Meerut: ज्यादातर युवाओं की सोच होती है कि बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करके उन्हें देश की बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करना है। परंतु दूसरी तरफ कुछ ऐसे युवा भी हैं जो पढ़ाई जरूरी समझते हैं, परंतु पढ़ाई करने के बाद किसी की नौकरी करना जरूरी नहीं समझते वह लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करते हैं।
देश में काफी सारे ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने अच्छी पढ़ाई करने के बाद किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी की है, परंतु नौकरी छोड़ कर व्यापार की तरफ भी बड़े हैं। व्यापार एक ऐसी चीज है, जिसमें व्यक्ति अपनी आय को समय के साथ बढ़ा सकता है, परंतु नौकरी में आय स्थिर हो जाती है और व्यक्ति उस स्थित आय के कारण रुक सा जाता है।
काफी लोगों का मानना है कि व्यापार एक जुआ के समान है, यदि चल गया तो व्यापारी की चांदी-चांदी वरना लगाया हुआ पैसा भी डूब जाता है। परंतु एक सफल व्यापार (Success Business) के लिए व्यापारी को अपने व्यापार का कौशल सीखना चाहिए तत्पश्चात व्यापार प्रारंभ करना चाहिए।
इन बातों को साबित किया मेरठ (Meerut) की पायल अग्रवाल (Payal Agarwal) ने जो ना केवल अपने व्यापार को बेहतरीन तरीके से कर रही हैं, बल्कि अपनी ही तरह अन्य लोगों को भी इस व्यापार को करने के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं। आइए इस लेख में जाने पायल अग्रवाल की सफलता की कहानी।
बीटेक करने के बाद व्यापार में जमाया हाथ
मेरठ की रहने वाली पायल अग्रवाल बीटेक (Btech) की पढ़ाई किए है, परंतु उन्होंने किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करने की वजह व्यापार में अपना रुझान दिखाया। आज वे एक सफल व्यापारी है। उन्होंने वर्मी कंपोस्ट (Vermi Compost) खाद के व्यापार को चुना।
देशभर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके चलते पायल अग्रवाल ने केंचुए से निर्मित खाद को बनाकर किसानों की मदद की। इसके साथ ही पायल अग्रवाल ने गांव की महिलाओं को रोजगार भी दिया, जिससे आज उस गांव की 10 महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं और पायल ने इस व्यापार में अपना अच्छा खासा कैरियर बना लिया है।
वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की विधि
पायल अग्रवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान कंपोस्ट खाद निर्माण की विधि बताएं इसमें बताती है कि एक काली पॉलिथीन के ऊपर ताजा और ठंडा गोबर बिछाया जाता है जिसे केंचुए का बिस्तर कहा जाता है। उसके ऊपर मिट्टी और केंचुए डाले जाते हैं। इसके बाद खाद और केंचुए को धूप से बचाने के लिए उस पर पराली डाली जाती है।
उन्होंने बताया कि केचुआ गोबर को खाता है और मल त्याग करता है वही मल खेतों की फसल के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होता है वे बताती हैं कि गोबर की गुणवत्ता पर निर्भर करता है कि आपकी खाद कैसे बनेगी। उनका मानना है कि गोबर जितना ताजा होगा खाद उतनी ही बेहतर बनेगी, क्योंकि केंचुए का मुख्य आहार गोबर होता है।
कितने दिन में तैयार हो जाती है खाद
केंचुए का बिस्तर तैयार करने के बाद लगभग 25 दिन में उस बिस्तर के लगभग 10 से 20 प्रतिशत भाग की ही खाद बन पाती है। पायल का कहना है कि पूरे बस्तर की खाद एक बार में तैयार नहीं होती 20 25 दिन में आप उस बिस्तर के 10 से 20 प्रतिशत भाग से खाद प्राप्त कर सकते हैं।
इसके बाद वे केंचुए से प्राप्त खाद को छनने से छानती हैं। उसके बाद उन केचुओ को दूसरे बिस्तर पर ट्रांसफर कर देती हैं। उन्होंने एक अहम बात बताते हुए कहा कि केचुआ (kechua) के बिस्तर पर समय-समय पर पानी छिड़का जाता है, जिससे खाद में नमी बनी रहे और केंचुए मरे नहीं।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि केचुए (EARTHWORM) के बिस्तर के पास पानी का निकासी होना जरूरी है। वरना केंचुए पानी के बहाव के साथ भाग जाते हैं। पायल बताती हैं कि उन्होंने अपना व्यापार मात्र 30 बिस्तरों से प्रारंभ किया था। आज 6 साल बाद में 320 बिस्तर से खाद तैयार करके राजस्थान मध्य प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी खाद बेच रही है।
किसानों को देती है प्रशिक्षण
पायल बताती है कि बीटेक की डिग्री पूर्ण करने के बाद जब उन्होंने अपने माता-पिता से व्यापार के बारे में बात कही तो उनके माता-पिता ने उनके व्यापार के लिए कोई सवाल जवाब नहीं किए, बल्कि उनका साथ दिया।
उनके साथ और विश्वास के बल पर वे आज लाखों रुपए कमाती हैं। इसके साथ ही पायल उनके पास आने वाले किसानों को प्रशिक्षित करती है और जैविक खाद का फायदा बताती है।