Lucknow: हर व्यक्ति कि ख्वाहिश सिर्फ इतनी होती है कि वह अपने जीवन में इतने पैसे कमाए कि उसका जीवनयापन अच्छी तरह से हो पाये। लेकिन कभी कभी जिंदगी अचानक ही मोड़ ले लेती है। आज कि हमारी कहानी चंदा सिंह कि है। जिन्होंने पूरे 16 साल नौकरी की उसके बाद उन्होंने नौकरी छोडकर अपना खुद का व्यवसाय करने का डिसिजन लिया।
जब उन्होंने यह डिसिजन लिया तब उन्हें यह नहीं पता था, कि वह कितनी सक्सेसफुल होंगी। परन्तु आज यह स्थिति है कि वह 100 करोड़ के क्लब मे शामिल होने वाली है। जी हॉं आज चंदा सिंह करोड़ो कि माल्किन बन गई है। आखिर कैसे चंदा सिंह (Chanda Singh) ने पाई इतनी बड़ी सक्सेस आइये जानते है।
एक्स पी एण्ड डी कंपनी (XP&D) का नाम तो आप सभी ने सुना होगा। इस कंपनी कि फाउंडर चंदा सिंह (XP And D Company Founder) है। यह कंपनी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है। जिसके सेंटर गुड़गॉंव, मुंबई तथा दिल्ली में है।
यह कंपनी बड़ी बड़ी कंपनियॉं जेसे टाटा मोटर्स, मर्सिडीज, बीसीसीआई से लेकर माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का भी इवेंट आर्गेनाइज करती है। आखिर कैसे चंदा सिंह ने इतनी बड़ी कंपनी कि शुरूआत कि कहॉं से उनके मन में यह कंपनी शुरू करने का विचार आया आइये इस पोस्ट के जरिये जानते है।
चंदा सिंह जिन्होंने शुरू कि एक्स पी एण्ड डी कंपनी
चंदा सिंह का जन्म यूपी में सन् 1979 को हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार मे जन्मी थी। उनका मन शुरू से ही पढ़ाई में नही था। वह दूसरी चीजों पर एक्टिविटी पर ज्यादा फोकस किया करती थी। स्पोर्ट्स, डांस, म्यूजिक, ड्रामा यह सब उन्हें खूब भाता था।
चंदा जी के परिवार में वह एक लौती थी, जिन्हें साइंस सब्जेक्ट में बिल्कुल भी रूचि नही थी। 1998 में बारहवी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चंदा सिंह जी दिल्ली कॉलेज में ग्रेजुएशन करने के लिये आई। यहॉं पर भी वह पढ़ाई से ज्यादा थिऐटर, स्ट्रीट प्ले इन सब पर ध्यान देती थी।
जब उनसे आगे क्या करना है का सवाल पूछा जाता था। तो वह हंसते हुये कहती थी। कि जो इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बनते है वह मास कम्यूनिकेशन कि पढ़ाई करके एक पत्रकार बनते है। लेकिन मुझे इसमें भी कोई इंटरेस्ट नही है।
मुंबई कॉलेज से हुआ कैंपस सेलेक्शन
दिल्ली से जब चंदा का ग्रेजुएशन हुआ तो वह पूणे में आकर बिजनेस एंड मीडिया कॉलेज में पढ़ने लगी। क्योंकि जैसे कि चंदा सिंह को डॉक्टर, इंजीनियर या फिर पत्रकार बनने में कोई इंटरेस्ट नही था। उन्हें सोशल इवेंट्स मे भाग लेना ज्यादा पसंद था।
ऐसे में इवेंट मैनेजमेंट ही उनके लिये सबसे सही प्रोफेशन था। इसे ही ध्यान में रखकर वह पूणे आ गई। यहां से ही उनका कैंपस में सेलेक्शन हुआ और उन्होंने नौकरी करना शुरू कर दिया। हालांकि चंदा सिंह जी मुबई सिर्फ अपना कोर्स करने आई थी। लेकिन इस शहर मे आने के बाद उनका अपने शहर वापस आना हो नहीं पाया।
नौकरी छोड़ कंपनी कि शुरूआत की
2003 में चंदा सिहं कि नौकरी लगी जो कि 12000 रूपये कि थी। जिसे उन्होंने 2019 में छोड़ा। जब उन्होंने यह नौकरी छोड़ी तब वह हर महीने चार रूपये कमाती थी। इसे छोडकर चंदा ने अपनी कंपनी शुरू कर दी। नौकरी छोड़ना उनके लिये फायदे का सौदा हुआ।
उन्हें इनकंपस में 16 साल कि नौकरी का अनुभव था। लगातार 16 साल एक ही कंपनी में नौकरी करने कि वजह से उनके लोगों से काफी अच्छे संबंध भी थे। ऐसे में जब उन्होंने एक्स पी एण्ड डी इवेंट मेनेजमेंट कंपनी को शुरू किया तो पुराने बहुत से क्लाइंट भी उनके साथ आ गये।
100 करोड़ के क्लब में होने वाली है सम्मलित
उन्होंने कंपनी को शुरू करने के लिये 4 करोड़ रूपये कि फंडिंग भी ली और सिर्फ 12 लोगों से ही अपनी कंपनी शुरू कर दी। पहला इवेंट उनका बहुत ही सक्सेसफ़ल रहा। लेकिन लॉकडाउन के समय में उनकी कंपनी प्रभावित होने लगी।
ऐसे में चंदा सिंह जी ने तुरंत ही अपने सभी कार्य ऑनलाइन कर दिये। उन्होंने कंपनी के सेमिनार, वर्कशॉप और लेक्चर्स सभी ऑनलाइन किये। जिससे उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ा।
सिर्फ 11 महीने में ही चंदा जी कि कंपनी का टर्नओवर 60 करोड़ हो गया था। धीरे धीरे उनकी कंपनी का कार्य इतना अधिक तेजी से बढ़ रहा है कि ऐसा अनुमान लगाया जहा रहा है कि 2022 के अंत आते तक उनकी कंपनी 100 करोड़ के क्लब में अपना नाम दर्ज करवा लेगी।
बड़ी बड़ी कंपनिया है इनकी क्लाइंट
अभी कि बात करें तो एक्स पी एण्ड डी कंपनी बीसीसीआई, मर्सिडीज, हुंडाई, एशियन पेंट्स, माइक्रोसॉफ्ट, टाटा मोटर्स इनके इवेट आयोजित करती है। सिर्फ 3 साल के ही कम समय में चंदा जी कि कंपनी ने विदेश जैसे मालदीव, कनाडा और मिलान जैसे इंटरनेशनल इवेंट भी आयोजित किये है। इस कंपनी ने आईपीएल का रिले इंवेट भी किया है।
पति, पिता और मेंटर के भरोसे ने बनाया इतना सक्सेसफुल
चंदा कहती है कि उनकी सफलता में उनके पिता, पति और और उनके मेंटर का बहुत ही बढ़ा हाथ रहा है। उनके परिवार मे कभी भी किसी ने बिजनेस नहीं किया था। जब उन्होंने नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू करने का डिसिजन लिया, तो इन तीनों नें ही उनका हौसला बढ़ाया।
सब ने उनसे यही कहॉ कि तुम जो भी करोगी, उसमें जरूर सफल होगी। हम हमेशा ही तुम्हारे साथ रहेंगे। हमने यह लाइन तो सुनी है कि एक सफल आदमी के पीछे एक स्त्री का हाथ अवश्य होता है। लेकिन चंदा जी कि कहानी जानकर हमें यह लगता है कि इस कहावत को बदलकर यह कर देना चाहिए कि एक सफल औरत के पीछे एक पुरूष का हाथ अवश्य होता है।
चंदा जी को खुद पर पूरा विश्वास था। यही कारण है कि वह इतनी सफल हो पाई। हालांकि यह अभी उनकी शुरूआत है, अभी उनकी सफलता कि और भी कहानी आयेंगी। वह आगे और भी सफल हो बस यही हम कामना करते है।