Jabalpur: भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं। यहां सभी लोग बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं और अपने अपने धर्म को बहुत ही प्रेम पूर्वक मनाते हैं हिंदू धर्म के अनुसार विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मां नर्मदा नदी (Narmada River) को बहुत ही पावन और पवित्र और शुद्ध माना गया है।
लोग अपनी मान्यताओं को पूरा करने के लिए मां नर्मदा नदी की परिक्रमा करने की मन्नत मांगते हैं। और जब लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है, तो वह मां नर्मदा नदी की परिक्रमा हेतु पैदल यात्रा करते हैं। भक्तगण मां नर्मदा की परिक्रमा करते हुए मां का जयकारा लगाते हुए अपनी यात्रा को सफल करते है।
अपनी परिक्रमा को पूरी करते हुए मां नर्मदा नदी का ढेर सारा शुभ आशीर्वाद प्राप्त करते है। इन्हीं भक्त गणों में 06 साल की अबोध बालिका मां नर्मदा नदी की परिक्रमा करने की बहुत ही हैरानी से भरी खबर हमारे सामने आई है, जिसकी आज हम चर्चा करेंगे।
धार्मिक अध्यात्म से जुड़े हैं परिवार के संस्कार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह खबर भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के डुलिया ग्राम की है। जहां पर भीम सिंह राजपूत नामक व्यक्ति अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। उनके घर में एक अद्भुत बालिका ने जन्म लिया जिसका नाम उन्होंने श्रुति (Shruti) रखा।
आज की स्थिति में वह बालिका 6 वर्ष की हो चुकी है और उसका अध्यात्म की ओर झुकाव बहुत ही अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाला है। श्रुति की मौसी (Mosi) जो की एक कथा वाचिका है, उनका नाम श्रद्धा वाडिले है, उनके अनुसार पंडर में बहुत से भक्तगणों द्वारा उन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा करने के ढेर सारे अनुभवों को सुना और माता रानी की भक्ति भाव को ध्यानपूर्वक सुना।
इन सभी भक्तगणों में उनके राहुल दादा और अन्य मां नर्मदा के भक्तगण भी शामिल थे, तब उनके मन में भी मां नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त करने, उनके दर्शन करने, और उनकी परिक्रमा (Narmada Parikrama) करने की इच्छा जागृत हुई, जिसके बारे में उन्होंने अपने परिवार में विचार विमर्श किया और अपनी इच्छा जाहिर की।
श्रद्धा वाडिले द्वारा अपने परिवार के सामने मां नर्मदा नदी की परिक्रमा करने की इच्छा की
श्रद्धा वाडिले, जब मां नर्मदा नदी की गुण गाथा को उनके भक्तजनों को सुना रही थी, तो उन्होंने भी अपने परिवार के सामने मां नर्मदा नदी की परिक्रमा करने की इच्छा व्यक्त की और उनके परिवार ने उनकी इच्छा को सहर्ष स्वीकार किया। जिसमें सबसे पहले श्रुति की बुआ योगिता वाडिले द्वारा जोकि इंग्लिश द्वितीय वर्ष की छात्रा है।
उन्होंने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगी, उसके बाद श्रुति की मां भी उनकी यात्रा में शामिल होने के लिए तैयार हो गई। फिर उसके कुछ देर बाद जब श्रुति को पता चला कि सभी लोग मां नर्मदा की परिक्रमा हेतु पैदल यात्रा जा रहे हैं।
तब वह भी उनके साथ जाने के लिए जिद करने लगी, किंतु उनके परिवार वालों ने उसकी आयु को देखते हुए समझाया कि बेटा अभी आप नहीं जा सकती हो, क्योंकि इतनी दूर पैदल यात्रा करना आपके लिए संभव नहीं है। तब श्रुति ने बहुत ही जिद की और उनके परिवार वालों ने उसकि जिद के आगे घुटने टेक दिए और उसे भी मां नर्मदा परिक्रमा के लिए ले जाने के लिए तैयार हो गए।
परिक्रमा शुरू करने का शुभ स्थान ओंकारेश्वर
श्रद्धा वाडिले और उसके साथ परिवार के अन्य सदस्य (जिनमे श्रुति भी शामिल थी) द्वारा ओंकारेश्वर धाम (Omkareshwar Dham) से परिक्रमा की शुरुआत की गई। उनके परिवार द्वारा लगभग ढाई से तीन माह तक मां नर्मदा नदी की ओर यात्रा की।
परिक्रमा करते हुए वो लोग रोजाना 30 से 35 किमी यात्रा करते थे। परिक्रमा करते हुए श्रुति हमेशा अपनी चहलकदमी चाल से चलते हुए सबसे आगे रहती थी और अपनी तोतली आवाज में मां नर्मदा जी के भजनो को गाते हुए बढ़ती जाती थी।
परिक्रमा के दौरान कई साधु संतो एवं समाज सेवियों से सामना
श्रद्धा वाडिले और उसके परिवार को परिक्रमा के दौरान कई साधु संतो और समाजसेवियों से सामना हुआ। जिसमे समाज सेवी हिंदू सेवा परिषद के महासचिव धर्मेंद्र सिंह ठाकुर, अंकित यादव, रोहित प्रशांत चौकसे, दीपक जैन, दुर्गेश यादव, ऋषभ गुप्ता व अन्य लोग भी 6 साल की श्रुति से मिलने आए और नारियल एवं अन्य वस्तुओं से उनका स्वागत किया।