Madavag: दोस्तों आज हर तरफ औद्योगिकीकरण का दौर है। ऐसे में लोग गांव से शहर की तरफ भाग रहे हैं बेहतर रोजगार और अवसरों की तलाश में और दिन प्रति दिन किसान भी किसानी से आगे बढ़कर किसी इंडस्ट्री या व्यापार में अपनी किस्मत आजमाने पर प्रयासरत है।
कई जगह पर प्रकृति के विपरीत प्रभावों की वजह से या तो फसल खराब हो जा रही है या किसानों को लागत से कम आमदनी हो रही है। जिसके चलते कुछ किसान अपने आपको शिक्षित करके फसल को लाभ की खेती बनाने में सफल है। परंतु बहुत से किसान फसलों से लाभ ना ले पाने की वजह से खेती छोड़ रहे।
परंतु वास्तविकता यही है कि यदि हम अपने ट्रेडिशनल खेती को बेहतर ढंग से करें और समय-समय पर अपने आप को शिक्षित करके एक अच्छा सिस्टम तैयार करें, तो खेती से भी करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। उसका उदाहरण है शिमला (Shimla) का यह गांव जो एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है। क्योंकि यहां एक साधारण किसान की भी सालाना आमदनी करोड़ों में होती है।
आइए आपको ले चलते हैं एशिया के सबसे अमीर गांव की तरफ
दोस्तों हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वह शिमला के अंतर्गत स्थित है। हम सब जानते हैं कि शिमला हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी है और पूरा का पूरा हिमाचल प्रदेश एप्पल की उपज के लिए दुनिया भर में फेमस है। यहां के गांव गांव में लोग सेब की खेती (Apple Farming) करते हैं।
इनमें से एक गांव जिसे मड़ावग (Madavag Village) के नाम से जानते हैं के किसानों ने अपने आपको आधुनिक तरीके से खेती पद्धति को अपनाते हुए अपने सेब के बागानों को समृद्ध कर दिया। जिसका नतीजा यह है कि यहां का प्रत्येक किसान परिवार साल के करोड़ों रुपए इस सेब की खेती से आमदनी ले रहा है। और इसीलिए इस मड़ावग गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव घोषित किया गया।
एक किसान औसतन 35 लाख रुपए सालाना तक कमा रहे
मीडिया सर्वे के हिसाब से मड़ावग गांव में करीब 225 किसान परिवार रहते हैं। जो साल भर सिर्फ सेव की खेती का काम करते हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष इस गांव के किसान लगभग 150 करोड़ से 200 करोड़ रुपए का टर्नओवर करते हैं, अपनी सेब की खेती से। अगर इसका औसत निकाला जाए तो प्रत्येक किसान परिवार की मिनिमम आमदनी 35,00,000 रुपए सालाना आती है।
वही कुछ किसान परिवार साल का 8000000 RS तक कमा लेते हैं। ये आमदनी सीजन में आने वाले सेब की कीमत और क्वालिटी पर भी निर्भर करती है। फिर भी विपरीत परिस्थितियों में भी पाया गया है कि, इनकी आमदनी सालाना 35 लाख रुपए से ऊपर ही होती है।
यहां की मुख्य फसल है सेब, लंबा इतिहास है इस क्षेत्र में
मड़ावग गांव के किसान सेव की खेती करने से पहले मुख्य फसल के रूप में पिछली कई सदियों से आलू की खेती किया करते थे। परंतु 1950 के दशक में जब सेब की खेती का चलन हिमाचल में बढ़ने लगा, तो गांव के ही चाइयां राम मेहता ने सेब की खेती करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना शुरू किया।
हिमाचल का मड़ावग गांव सेब से बना सबसे अमीर, सबकी आय 70 लाख रुपए से ऊपर pic.twitter.com/L29tjtekWS
— Bhabesh Nath (@bhabesh2008) August 5, 2019
उन्होंने सभी किसान को जागरूक किया कि, यदि हम आलू को छोड़कर सेव की खेती (Seb Ki Kheri) करते हैं, तो अधिक कमाई कर सकते हैं। जेलदार बुद्धि सिंह एवं काना डोगरा सिंह जैसे बुद्धिजीवियों ने लोगों को आलू से सेब की खेती में परिवर्तित होने के लिए काफी मदद एवं जानकारी मुहैया करवाई। जिस वजह से आज यह क्षेत्र एशिया में सबसे अमीर हो चला है।
इससे प्रभावित होकर करीब के कुछ गांव भी कर रहे हैं बेहतर कमाई
दोस्तों मड़ावग गांव में सेव की खेती द्वारा किसानों को समृद्ध होते देख, उसके करीब के गांव भी अब सेव की खेती की तरफ रुख ले चुके हैं। नतीजा दशोली गांव के कुछ किसान भी अब पूर्ण रूप से सेव की खेती कर रहे हैं।
शिमला से 92 किलोमीटर दूर 7774 फीट ऊंचाई पर बसे मड़ावग गांव में न तो कोई उद्योगपति है और न ही नामी कंपनियाें में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग, फिर भी यह एशिया के सबसे अमीर गांवों में शामिल है। यहां हर परिवार की सालाना आमदनी 70 से 75 लाख रु. है। pic.twitter.com/1CUIM3wUs2
— Pradip Kumar Mukherjee (प्रदीप कुमार मुखर्जी) (@pradipkumarmu12) December 27, 2020
यहां पर एक साधारण किसान 700 पेटी से अधिक सेब का उत्पादन करता है और वही बड़े किसानों की हम बात करें तो 12000 पेटियों से लेकर 15000 पेटी सेव तक का उत्पादन किया जा रहा। बाद में यह पाया गया कि दाशोली वाली गांव का सेब पूरे शिमला में सबसे बेहतर क्वालिटी का माना जाता है।
समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से सेब की खेती के लिए इस गांव का मौसम सबसे उत्तम होता है। यह दोनों गांव शिमला से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित है। जिनकी आबादी 2200 के करीब है।