राम मंदिर मामले पर सुब्रमण्यम स्वामी ने किया बड़ा खुलासा, कहा, इस महीने से निर्माण शुरू होगा।

0
205
Subramanian Swamy
Subramanian Swamy said Ram temple construction will commence in November. Supreme Court's decision will be in favour of the construction of the Ram mandir in November this year.

अयोध्या UP: सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मुद्दे की सुनवाई जारी है। रविवार को बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी रामलला के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने पहुँचे। सुब्रमण्यम स्वामी ने रामलला में दर्शन पूजन अर्चना किया। मंदिर में दर्शन के बाद मीडिया से मुलाकात में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने उम्मीद जताई कि नवंबर बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रारम्भ हो जाएगा।

हिंदुओं का मूलभूत अधिकार मुसलमानों की संपत्ति के अधिकार से ऊंचा है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों का सिर्फ सामान्य अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भी मूलभूत अधिकार सर्वोपरि है। भाजपा सांसद ने कहा कि राम मंदिर की अधिकतर भूमि सरकार के पास है।

सरकार भूमि किसी को भी दे सकती है। सभी कुछ प्री-फैब्रिकेटेड है, केवल भव्यता का स्वरूप देना है। नवंबर बाद देश जश्न में डूब जाएगा। चारो तरफ खुशियां होंगी। सुब्रमण्यम स्वामी के स्पोटर ने जय श्रीराम के नारे लगाए। सुब्रमण्यम स्वामी अपने जन्‍मदिन के मौके पर अयोध्या के कांची मठ में यज्ञ हवन पूजन भी किया। वहीं कारसेवक पुरम की गौशाला पहुँचकर गौ सेवा किया।


अखाड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोईकी नेतत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बोला था कि अधिकार “पूरी तरह उनका” है, क्योंकि वर्ष 1934 के घटना के बाद 1949 तक मुस्लिमों को केवल शुक्रवार की नमाज अदा करने की परमिशन थी और वह भी पुलिस संरक्षण के नेतृत्व में।

इलाहाबाद हाईकोर्टन ने अखाड़ा को विवादित 2.77 एकड़ राम जन्मभूमि-बाबरी जमीन का एक-तिहाई आवंटित किया था। हिंदू संगठन ने बोला था कि पुलिस संरक्षण में शुक्रवार की नमाज अदा करने पर अखाड़ा के कब्जे की कानूनी प्रकृति में परिवर्तन नहीं लाएगा और इससे यह स्पष्ट नही किया जा सकता है कि हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों का संयुक्त अधिकार था।

सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड और मूल याचिकाकर्ता एम. सिद्दीक समेत अन्य की ओर से प्रस्तुत हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने यह कहते हुए हलफनामे की आलोचना कि मुस्लिमों ने इसलिए नमाज नहीं पढ़ी, क्योंकि उन्हें इसकी परमिशन नहीं दी गई।

इस बात पर पीठ ने कहा, “अखाड़ा गैरकानूनी कार्य नहीं कर सकते और फिर उससे फायदा पाना चाहते हैं। अगर आप अवैध कार्य नहीं भी करते हैं, तो भी आप दूसरों के अवैध कार्यों से लाभ नहीं उठा सकते।” पीठ में न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एसए नजीर भी मौजूद हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here