MP में मज़दूर के बेटे ने पेट पालने के लिए सब्जी का ठेला लगाया, अब ऐसे जज साहब बन गया

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Shivakant Kushwaha
Madhya Pradesh vegetable seller Shivakant Kushwaha became Civil Judge. Sabziwala clear civil judge exam in Satna MP.

Photo Source: Twitter

Satna: इस दुनिया मे बहुत से ऐसे लोग देखने मिलते है। जिनको दुनिया की सारी सुख सुविधा होने के बावजूद भी वह कुछ करके नही दिखाते या अपनी मंजिल तक नही पहुंच पाते। लेकिन कुछ लोगो की जिंदगी ऐसी होती है। जो कई संघर्ष के बाद भी अपना सपना सच कर दिखाते है।

यह कहावत बिल्कुल सच साबित हुई है, एक सब्जी का ठेला (Vegetable Stall) लगाने वाले शख्स के साथ। उन्होंने अपने जीवन मे आने वाले कई तकलीफ़ो का सामना कर आज अपने सपनो को पुरा किया है। आइए आज हम उन्ही के बारे मे बात करेंगे।

शिवाकान्त कुशवाहा का जीवन परिचय 

आज हम जिनके बारे मे बात करने वाले हैं। उस शख्स नाम है शिवाकान्त कुशवाहा (Shivakant Kushwaha) जो मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के अमरपाटन गाँव जो कि सतना जिले के अंतर्गत आता है। उससे ताल्लुक रखते हैं।

बता दे कि शिवाकान्त कुशवाहा ने दसवी बार कोशिश कर आज यह सफ़लता प्राप्त की है। क्योंकि उन्होने इससे पहले 9 बार भी प्रयास किया था। लेकिन इसमे उनको सफ़लता हासिल नही की थी।

कहते हैं कि जो असफ़लता को अपने गले लगाते है। वह एक दिन सफ़ल होकर ही रहते हैं और कुछ ऐसा ही हुआ शिवाकान्त के साथ। क्योकि इतना इंतजार हर किसी के बस की बात नहीं होती हैं। लेकिन शिवाकन्त ने इतना सब्र किया, तो उन्हें एक ना एक दिन कामयाबी अवश्य मिलनी ही थी।

शिवाकान्त के जज बनने पर हुआ पुरा परिवार खुश 

शिवाकन्त को जब यह खबर मिली कि उन्हें सिविल जज (Civil Judge) मे सफ़लता मिली है। यह जब खबर उन्हें मिली, तो उस समय उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नही है। क्योकि यह सब सच हो रहा है या सपना उनको खुद को यकीन ही नही हो रहा है।

इस सफ़लता के वजह से उनका पुरा परिवार काफ़ी खुश है। साथ ही बहुत सारे लोग इन्हे शुभकामनाए भी दे रहे हैं। यहा तक की पुरे नगर, गाँव और प्रदेश वाले आज इन पर गर्व कर रहा है। वह जिस मंजिल पर है इस मंजिल पर बहुत ही कम लोग पहुंच पाते हैं। क्योकि कई लोग तो इसके केवल सपने ही देखते रह जाते हैं।

अगर शिवाकान्त कुशवाहा की इस परीक्षा मे रैंक की बात करे तो इन्होने पिछडा वर्ग के होते हुए भी प्रदेश मे दूसरा नम्बर (Second Rank) हासिल किए हैं। शिवाकान्त ने यह जो भी किया है, वह सिर्फ़ अपनी मेहनत के ही भरोसे प्राप्त हुई है। क्योकि आप भी सोच सकते हैं कि एक सब्जी बेचने (Vegetable Seller) वाले मजदूर का लड़का अपनी पढ़ाई के लिए कैसे टाइम निकालकर अपने सपने मे उड़ान भरा होगा।

जानिए शिवाकान्त कुशवाहा का परिवार कैसे रहते हैं

शिवाकन्त के पिता की बात करे तो इनका नाम कुंजी लाल कुशवाह हैं, जो कि मजदूरी करते है और एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। उनके पिता पुरे दिन मजदूरी का काम करके बड़े मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। साथ ही उनकी माँ भी अपनी कई समस्या को दूर करने के लिए दूसरे के घरो मे काम करती है।

शिवाकान्त अपने पुरे परिवार के साथ एक कच्चे घर मे ही रहते हैं। वह तीन भाई बहन है। उनके परिवार मे सभी बहुत ही खुश हैं। भले वह गरीब हैं लेकिन उनका पुरा परिवार एक साथ आनंद से रहते हैं। लेकिन कुछ समय पहले ही उनकी माँ की मृत्यु हो गयी।

गरीबी स्थिति होने के बावजूद भी अपनी पढ़ाई की पूरी

बता दे कि शिवाकान्त अपनी शिक्षा मे पहले से ही बहुत आगे रहे हैं और कुछ बडा बनने के सपने देखते रहते थे। लेकिन उनकी घर की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होने के बावजूद भी उन्होने अपनी पढ़ाई मे कोई दिक्कत नही आने दी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। यहा तक की इस सब के बीच अपनी पढाई के साथ साथ घर की स्थिति को सुधारने के लिए वह सब्जी का ठेला लगाने लगे।

शिवाकान्त ने अपनी 12 तक की पढ़ाई अमरपाटन के शासकीय स्कूल से ही समपन्न की है और बाद की अपनी LLB (एलएलबी) की पढ़ाई रीवा से ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय यानी टी एस कालेज से पुरी की है।

9 बार के प्रयास के बाद दसवी बार बने जज

बता दे कि शिवाकान्त अपनी LLB की पढ़ाई के बाद कोर्ट मे प्रेक्टिस करने के साथ साथ जज के लिए भी प्रेक्टिस करने लगे थे। उनकी इस जज की सफ़लता के पीछे की कहानी की बात करे तो वह 9 बार की असफ़लता के बाद भी हार नही माने और वह लगातार प्रयास करते रहे। एक दिन उन्हे दसवी बार अखिरकार कामयाबी मिल ही गई। इतना ही नही उन्होने पिछडा वर्ग मे दुसरा स्थान हासिल कर जज बन चुके हैं।

शिवाकान्त ने अपनी दिवंगत माँ की ख्वाइस जज बनकर की पुरी

शिवाकान्त कुशवाहा की माँ जिनका नाम शकुन बाई कुशवाहा था। वह भी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर भरण पोषण के लिए मजदूरी करती थी और बचे टाइम मे सब्जी का ठेला लगाया करती थी। परंतु वर्ष 2013 मे कैंसर की बिमारी से उनका देहान्त हो गया।

उनके मरते दम तक एक ही ख्वाहिस थी की उनका बेटा जज बने और शिवाकान्त ने अपनी दिवंगत माँ का सपना पुरा किया। इतना ही नही उनकी इस काबिलियत के पीछे उनके भाई बहन की भी काफ़ी भूमिका रही है।

दूसरे के घर जाते थे शिवाकान्त पढ़ाई करने के लिए

मधु कुशवाहा जो की शिवाकान्त कुशवाहा की वाइफ़ है। वह एक प्राइवेट स्कूल की टीचर है। वह अपने पति की काबिलियत पर बताती है कि घर मे पढाई करने के लिए जगह की कमी होने की वजह से वह दुसरे के घर पढ़ाई करने के लिए जाते थे। जिसमे 24 मे से 20 घंटे वह पढ़ाई के लिए ही समय निकालते थे। यहा तक की उनकी पत्नी का भी इनके इस सफ़लता में पुरा योगदान रहा है।

बता दे कि सिविल जज शिवाकान्त कुशवाहा (Judge Shivakant Kushwaha) अपने जीवन मे कामयाब होने मे अपनी गरीबी स्तिथि को कभी भी सामने नहीं आने दिया। वह इन सबका सामना कर एवं स्वयं मजदूरी कर अपनी पढ़ाई पुरी की।

इनका यह संघर्षमय सफ़लता उन लोगों को सीख देता है। जो सारी सुविधा मिलने के बाद भी कुछ नही कर पाते। हमारे देश के युवा भी शिवाकन्त जैसे युवा को देखकर आगे बढ़कर अपने सपने को पुरा कर सकेंगे।

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