
Chandrashekar Photo Credits: News18
Bengaluru: आज के समय में मनुष्य को गाडी, बंगला और लक्ज़री लाइफ जीना पसंद है और वह विलासिता का उपभोग करना चाहता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज का सम्मानित हिस्सा बनने का प्रयत्न करता है। इसके उलट दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें अकेलापन रास आता है।
कुछ लोग अपने स्वभाग के चलते, तो कुछ लोग किसी घरना के चलते अकेला रहना पसंद करते है। परन्तु इन सभी से अलग कर्नाटक (Karnataka) के चंद्रशेखर (Chandrashekar) के जंगल (Jungle) में लगातार 17 वर्ष से रहने की खबर ने लोगों को हैरानी में दाल दिया है।
मीडिया में आ रही खबर के मुताबिक़ कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में आने वाले गाँव अड़ताले और नक्कारे के पास ही सुल्लिअ तालुक क्षेत्र में आने वाले घने जंगलों में लगभग 4 किलोमीटर जाने के बाद प्लास्टिक शीट से बनी बाँस और लकड़ी के खूंटों से बनी एक छोटी-सी झोपड़ी है।
इस झोपड़ी के पास एक पुरानी अम्बेस्डर कार पड़ी है और कार (Car) के ऊपर एक पुराना रेडियो रखा है, जिसमें पुराने जमाने के गाने बजते रहते है। यहाँ पर एक पुरानी साइकिल भी मिल जाएगी है। बस यही चंद्रशेखर की की छोटी सी दिनया और संम्पत्ति है।
बता दें की अभी चंद्रशेखर लगभग 56 वर्ष के हैं। बताया जाता है की 39 वर्ष की उम्र में उन्होंने जंगल के जिस स्थान पर अपना डेरा डाला था, आज भी वे वहीँ पर बसे हुए हैं। इतने लम्बे समय से उन्होंने बाल नहीं कटवाए और न ही शेविंग की है। अब सवाल ये उठता है कि क्या चंद्रशेखर शुरू से ही ऐसे हैं और अगर ऐसे नहीं हैं तो उन्हें ऐसा क्यों रहना पढ़ गया है। यह कहानी साल 2003 से शुरू होती है।
न्यूज़ 18 में छपी खबर के मुताबिक़ सन 2003 में चंद्रशेखर ने को-ऑपरेटिव बैंक से 40 हजार रूपये का लोन लिया था। इस कर्ज को वो अपनी डेढ़ एकड़ जमीन की खेती से चुका नहीं पाए और बैंक ने उनकी जमीन लेकर नीलाम कर दी थी। अपनी जमीन खोने के बाद चंद्रशेखर अपनी ऐम्बेसडर कार (Ambassador Car) लेकर अपनी बहन के घर रहने चले गए थे, लेकिन वहाँ परिवार वालों से कहा सुनी होने के बाद वो अकेले हो गए और फिर जंगल में जाकर रहने लगे।
अब कार ही उनका घर है, जिसे धूप और बरसात से बचाने के लिए उन्होंने बांस के छोटे तम्बू और प्लास्टिक से ढक दिया है। वे वहीँ साइड में बहती नदी में नहाते हैं और अपना जीवन यापन चलाने के लिए जंगल के पेड़ों की सूखी पत्तियों से टोकरी बनाकर उसे बेचते हैं। इससे जो पैसे मिलते हैं, उससे वो राशन आदि खरीद कर जंगल में खाना बनाते और अपनी भूख मिटाते हैं।
This Karnataka man living in his Hindustan Ambassador for the past 17 years in Jungle pic.twitter.com/60Lst7cPrv
— sanatanpath (@sanatanpath) October 8, 2021
कार को अपना घर बनाने वाले चंद्रशेखर साइकिल का इस्तेमाल आसपास के गाँवों में जाने के लिए करते हैं। जिस जंगल में चंद्रशेखर पिछले 17 सालों से रह रहे हैं, वह जंगली जानवरों से भरा हुआ है। हाथियों ने कई बार उनके छोटे-से घर को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश की।
तेंदुआ और अन्न जानवर उनकी झोपड़ी या टेंट के आसपास फिरते रहते हैं। इसके बाद भी चंद्रशेखर अपना यह आशियाना छोड़ने के लिए राज़ी नहीं है। कारण यह है की अभी भी चंद्रशेखर को इस बात का भरोसा है कि बैंक उनकी नीलाम की गई जमीन उनको वापस देगा।
इन सबके उलट यहाँ के वन विभाग के अधिकारियों को भी चंद्रशेखर के वहाँ रहने से कोई परेशानी नहीं है। चंद्रशेखर ने भी वन विभाग के अधिकारियों को अपने विश्वास में ले लिया है। वे अपने जीवन यापन के लिए टोकरी बनाने के लिए सिर्फ उन्हीं पत्तियों और टहनियों का इस्तेमाल करते हैं, जो सूख चूकी हैं।
चंद्रशेखर की जिद है कि जब तक उनकी नीलाम हुई जमीन उन्हें वापस नहीं मिलती, वो जंगल छोड़कर वापस घर नहीं जाएँगे। ऐसे में अब वे और कितने समय तक ऐसे ही जंगल में रहेंगे, इस पर कुछ भी कहना अभी मुश्किल है। फिर भी वे अपनी इस लाइफ में खुश हैं और अपना जीवन यापन कर रहे हैं।



