DSP संतोष यादव के संघर्ष की कहानी आपको हैरान कर देगी, इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहे अफसर

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Santosh Patel DSP
DSP Santosh Patel struggle story will inspire you so much. DSP Santosh Patel and his mother video went viral on social media.

Photo Credits: Twitter(@Santoshpateldsp)

Panna: हर माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा खूब पढ़ लिखकर एक सफल इंसान बने। मां-बाप सोचते हैं कि जो मुसीबत उन्होंने झेली है, उनके बच्चे कभी ऐसी मुसीबत ना झेलें। कहते हैं एक किसान का बेटा बड़ा होकर किसान ही बनता है और एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है।

ऐसा हर समय नहीं होता है। जो माता-पिता खेती किसानी करके अपने बच्चे को पढ़ाते हैं और घर परिवार संभालते हैं उनके बच्चे बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि उनके माता-पिता कितनी मेहनत और परिश्रम के बाद पैसा कमाते हैं। क्योंकि खेती किसानी पहले के समय में इतनी आसान नहीं हुआ करती थी।

पहले किसान बुबाई कटाई और जितनी भी प्रक्रिया खेती किसानी में होती है, वह सारी अपने हाथों से किया करते थे। इसीलिए माता-पिता खुद मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाते है और उनके भविष्य को सवारने के लिए अथक प्रयास करते है।

जिस तरह माता पिता का कर्तव्य अपने बच्चों के लिए होता है, उसी प्रकार बच्चों का कर्तव्य भी अपने माता-पिता के प्रति होता है। आज हम इस लेख के माध्यम से एक ऐसे बेटे की बात करेंगे, जिसने अपने माता-पिता की गरीबी को कुछ ऐसे अंदाज में दूर किया कि लोग भी हैरान रह गए।

डीएसपी संतोष की संघर्ष से भरी कहानी

संतोष पटेल वर्तमान समय में ग्वालियर से 50 किलोमीटर दूर घाटीगांव में सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर के पद पर पदस्थ है। संतोष की असफलता काफी संघर्षमई रही है। वे बताते हैं कि वे जंगलों में बनी एक कुटिया जो नदी किनारे स्थित थी। उस कुटिया में जन्म लिया था। मैं काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता राजमिस्त्री हैं भले वे खुद झोपड़ी में रहते हैं परंतु दूसरों के लिए महल तैयार करते हैं। और उनकी माता दूसरों के घर और खेतों में काम करके गुजारा करती हैं।

डीएसपी संतोष बताते हैं कि उनका एक समय ऐसा था, जब वे दो वक्त के खाना के लिए तरसते थे। जब घर में कोई मेहमान आते थे तब उन्हें लगता था कि आज कुछ अच्छा खाने मिलेगा। एक बार तो वह बिस्कुट के लिए भी तरस रहे थे। जीवन संघर्ष से भरा था, परंतु हौसले बुलंद थे उनका एक ही लक्ष्य था। इस गरीबी को किसी भी हालत में दूर करना।

सोशल मीडिया में एक्टिव रहते है संतोष

डीएसपी संतोष पटेल सोशल मीडिया मैं काफी ज्यादा एक्टिव रहते हैं। आए दिन सोशल मीडिया पर उनके कुछ ना कुछ कार्य सामने आते रहते हैं। एक बार उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने संघर्ष की कहानी (Struggle Story) शेयर की थी, उन्होंने बताया कि इस तरह वे इस मुकाम तक पहुंच पाए।

वे कहते हैं कि डीएसपी बनना उनका सपना था, इसके लिए उन्होंने 5 साल मेहनत की है। उनके माता-पिता उनकी पढ़ाई और किताबों के लिए पैसा नहीं जुटा पाते थी, जुटा भी कैसे पाते, खाना ही मुश्किल होता था।

गरीबी के कारण एक वक्त में उन्होंने पढ़ाई भी छोड़ दी थी, परंतु उन्हें समझ में आया कि शिक्षा ही उनकी गरीबी को दूर कर पाएगी, इसीलिए उन्होंने दोबारा मेहनत शुरू की। वे बताते हैं कि उन्होंने 3 अक्टूबर 2015 से लेकर 1 अक्टूबर 2016 तक एमपीपीएससी की तैयारी की और इन 15 महीनों के संघर्ष के बाद वे डीएसपी के पद के लिए चुने गए थे।

मां बेटे की बातचीत

आज से कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रही थी, वह किसी और की नहीं संतोष और उनकी माता के बीच की बार तलाक की वीडियो थी। वायरल वीडियो में मां बेटे ने दुनियादारी की बातें की। जिसमें एक मां ने अपने बेटे को यह संदेश दिया कि जीवन में काम कभी खत्म नहीं होता व्यक्ति जब तक जीवित है और उसके हाथ पैर सही सलामत है, तब तक उसे कार्य करते रहना चाहिए।

बेटा का कहना है कि अब उनका बेटा डीएसपी बन गया है, इसीलिए उन्हें खेतों में काम करने की जरूरत नहीं है। डीएसपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) के साथ उनका भतीजा भी है, जो इस वर्तालाब में बीच-बीच में खुद को इंवॉल्व कर रहा है।

भतीजा कहता है कि अम्मा चाचा पैसा नहीं भेजते हैं क्या तब मां कहती है कि पैसे तो खूब भेजता है और हमारा खर्चा भी बढ़िया चलता है, परंतु उनका घर में मन नहीं लगता और चारा काटना पैसों को पालना उनका आज का नहीं बल्कि वर्षों से चला आ रहा काम है, इस काम से वे पीछे नहीं हटना चाहती। वे आज भी गौ सेवा करती है और जितना हो सकता है उतना में काम करती है।

यह थी एमपीपीएससी क्रैक करने की स्टेटर्जी

डीएसपी संतोष बताते हैं कि वे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पन्ना (Panna) जिले के निवासी हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद एक सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के दौरान उनकी आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से उन्होंने कमाई की तरफ ध्यान मोड़ लिया था, जिसके चलते उनकी पढ़ाई लगभग छूट गई थी।

धीरे से समझ में आया कि यदि उन्होंने आज पढ़ाई छोड़ दी, तो इन कुछ पैसों के लिए जीवन भर संघर्ष करना पड़ेगा, इसीलिए उन्होंने दोबारा फिर पढ़ाई शुरू से और 15 महीनों के भीतर में डीएसपी (Police DSP) के लिए चुने गए।

इस 15 महीने के संघर्ष में भी बताते हैं कि उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली उनका कहना था कि कोचिंग आजकल का व्यवसाय बन गया है उन्होंने सेल्फी को अपना हथियार बनाया। जो स्टूडेंट मेंस तक पहुंच गया था उसके लिए उनका कहना है कि एम को उद्देश्य और एस को सफलता मानकर तैयारी करो याने आपका उद्देश्य केवल सफलता होनी चाहिए तो आप 1 दिन सफल जरूर होते हैं।

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