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Delhi: भारतीय सेना, देश की रक्षा और सुरक्षा में हर पल सबसे आगे है। देश की सेनाएं देश की जनता की सेवा के लिए हमेशा खड़ी रहती हैं। मगर साथ ही उन लोगों को भी मौका देती हैं जो जिंदगी में कुछ करके दूसरों के सामने एक आपने नाम सबसे ऊंचा करना चाहते हैं। ऐसे ही लोगों में एक नाम है 21 साल के लेफ्टिनेंट सुजीत का।
पिछले दिनों इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) की पासिंग आउट परेड में सुजीत की किस्मत बदल गई। उनके कंधों पर सितारे सज गए इन सितारों को प्राप्त करना बहुत Easy काम नहीं था, क्योंकि उनके पिता को गांव वाले हर पल आपन्नित करते उनका मजाक उड़ाते। फिर भी उन्होंने कभी अपना हौसला कम नही होने दिया। इतना आपनित होने के बाद भी उन्होंने अपने सपने को संजोय रखा।
उनका कहना है कि मैंने झाड़ू उठाई लेकिन मेरा बेटा अब बं-दूक लेकर देश की सेवा करेगा। सफाई कर्मचारी बिजेंद्र कुमार करीब 10 साल पहले एक सपना देखा करते थे जब वह यह अपने साथियों को बताते थे तो लोग उनका मजाक उड़ा देते थे। यह बात उनको याद आती है जब बेटे को पढ़ाई के लिए राजस्थान सेना का अधिकारी बनाने भेजा था। उत्तर प्रदेश के चंदौली निवासी बिजेन्द्र उस समय बहुत अकेला महसूस करते थे।
21 साल के सुजीत उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के बसीला गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरूआती पढ़ाई चंदौली में ही हुई, लेकिन गांव में अच्छा स्कूल ना होने के कारण वो अपने पिता ब्रजेंद्र के साथ वाराणसी आकर रहने लगे। वाराणसी में वो अपने पिता, छोटा भाई और बहनों के साथ रहते हैं।
बिजेंद्र कुमार की आंखों में खुशी के आंसू और चेहरे पर चमक थी, जब शनिवार को वह 21 साल के बेटे सुजीत को देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकैडमी (IMA) से ग्रेजुएट होते देख रहे थे। सुजीत चंदौली के बसीला गांव से भारतीय सेना में अधिकारी बनने वाले पहले शख्स बन गए हैं। सुजीत अपने छोटे भाई-बहनों के लिए प्रेरणादायक हैं। वे सभी सरकारी एग्जाम की तैयारी में लगे हैं।
शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पासआउट होकर सुजीत सेना में अफसर बनने वाले गांव के पहके शख्सियत बन गए हैं। उनके पिता बिजेंद्र प्रताप वाराणसी में पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी हैं और मां रेखा देवी आशा कार्यकर्ता। चार भाई-बहनों में सुजीत सबसे बड़े हैं।
आर्थिक परिस्थिति अच्छी ना होने के कारण अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में असमर्थ थे। उनका खाने का बंदोबस्त सही से नही कर पा रहे थे। फिर भी उन्होंने हार नही मानी अपने 4 बच्चों को अफसर बनाने का सपना मैन में बनाये रखा। बावजूद इसके उन्होंने सुजीत के सपनों को पूरा करने के लिए हर सम्भव प्रयास किया।
आर्थिक परिस्थिति खराब होने के कारण सुजीत के लिए भी यह आसान नहीं था। बड़ा बेटा होने के चलते उन्हें परिवार की जिम्मेदारी को समझा, कामों में भी हाथ बटाना शुरू कर दिया। मां-बाप दोनों काम पर जाते थे तो छोटे भाई- बहनों की देखरेख करते थे।
पिता वाराणसी में सफाई कर्मी और मां चन्दौली में आशा बहू का बेटा सुजित 21 वर्ष सेना में बना लेफ्टिनेंट अधिकारी सुजीत चन्दौली के बसीला गांव से पहला व्यक्ति हैं जो सेना में अधिकारी बने हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं युवाओं के लिए बने प्रेरणा । pic.twitter.com/6olvsYkogN
— विवेक पाण्डेय (@IND_vivekpandey) June 14, 2021
इसके बावजूद सुजीत ने अपने पारिवारिक जिम्दारियों को निभाते हुए और कठिन परिश्रम कर पढ़ाई में मन लगा कर अपने सपनो को साकार कर दिखाया। सुजीत ने कहा कि इस अवसर पर मां-बाप के चेहरों पर खुशी की चमक देखना सम्भव नही हुआ। वह आर्मी ऑर्डिेनेंस कॉर्प्स जॉइन करेंगे।
सुजीत को उम्मीद है कि उनकी इस उपलब्धि से गांव और क्षेत्र के अन्य युवाओं में भी सेना की वर्दी पहनने की इच्छा जागृत होगी। सुजीत अपने भाई बहनों को अच्छी शिक्षा देना चाहते है। सुजीत का छोटा भाई आईआईटी में पढ़ना चाहता है, जबकि दो बेटियों में से एक डॉक्टर और दूसरी आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं।
जानकारी के मुताबिक सुजीत के पिता कहते है कि वो अपने तीन बच्चों को लेकर वाराणसी में ही रहते है। जिससे उन्हें अच्छी शिक्षा और बेहतर सुविधाएं मिल सके। मेरी सुजीत की माँ गांव में अकेले ही रहती हैं। वह आशा कार्यकर्ता हैं। हम बीच में गांव आते-जाते रहते हैं, लेकिन यह निश्चय कर लिया है कि बच्चों को बेहतर बनाने के लिए अच्छी शिक्षा देने के लिए जितना संभव होगा, उतना प्रयास करूंगा।