गरीबी में किताब खरीदने के पैसे नहीं थे, अखबार से की तैयारी, ऐसे मिली सफलता की खबर

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Ennis Kanmani joy success story. IAS Annies Kanmani Joy Biography. She nurses and fulfils dream of a career in IAS. Her father taught by farming, daughter fulfills dream to become IAS.

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Delhi: जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। लेकिन सपनो को पीछे नही छोड़ते हुए एक IAS की भावुक कर देने वाली कहानी। जीवन में बिना संघर्ष के कुछ नहीं होता। एक ऐसे IAS ऑफिसर के बारे में बात कर रहे हैं जिसने गरीबी में रहकर भी अपनी मेहनत एवं जुनून से IAS ऑफिसर बनकर दिखा दिया।

यह कर्नाटक के कोडागु जिले में डिप्टी कमिश्नर पर पदस्थ हैं। हम बात कर रहे हैं एनीस कनमनी जॉय (Ennis Kanmani Joy) की, जो अपने दम पर एक अलग पहचान बना चुकी है। एनिस ने 10वीं तक की पढ़ाई अपने जिले के एक स्कूल से की थी जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना मन में संजो लिया।

इसके लिए उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद एमबीबीएस की परीक्षा को पास करने के लिए खूब मेहनत की थी लेकिन खराब रैंक आने की वजह से उन्हें एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिल पाया। जिसके बाद उन्होंने त्रिवेंद्रम सरकारी मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग में बीएससी की पढ़ाई समाप्त की।

एनिस अपने संघर्ष भरे जीवन के बारे में बताते हुए कहती है कि जब एक बार वह ट्रेन की यात्रा कर रही थी तब उन्हें पास में बैठी एक महिला यात्री ने बताया था कि यूपीएससी का एग्जाम देकर आईएएस अफसर बना जा सकता है और उस महिला ने एनिस को यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए प्रेरणा दी थी।

उनके होसलो को मजबूत बनाया। इसके बाद एनिस ने खुद को यूपीएससी के लिए तैयार करना स्टार्ट कर दिया था। एनीस ने यूपीएससी की तैयारी करने का लक्ष्य तो बना लिया था, लेकिन सबसे बड़ी विंडबना यह थी कि उनके पास किताबें, नोट्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मैग्जीन्स खरीदने तक के पैसे नहीं थे।

इसके बिना एग्जाम की तैयारी कैसे कि जाए यह सोच-सोचकर वह काफी चिंतित रहने लगी थीं। कोई रास्ता नहीं समझ आ रहा था फिर एनीस ने निश्चित किया कि वह अखबार के माध्यम से ही परीक्षा की तैयारी करेंगी। इसके बाद वह रोजाना बारीकी से अखबार पढ़ने लगीं। उनके Iस जुनून का फल भी उन्हें दूसरे ही अटेम्प में मिल गया।

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अखबार ने तैयारी में की पूरी हेल्प की। गरीबी का रोना ना रोते हुए उन्होंने अपने सपनो को सच कर दिखाया। किसी भी काम को करने का जुनून और लगन होनी चाहिए। एनीस बताती हैं कि उन्होंने अखबारों के एडिट पेज और करेंट अफेयर पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखा।

अखबार की हेल्प से उन्हें कई प्रकार की योजनाओं और सुविधाओं के साथ कई और जानकारियां भी मिलती रहीं। वह कई घंटे तक अखबार पढ़ती थी, खासकर एडिटोरियल पेज और करंट अफेयर्स। अपने पहले प्रयास में, उन्होंने 580 वीं रैंक हासिल की लेकिन अपने परिणाम से निराश होकर उन्होंने दोबारा परीक्षा दी।

एनीस को पहले प्रयास में यूपीएससी में 580 रैंक मिली थी, जबकि दूसरी बार 2011 में उनकी 65वीं रैंक आई और वह आईएएस बन गईं। एनीस बताती हैं कि जब मुझे परीक्षा पास करने की खबर मिली तो उस समय मैं ट्रेन में थी। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि मैंने एग्जाम पास कर लिया है, खुशी से मेरी आँखों मे आंसू आ गए।

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