Kanpur: व्यक्ति को सफल बनने के लिए दिन रात अथक प्रयास करने होते हैं, तब जाकर उसे सफलता मिल पाती है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह पढ़ लिख कर एक सफल इंसान बने। इस सफलता के लिए व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है, तब जाकर उन्हें यह सफलता मिल पाती है।
हर काम के लिए मेहनत लगती है और गरीब हो या अमीर यदि व्यक्ति मेहनत करे तो सफलता उसके कदम चूमती है। किसी शायर ने क्या खूब कहा है, सफलता उसी को मिलती है, जिनके अंदर मेहनत करने का हुनर और जज्बा होता है, इंसान वही उड़ सकता है जिसके हौसले बुलंद है।
ऐसे ही कुछ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की बिटिया ने जिसने अपने जीवन में खूब संघर्ष किए और गरीबी (Poverty) में अपना जीवन बिताया, परंतु हालातों से हार नहीं मानी और लगातार प्रयत्न करती रही और आज सफल हुई। आइए जाने इस बेटी की सफलता की कहानी के विषय में।
संक्षिप्त परिचय
उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाला कानपुर (Kanpur) जिले के शिवराजपुर गांव का पाठकपुर इलाका जहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंचन रहती है। कंचन अपने पूरे परिवार के साथ एक कच्चे और किराए के मकान में रहती हैं। उन्होंने बचपन से ही गरीबी का सामना किया है और अभावग्रस्त जीवन भी किया है।
उनके मन में शुरू से ख्वाहिश थी कि वे पढ़ लिखकर एक सफल सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) बने जिससे वह अपने माता-पिता को एक अच्छा जीवन दे सकें। वह पढ़ाई में अच्छी थी, जिसके चलते वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनी और लाखों के पैकेज पर एक कंपनी में जॉब कर रही हैं। संसाधनों के अभाव के बाद भी कंचन कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटी। यही कारण है कि आज वे एक सफल सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन पाई है।
सरकारी स्कूल से प्राप्त की शिक्षा
जानकारी के अनुसार कंचन ने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की है। चुकी वे शुरू से ही शिक्षा के प्रति गंभीर रही है, इसलिए उन्होंने कक्षा 10वी में 80 फ़ीसदी अंको से परीक्षा पास की और कक्षा 12वीं में उन्होंने 72 फीसदी अंक प्राप्त किए। इतनी मेहनत के बावजूद भी उन्हें इंजीनियरिंग के लिए दाखिला नहीं मिल रहा था।
उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने के लिए काफी मेहनत की परंतु उनकी मेहनत हमेशा विफल रही। उन्होंने इंस्टिट्यूट के टीचरों के सामने एडमिशन के लिए काफी गुजारिश की, परंतु वहां के टीचर ने उन्हें लौटा दिया। उन्हें इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन नहीं मिल रहा था, इसीलिए वे काफ़ी परेशान भी थी।
गुरु का मिला मार्गदर्शन
हताश और निराश कंचन धीरे-धीरे अपनी आश खो रही थी। इसी बीच उन्हें किसी ने अमित सर से परिचित कराया और अमित सर की बदौलत कंचन विजय सर से मिली। आंखों में आंसू और मुरझाया हुआ चेहरा देखकर विजय सर ने उसका दाखिला कंप्यूटर साइंस ब्रांच में करा दिया।
विजय सर ने कंचन को एक बेटी की तरह पूरा सपोर्ट किया और उसकी जिम्मेदारियों को उठाया। कंचन बताती है कि आज तक विजय सर ने उनसे 1 RS नहीं लिया और पूरी शिक्षा उन्होंने ही संपन्न कराई।
पहली सैलरी देना चाहती थी गुरु को दक्षिणा स्वरूप
कंचन को उनकी मेहनत का फल नौकरी के स्वरूप में मिला उन्हें लाखों के पैकेज पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के अच्छी ब्रांच में जॉब मिल गई। उनकी मेहनत रंग लाई थी। कंचन चाहती थी कि उनकी पहली सैलरी वे उनके गुरु को गुरु दक्षिणा स्वरूप दें।
साथ ही उन्होंने एक गीता खरीदी। विजय सर ने कंचन के कैरियर में एक अहम भूमिका निभाई मेहनत कर इंटर्नशिप के लिए जब कंचन हैदराबाद गई, तो विजय सर ने उन्हें पूरी तरह फाइनेंशियल सपोर्ट दिया।
इसके साथ ही कंचन के माता पिता नीलम दीक्षित और संजय दीक्षित ने भी कंचन का पूरी तरह सपोर्ट किया। कंचन ने जब अपने शिक्षक को अपनी पहली तनख्वाह दी, तो उन्होंने आशीर्वाद स्वरुप कंचन को ही वापस कर दी। कंचन के जीवन में उनके गुरु ने बहुत अहम भूमिका निभाई।