर की स्थिति तथा निर्माण
कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 कि.मी. दूर द्रक्षारमम मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के समीप में ही है। दशवीं शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का यह मंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ पूरे साल बड़ी संख्या में भक्तगण आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मनुष्य अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है।
शिवलिंग की विशालता
इस विशाल शिवलिंग के सामने नंदी भव्य और विशाल रूप में दर्शन देते हैं, जिसकी ऊंचाई 35 फुट है और वह 60 फुट लंबे, 40 फुट चौड़े और 4 फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थित हैं। इस विशाल शिवलिंग के चारों ओर देवी मां, गणेश, श्री कुमारस्वामी और नंदी महाराज की मूर्तियां ऐसे स्थापित हैं, जैसे वे अपने आराध्य देव को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हों। मंदिर का यही सबसे अलग बना देता है। भक्तों का मन्नत पूरी होने की मान्यता है। दूर-दूर से हजारों भक्तों को यहां खींच लाती है।
कर्नाटक के कोलार जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग मौजूद है, जिसके चारों तरफ मौजूद करोड़ों शिवलिंग, शिव के प्रति उनके भक्तों की भक्ति की अनूठी कहानी सुनाते हैं। इसे कोटिलिंगेश्वर धाम कहते हैं। … मंदिर के शिवलिंग की ऊंचाई 108 फीट है। हर हर महादेव 🙏 pic.twitter.com/4k0jqNt5EE
— निक्की पटेल🇮🇳 (@NikkiPa63401952) May 16, 2021
मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही कोटिलिंगेश्वर की मूर्ति (Statue Of Kotilingeshwara) में भक्तों को साक्षात महादेव के दर्शनों की अनुभूति होती है और कोटिलिंगेश्वर रूप में शिवशंकर अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए आतुर दिखाई देते हैं। इस पूरे मंदिर परिसर में कोटिलिंगेश्वर के मुख्य मंदिर के अलावा 11 मंदिर और भी हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु, अन्नपूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी,पंचमुख गणपति, राम, लक्ष्मण, सीता के मंदिर मुख्य रूप से विराजमान हैं।
मान्यता और लोगो का विश्वास
भक्तों की मान्यता है कि मंदिर परिसर में उपस्थित दो वृक्षों पर पीले धागे को बांधने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। अधिकतर शादी विवाह में आने वाली बाधा दूर हो जाती हैं। मंदिर की तरफ से भी निर्धन परिवारों की कन्याओं का विवाह बिना कोई पैसा लिए फ्री में करवाया जाता है। सारी व्यवस्था मंदिर की तरफ से की जाती है। वहीं, दूर-दूर से आने वाले भक्तों के रहने, खाने-पीने का भी यहां उचित बंदोबस्त किया जाता है।
महाशिवरात्रि पर तो इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। इतना मनमोहक नजारा होता है। अपने आराध्य देव को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पण कर पुण्य लाभ कमाने वाले भक्तों की संख्या दो लाख के करीब तक पहुंच जाती है। प्रसिद्ध मान्यता यह है कि गौतम ऋषि के शाप से बचने के लिए भगवान इंद्र ने इस जगह पर शिवलिंग का निर्माण किया था। यह जगह कोतिलिंगेश्वरा के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक भगवान शिव के भक्त इस मंदिर में अपने नाम से शिवलिंग स्थापित करवा सकते हैं। यूं तो पूरे भारत में भगवान शिव के कई अद्भुत और आश्चर्यजनक मंदिर स्थित हैं, लेकिन कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोतिलिंगेश्वारा स्वामी मंदिर अपने इतिहास और मान्यता के लिए पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाये हुये है।
महाशिवरात्रि पर मनमोहक नजारा
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के पर्व पर यहां श्रद्धालुओं की बड़ी तादात देखने को मिलती है। इस दिन इस मंदिर की सजावट लोगों के दिलों में घर कर जाती है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में करीब एक करोड़ शिवलिंग स्थापित किए गए हैं और यहां 108 फीट ऊंची मूर्ति है जो इस स्थान का मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी है।
शून्य से भी सूक्ष्म है, आकाश से अनंत है
तू मर्म पूरी सृष्टि का, तू आदि तू ही अन्त है !!
~कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक। pic.twitter.com/t1CpgiE5oZ— Vyas (@soil_Legion) June 24, 2021
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 1980 में संभा शिव मूर्ति और उनकी धर्मपत्नी वी रुक्मिणी ने कर्नाटक (Karnataka) के कोलार (Kolar) जिले में उपस्थित कमसमंद्रा गांव में मंदिर (Temple) का निर्माण करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि पहले इस मंदिर में 5 शिवलिंग मौजूद थे, जिसके बाद यह संख्या बढ़कर 1 करोड़ हो गई।
अद्भुत है मंदिर का आकार
कोतिलिंगेश्वारा स्वामी मंदिर में 108 फीट ऊंचा शिवलिंग मौजूद है, जो इस स्थान का मुख्य आकर्षण माना जाता है। जो भक्त अपने नाम से इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना करवाना चाहते हैं, वह उनका शिवलिंग 1 से 3 फीट ऊंचा होना चाहिए। हर साल इस मंदिर में श्रद्धालु भारी तादात में भगवान शिव (Bhagwan Shiva) के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि के शुभ पर्व पर इस मंदिर का परिसर श्रद्धलुओं से भरा दिखाई देता है।
कर्नाटक में कोलार जिले के गांव काम्मासांदरा में बसा है कोटिलिंगेश्वर धाम मंदिर। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां मुख्य शिवलिंग जिसकी ऊंचाई 108 फीट है के चारों ओर 1 करोड़ से अधिक छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित किए गए हैं।
— हम लोग We The People (@humlogindia) August 11, 2020
जो लोग भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, वह यहां मौजूद पेड़ों पर पीले धागे जरूर बांधते हैं। कोतिलिंगेश्वारा स्वामी मंदिर (Kotilingeshwara Swamy Temple) के साथ यहां 11 और भी अद्भुत मंदिर मौजूद हैं, जो भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और वेंकटरमानी स्वामी समेत कई और भगवान को समर्पित हैं। इस मन्दिर की भव्यता भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।