File Photo
Delhi: जुलाई के अंत में शुरू होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भारत के कई खिलाड़ी प्रतिनिधित्व करेंगे। कई खिलाड़ी ऐसे है, जिन्होंने अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। अपने घर के आंगन से टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) तक का रास्ता तय किया। इनमे एक रेवती वीरमणि (Revathi Veeramani) भी शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मदुरै (Madurai) डिवीजन में वाणिज्यिक क्लर्क-सह-टिकट कलक्टर के रूप में कार्यरत दक्षिण रेलवे (South Railway) की एथलीट रेवती वीरमणि (Revathi Veeramani) को टोक्यो ओलंपिक 2021 में 4×400 मीटर मिश्रित रिले में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है।
दक्षिण रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी दी है। गौरतलब है कि जापान में टोक्यो ओलंपिक ((Tokyo Olympic) 2021) की शुरुआत इसी महीन में 23 जुलाई से होगी। वहीं ओलंपिक का आयोजन 8 अगस्त तक चलेगा। भारत की ओर से अब तक करीब 115 खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं।
बचपन में ही उठ गया था रेवती के सिर से माता-पिता का साया
रेवती वीरामनी जब 7 वर्ष की थी, तो उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। तमिलनाडु में जन्मीं रेवती और उनकी बहन को उनकी नानी ने ही उनको अपनी बेटी मानकर उनकी परवरिश करके उनको बड़ा किया है। उन्होंने मजदूरी करके इन दोनों लड़कियों को पाला है। गरीबी ने रेवती को इतना कमजोर कर दिया था की कभी रेवती के पास प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे।
कई बार वो नंगे पैर ही दौड़ी हैं। जब उनके कोच कानन ने उनका ये टैलेंट देखा तो वो हैरान रह गए और उनकी सहयता के लिए आगे आए। उन्होंने रेवती को जूते दिलवाने से लेकर स्कूल की फीस जमा कराने तक मदद की। रेवती को दौड़ने भेजने के लिए रेवती की नानी को समाज से काफी ताने सुनने पड़ते थे। लेकिन उन्होंने किसी की भी कोई परवाह नहीं की और रेवती को दौड़ में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उसके होसलो को कभी कम नही होने दिया। रेवती के दोस्तों ने भी उनका टेलेंट देख उनकी आर्थिक मदद की।
Raised by her grandma after losing her parents, Revathi Veeramani would run barefoot as she couldn't afford shoes. She has just qualified for Tokyo Olympics. (1/6) pic.twitter.com/S2nk7xuGgo
— The Better India (@thebetterindia) July 13, 2021
अगर उसकी दादी के अलावा उसके रिश्तेदारों और अन्य ग्रामीणों ने ध्यान दिया होता, तो 23 वर्षीय रेवती वीरमणि आज एक अलग जीवन जी रही होती, एक अलग ही मुकाम को हासिल कर चुकी होती। अब, उसके पास सभी लोगो का साथ है वह हाल ही में अपनी टिकट हासिल करने के बाद, टोक्यो ओलंपिक में 4×400 मीटर मिश्रित रिले स्पर्धा में भारत की जर्सी और देश के लिए दौड़ लगाती है।
ओलंपिक में अपनी जगह बनाने वाली धावक ने मीडिया में दिए इंटरव्यू में अपने जीवन के संघर्ष भरे दिन के बारे बहुत कुछ बताया। तमिलनाडु के मदुरै में एक बहुत ही गरीब परिवार में जन्मी, रेवती, दो बेटियों में से पहली, ने बहुत कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया और उसकी दादी के आर्ममल ने उसका पालन-पोषण किया। गुजारा चलाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।
एक समय भोजन भी मुश्किल से नसीब होता था। उनकी दादी के पास लड़कियों को सरकारी छात्रावास में छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अपनी दूसरी कक्षा से बारहवीं कक्षा पूरी करने तक, बहनें छात्रावास में रहीं और अपनी शिक्षा जारी रखी, मुश्किल से महीने में एक बार अपनी दादी से मिलती थीं।
TN's Revathi Veeramani has been overcoming obstacles since the age of 5.
Lets #Cheer4India as Revathi & her teammates prepare to take on the best in the 4x400m mixed relay event at #TokyoOlympics.
Let the inspirational story of Revathi spur us on. #BeatTheOdds! pic.twitter.com/en4ZMvaloL
— Odisha Sports (@sports_odisha) July 13, 2021
जब वह स्कूल-स्तरीय ट्रैक इवेंट्स में हिस्सा ले रही थी, तब रेवती ने 12वीं कक्षा के दौरान राज्य-स्तरीय 100 मीटर डैश में हिस्सा लिया था। नंगे पांव दौड़ने के बावजूद, उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में जगह बनाई, इस प्रकार एक एथलेटिक्स कोच श्री के. कन्नन को प्रभावित किया, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को देखा।
कन्नन ने उसे कोचिंग दी और आर्थिक रूप से उसका समर्थन किया, उनको अपने घर पर भोजन और आवास भी उपलब्ध कराया। उनकी अपार प्रतिभा और क्षमता को महसूस करते हुए, उन्होंने युवा एथलीट से कड़ी मेहनत करने और खेलों में अपना करियर बनाने का आग्रह किया। उनकी मदद से, रेवती ने मदुरै के लेडी डॉक कॉलेज में प्रवेश लिया, जहाँ उन्होंने प्रशिक्षण जारी रखा। इसके बाद उनकी पहली जीत की मिठास थी।
2016 में जूनियर नेशनल में 100 मीटर और 200 मीटर दोनों में स्वर्ण पदक, सीनियर नेशनल में रजत पदक के बाद, उन्हें पटियाला में भारतीय राष्ट्रीय शिविर में जगह दी, जो एथलीटों को प्रशिक्षण दे रहा था। नेशनल कैंप कोच और गैलिना बुखारिना के तहत प्रशिक्षण में उन्होंने अपनी तकनीक को तेज करने और बेहतर बनाने पर फोकस किया, जिसके बाद उन्होंने 2019 एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया, 4×100 मीटर रिले में चौथा स्थान हासिल किया।
Incredible true story of an athlete,a grandmother & a Coach.Revathi Veeramani from Madurai qualified for Tokyo Olympics beating all odds.She practised barefoot as she could not even afford shoes.Orphaned at young age,brought up by grandmother Arammal & trained by Coach Kannan 🙏 pic.twitter.com/rxhHTcoclG
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) July 7, 2021
अपने कोच की सलाह के तहत, उन्होंने 100 मीटर दौड़ से 400 मीटर डैश में भी स्विच किया। कुछ वर्ष बाद में उन्होंने 4×400 मीटर रिले में विश्व चैम्पियनशिप में भी भाग लिया। यह 2019 में था कि उन्हें दक्षिणी रेलवे के मदुरै डिवीजन द्वारा एक वाणिज्यिक क्लर्क और टिकट परीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। पटियाला में प्रशिक्षण के दौरान निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए वह अपने संगठन की बहुत आभारी हैं।
वह कहती हैं कि रेलवे से उनकी और उनकी बहन (जो चेन्नई में एक पुलिस महिला हैं) से उनकी 76 साल की दादी की मदद करने में बहुत मदद मिलती है। नवंबर 2020 में ऐसा समय आया उनको चोट लग गई, उसे घुटने में दर्द हुआ, जो और बढ़ता चला गया और कुछ महीनों तक उसे ट्रैक से दूर रखा। रेवती अपने ट्रैक करियर के सबसे कठिन दौर से गुज़री रही थी। कुछ समय उन्होंने बिस्तर में काटे, उसका इलाज फिजियो सिमोनी शाह द्वारा किया जा रहा था।
Revathi Veeramani qualifies to participate in 4×400 m mixed relay at #TokyoOlympics.#Cheer4India #OlympicsKiAasha pic.twitter.com/dfXM74Uf4M
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 6, 2021
उसके ठीक होने के बाद एक राज्य-मीट में एक जीत उसे अपने आत्मविश्वास को वापस पाने में मदद मिली, जो कि 53.55 सेकंड में 400 मीटर के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और ओलंपिक क्वालीफायर इवेंट में प्रथम स्थान पर भी चयन हुई। रेवती का कहना है कि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने की खबर जानने के बाद, उनकी दादी पहले से कहीं ज्यादा खुश हैं।
अपनी मंजिल को देखते हुए, वह कहती है कि अगर वह ओलंपिक में जगह बना सकती है, तो जिन परिस्थितियों में वह बड़ी हुई है, उसके बावजूद कोई भी ऐसा कर सकता है। इन दिनों जिला स्तर पर खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग छात्रावास हैं, प्रशिक्षण और स्कूली शिक्षा मुफ्त दी जा रही है और वे हर चीज का ध्यान रखते हैं। हमारे दिनों में हम इन सुविधाओं के बारे में नही जानते थे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन करना है।
वह उन सभी के लिए बहुत आभार के साथ धन्यवाद करती हैं, जिन्होंने उनको इस मुकाम तक पहुचने में उनकी मदद की। कई वर्षों तक संघर्ष करने के बाद रेवती को दक्षिणी रेवले में सरकारी नौकरी मिल गई। रेवती ने 400 मीटर की दौड़ 53.55 सेकेंड में पूरी की। और वो चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टोक्यो ओलंपिक के लिए सेलेक्ट हो गई। 23 वर्षीय रेवती ट्रायल देने आई महिला धावकों में से सबसे तेज दौड़ रही थी।