दीपावली लोगों के जीवन में उमंग और उल्लास लेकर आता है। मुख्य त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन असंख्य दीपों से रोशनी की जाती है। इसलिए इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता हैं।
कैसे हुई दिवाली की Starting
प्राचीन भारत में दीपावली मनाए जाने के प्रमाण आज भी जीवित हैं। हालांकि यह कहा जाता है कि इसकी Starting फसल के त्योहार के रूप पर हुई। इसकी Starting को लेकर कई तथ्य प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन देवी लक्ष्मी का विवाह श्रीहरि विष्णु के साथ हुआ, वहीं कई इसे उनके जन्मदिन के रूप पर मनाते हैं।
बंगाल में यह पर्व काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा होती है। जैन धर्म में इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में उत्साह के साथ मनाया जाता है। ग्रंथो के मुताबिक यह पर्व भगवान राम की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी से भी जोड़ा जाता है।
भगवान् राम और अयोघ्या से दिवाली का नाता
लोगो की मान्यता है कि इस दिन श्री राम के अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने दिए जलाकर उनका स्वागत किया। घर में सुख-समृद्धि के लिए वास्तु के मुताबिक दरवाजों पर तोरण लगाए जाते है। घर के आंगन को रंगोली से सजाया जाता है। इस त्योहार की Starting धनतेरस से हो जाती है। इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है।
लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते है। नई वस्तुएं घर में लाते हैं। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है। ग्रंथो के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीकृष्ण व उनकी भार्या सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध करके उसका विनाश किया था। तीसरे दिन दीपावली का त्यौहार आता है। अमावस्या के दिन लोग घर में समृद्धि और सुख के लिए देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं।
राजा बलि और दिवाली के दिन का नाता
पौराणिक कथा में यह भी माना जाता है कि इस दिन राजा बलि भी धरती पर आकर प्रकट होकर प्रकाश फैलाते हैं। जिनको भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में पाताल लोक प्रस्थान कर दिया था। चौथे दिन यम द्वितीया मनाई जाती है, इस दिन बहनें भाईयों को अपने घर बुलाकर टीका लगाती है। इसलिए यह भाई दूज के नाम से भी प्रसिद्ध है। पांचवें दिन गोवर्धन पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को चूर चूर कर दिया था।