न्यूटन से भी हजारों साल पहले ऋषियों ने हमें बता दिया था, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत भारतीय शास्त्रों की देन

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Newton Third law
Indians predated Newton discovery by 250 years. Newton may taken his third law of motion from Hindu shastras manchester university hints.

Delhi: दोस्तों भारत शुरू से ही सोने की चिड़िया बोला जाता था जिसका अर्थ है कि धन-संपत्ति के नाम पर हमारा देश इतना संपन्न था कि उसे सोने की चिड़िया जैसे नाम से विश्व में जाना जाता रहा। लेकिन कोई भी देश सोने की चिड़िया ऐसे ही नहीं बन जाता, इसके पीछे हैं हमारे भारत देश का गौरवशाली शिक्षा एवं ऋषि द्वारा तैयार किए गए वह शास्त्र एवं ग्रंथ है।

इन ग्रंथों में हजारों साल पहले ही विज्ञान से संबंधित तरह-तरह के नियम एवं फार्मूला को प्रतिपादित कर दिया गया था। पुराने ऋषि मुनि वास्तव में एक वैज्ञानिक की तरह ही रिसर्च एवं अनुसंधान करते थे।

इसलिए आज के युग में प्रयोग किए जा रहे विज्ञान के बहुत सारे फार्मूले हमारे शास्त्रों में हजारों साल पहले ही बताए जा चुके हैं। सोशल मीडिया के जरिए आज यह बहस दुनियाभर में हो रही है तो चलिए जानते हैं क्या है वो वैज्ञानिक तथ्य जिनके अविष्कार वास्तव में भारत में हुए।

क्या न्यूटन ही खोजकर्ता है गुरुत्वआकर्षण का

दोस्तों आपको जानकार हैरानी हो रही होगी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत (Newtons law of gravity) को हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं और अपने बच्चों को भी यही ज्ञान दे रहे हैं। वास्तव में ये सिद्धांत न्यूटन से भी हजारों साल पहले भारत के ऋषि मुनियों ने अपने शास्त्रों में सिद्ध कर दिया था।

इस थ्योरी को सपोर्ट करने के लिए अब बहुत सारे एविडेंस सामने आने लगे हैं। जिस में सबसे स्ट्रांग थ्योरी श्री जी राघवन नायर द्वारा दी गई है। श्री नायर बताते हैं कि भारतीय शास्त्रों में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को बकायदा पूरे विधि एवं सूत्रों के साथ संपादित किया गया है।

भारत के केरल से संबंधित है कैलकुलस का आविष्कार

इसी तरह दोस्तों आपको यह जानकर गर्व होगा कि कुछ दिनों पहले मेनचेस्टर (Manchester) की एक मैगजीन में यह खबर पब्लिश की गई कि, ना केवल गुरुत्वाकर्षण (Gravity) बल्कि कैलकुलस की वास्तविक खोज भी केरल के गणित विश्वविद्यालय द्वारा सदियों पहले खोजा गया था।

पाई की मुख्य वैल्यू जो दुनिया भर में सालों से खोज का विषय रहा है, उसमें हमने सालों पहले ही पाई की 17 अंकों तक की वैल्यू को प्रतिपादित कर दिया था। कुछ लोगो और इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को हमेशा तोड़ मरोड़ कर पेश किया। जिससे हमारे देश का गौरव कम हो जाए एवं विदेशी वैज्ञानको को ही पूरा क्रेडिट मिले।

ढेर सारे विज्ञान के नियम भारत से ही चुराए गए पर क्रेडिट मिला विदेशियों को

आपने भी सुना होगा आज दिनांक कई वैज्ञानिक सूत्रों का सोर्स भारत देश ही बताया जाने लगा है, जिसमें से कुछ खोज बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे वायरलेस अर्थात रेडियो की खोज भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु द्वारा की गई परंतु बार में इस खोज होने के बाद इसका श्रेय गल्गीएल्मो मारकोनी नामक वैज्ञानिक को दिया गया।

ऐसे ही पाइथागोरस प्रमेय के नाम से विख्यात गणित के फार्मूले को श्री बौध्याआयन ने सदियों पहले ही सिद्ध कर दिया था। एवं दुनिया का सर्वप्रथम हवाई जहाज भी भारत देश मैं वैज्ञानिक शिवकर बापूजी तलपडे द्वारा 1895 पर ही बना दिया गया था। जैसे पहली बार बापू जी द्वारा मुंबई चौपाटी में उड़ाया गया था।

सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच रहा हमारे देश का सही ज्ञान जो आपको गर्व महसूस कर आएगा

आपको भी अब यह सुनकर गर्व हो रहा होगा कि, ऐसे महान आविष्कारों के पीछे वास्तव में हमारे भारत देश का ही योगदान रहा है। परंतु कुछ लोगो ने भारतीय इतिहास को कुछ इस कदर लिखा कि हम भारतीय स्वयं अपने देश के लिए हीन भावना महसूस करें। परंतु सोशल मीडिया ने वामपंथियों के सपने को तोड़ दिया।

अब हमारे इतिहासकार अपनी मेहनत से जो भी खोज लेकर आते हैं, वह सीधे सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच रही है। और लोग अपने कमैंट्स एवं फीडबैक एक दूसरे से शेयर कर पा रहे हैं।

वह दिन दूर नहीं जब दुनिया के सभी बड़े अविष्कारों में भारत के योगदान का दावा सच साबित होगा। आप अधिक जानकारी के श्री जी राघवन नायक द्वारा बनाए गए उनके वीडियो से ले सकते हैं।

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