
Delhi/London: आज के समय में जहां भारत की कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों अच्छी पगार दे रही है, तो कुछ राष्ट्रीय और कुछ विदेश की अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपने कर्मचारियों का शोषण कर रही है, कम पगार देकर दस से बारा 10-12 घंटे काम करवा रही है और लोगों की मजबूरी है पुरजोर फायदा उठा रही है।
समय को लेकर इसी प्रकार का एक वाक्य लंदन में भी सामने आया है, जहां एक महिला अपनी बच्ची की देखभाल करने हेतु नौकरी के दौरान अपनी कंपनी से कुछ रियायतें चाह रही थी, पर कंपनी ने अपने नियमों का हवाला देते हुए साफ इंकार कर दिया।
इस परिस्थिति में महिला को बच्ची के देखभाल करने के लिए मजबूरन नौकरी छोड़नी पड़ी, लेकिन बाद में वह महिला (Alice Thompson) मामला एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल (Employment Tribunal) में ले गई, जहां कंपनी को उसे 1 करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक का ‘मुआवजा’ देना प़डा।
कौन है महिला
दरअसल, ऐलिस थॉम्पसन (Alice Thompson) लंदन की एक कंपनी में सेल्स मैनेजर (Sales Manager) के तौर पर काम कर रही थी, वह अपने काम माहिर हैं और उसे बखूबी कर रही थीं और कंपनी की होनहार कर्मचारियों में एक थीं। लेकिन वर्ष 2018 में जब वह गर्भवती हुईं और एक बच्ची को जन्म देने के कुछ दिन बाद जब जॉब) नौकरी पर वापिस आई, तो उन्हें काफी कुछ बदला मिला।
केयर टेकर के हवाले बच्ची को दे नोकरी करती थी
ऐलिस ने जब अपनी नन्ही बच्ची की देखभाल के लिए बॉस पॉल सेलर (Paul Selar) से कुछ रियायतें (Concessions) मांगीं। वह सप्ताह में चार दिन काम करना चाहती थीं और बच्ची की देखभाल के लिए छह बजे की जगह शाम 5 बजे जॉब से छुट्टी चाहती थीं। इसका कारण यह था, क्योंकि ऐलिस अपनी मासूम बच्ची को नर्सरी (केयर टेकर के पास) छोड़कर नौकरी पर आती थीं।
ननर्सरी का समय
नर्सरी बंद होने का समय शाम के 5 बजे का था, ऐसे में 5 बजे से पहले बच्ची को नर्सरी से लेना पड़ता था। ऑफिस से छुट्टी शाम 6 बजे होती थी। इसलिए ऐलिस ने बॉस से एक घंटे पहले कंपनी से छुट्टी देने का आग्रह किया। परंतु बॉस ने एक घंटे पहले छुट्टी देने से इंकार कर दिया। पॉल सेलर ने उसके अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा की व्यवसाय उसके लिए खतरा नहीं उठा सकता। इसके बाद महिला ने नौकरी से मजबूरन इस्तीफा दे दिया।
सुनवाई के दौरान मिला न्याय
इसके बाद ऐलिस थॉम्पसन इस मामले को लंदन स्थित एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल में ले गईं जहां सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बात सुनी गई और महिला को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक रुपये देने का निर्णय सुनाया गया।
On today's podcast: Estate agent Alice Thompson has won a case against her employers after they refused to let her leave work early to pick up her child. She joins @Emmabarnett; and we talk to trainee HGV driver Hayley 🚛Listen now on @BBCSounds 👉 https://t.co/DYpjxK6QSA pic.twitter.com/M2lecyxkRj
— BBC Woman's Hour (@BBCWomansHour) September 7, 2021
सुनवाई में बताया गया कि ऐलिस ने एक छोटी फर्म के लिए काम करना प्रारंभ किया। अक्टूबर 2016 में शुरू की गई इस नौकरी से उसने हर साल 1 करोड़ 21 लाख की कमाई की। लेकिन कंपनी ने उसके साथ संबंध तब बिगड़ गए लिये जब वह 2018 में वो गर्भवती हुई।
पुरुष और महिला में भेदभाव का अंत
ट्रिब्यूनल ने पाया कि अधिक लचीले कामकाज पर विचार करने में कंपनी की विफलता ने ऐलिस थॉम्पसन को बड़ा नुकसान पहुचाया है। जज ने आय के नुकसान, पेंशन का नुकसान, भावनाओं को आहत पहुंचाने, महिला और पुरुष मे भेदभाव के लिए लगभग 1 करोड़ 87 लाख से अधिक मुआवजा देने का फैसला सुनाया।
Alice Thompson wanted to work shorter hours to pick her daughter up from nursery, but ended up resigning.
The former estate agent spent tens of thousands of pounds pursuing the case against her former employer. pic.twitter.com/8yPZjb4Y5r
— Capital Moments (@CapitalMoments) September 8, 2021
अब इस केस के बाद सभी कंपनी को कुछ अकाल आएगी की अपनी महिला वर्कर की परेशानियों को समझते हुए, उन्हें कुछ रियायत देने की जरुरत है और किसी की निजी लाइफ या महत्वपूर्ण काम ऐसे भी होते हैं, जो आपकी कंपनी के काम के कहीं ज्यादा जरुरी हो सकते हैं। ऐसे में कंपनी के मुनाफे और काम के अलावा वर्कर्स पर भी ध्यान देना उतना ही जरुरी है।



