Kochi: जब भी घर में कोई कार्यक्रम होता है, जैसे कोई पूजा हो या कोई शादी तो लोग खाना खिलाने वाले प्रोग्राम में बर्तन धोने से बचने के लिए डिस्पोजल पत्री दोने और चम्मच का उपयोग करते है, जो की काफी नुकसानदायक होता है वातावण के लिए भी साथ में जानवरों के लिए भी।
अक्सर लोग डिस्पोजल का उपयोग कर इधर उधर फेक देते है, जिससे गाय खा लेती है और वह गले में फस जाने से गाय की मौ-त भी हो जाती है। इसके अलावा पॉलीथिन कभी भी नष्ट नहीं होती, जो कई सालों तक धरती में रहती है और प्रदूषण फैलती है।
इसी बीच हम बात करेंगे ऐसे बर्तन की जो गेहूं की प्रोसेसिंग करने के बाद बचा हुआ चोकर या भूसे जिसे उपयोग रहित समझ कर लोग फेंक देते हैं या जानवरो को खिला देते हैं। परंतु क्या आप जानते है कि यह चोकर बहुत ही पोष्टिक होता है।
इस चोकर में फाइबर और पोटैशियम की मात्रा भरपूर होती है, जो वजन कम करने और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बेहद उपयोगी है। इसलिए लोगों को बोला जाता है कि चोकर को फेंके नहीं, बल्कि उसे आटे में मिलाकर इसकी रोटियां बनाए तभी उस रोटियों का मूल्य बढेगा।
यदि हम कहें इस चोकर का इस्तेमाल ‘सिंगल यूज बर्तन’ बनाने में किया जाए तो आप थोड़ा हैरान होंगे और सोचेंगे कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता, तो हम आपको बता दें कि ऐसा हो रहा है, तो चाहिये हम आपको बताते है की कहा चोकर से सिंगल यूज़ बर्तन बनाए जा रहे है।
किस देश ने की पहल
भारत देश के केरल राज्य का एर्नाकुलम क्षेत्र जहाँ के निबासी विनय कुमार बालाकृष्णन (Vinaya Kumar) ने सीएसआईआर-नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों की मदद से चोकर से बायोडिग्रेडेबल सिंगल यूज क्रॉकरी बनाने की टेक्नोलॉजी बनाई है।
विनय गेहू से निकले चोकर से कुछ अलग तरह से प्लेट्स बना रहे हैं, जिसको इस्तेमाल के बाद खाया भी जा सकता है। यदि कोई नहीं खाना चाहता तो इन्हें जानवरों को खिलाया जा सकता है और यदि आपके आसपास जानवर भी नहीं है, तो आप इन्हें कहीं भी मिट्टी में फेंक दें हैं।
कुछ ही दिनों में ये डिस्पोज़ होकर मिटटी में मिल जाएंगे। इससे न तो प्रदूषण होगा और न ही जानवर खा कर म-रेंगे। सरकार ने तो पोलिथिन पर पहले ही रोक लगा दी है अपनी इस इको-फ्रेंडली और सिंगल यूज क्रॉकरी को विनय कुमार ‘तूशान’ (Thooshan) ब्रांड नाम से बाजार में बेच रहे हैं। उनकी इस कला को लोगो की खूब सराहना मिल रही है।
कैसे हुई शुरुआत
केरल (Kerala) के विनय कुमार एक अच्छी खासी जॉब पर थे। उन्होंने कई साल बैंकिंग सेक्टर और इंश्योरेंस कंपनी में जॉब की है। वर्ष 2013 में वह मॉरीशस में थे और एक इंश्योरेंस कंपनी में सीईओ के पद काम कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने मॉरीशस की नौकरी छोड़ अपने देश भारत लौट आए।
विनय कुमार कहते है कि यदि बात बायोडिग्रेडेबल प्लेट (Biodegradable Plates) की है, तो केले के पत्ते से बेहतर कुछ नहीं है। विशेषकर सदियों के मौसम में हम केरल में खाना खाने के लिए केले के पत्तों का उपयोग करते है। क्योंकि यह हमारी संस्कृति है। इसलिए मैने सोचा कि इस कॉन्सेप्ट के अंतर्गत हम और क्या क्या कर सकते है।
विनय कहते है कि हमने हमारे ब्रांड का नाम इसी से दिया है। क्योंकि मलयालम में केले के पत्ते को ‘तूशनिला’ कहते हैं और उसी से हमने ‘तूशान’ शब्द चुना। सबसे पहले विनय ने कुछ ऐसे कंपनियां ढूंढना शुरू किया जो पहले से ही इसी उद्देश्य के लिए काम कर रही है।
Gotta try @thooshan edible/bio-degradable plates made from wheat bran! Got them delivered through @amazonIN today. #Kerala #Sustainability #SayNoToPlastic pic.twitter.com/607QoznL03
— Kurian Varughese (@kurian_v) March 14, 2022
विनय ने बताया कि उन्हें पोलैंड की एक कंपनी के बारे में जानकारी मिली जो गेहूं के चोकर का इस्तेमाल कर क्रॉकरी बना रही है। तब विनय ने उस कंपनी से भारत में अपना एक प्लांट स्थापित करने के लिए कहा। परंतु उस कंपनी ने प्लांट लगाने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद विनय ने स्वयं यह काम करने का निश्चय किया।
अपने देश में की रिसर्च की शुरुआत
विनय कहते है कि रिसर्च की शुरुआत मैने सबसे पहले अपने देश से की। फिर जानकारी मिली कि CSIR-NIIST ने नारियल के छिलके से इको फ्रेंडली बर्तन बना रहे है। तो मैंने उन्हें गेहूं के चोकर से क्रॉकरी बनाने के बारे में बताया।
करीब एक से डेढ़ साल की रिसर्च के बाद वे इस प्रयास में सफल हुए। गेहूं के चोकर से प्लेट बनाने की मशीन का निर्माण भी उन्होंने खुद की। यह मशीन ‘मेड इन इंडिया’ (Make In India) है, क्योंकि मशीन का हर एक पार्ट भारत का है और भारत की अलग-अलग कंपनियों से लिया गया है।
Our stall in Hall No.3, Gate no.5, under Kerala pavilion ,New Delhi Apr 26to 30th#thooshan #biodegradable #sustainability pic.twitter.com/11ATdNeYRb
— Thooshan Biodegradables (@thooshan) April 27, 2022
पिछले कुछ वर्षों से सरकार निरंतर ‘सिंगल यूज प्लास्टिक क्रॉकरी’ की परेशांनी का हल ढूंढ रही है। क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ा रहा हैं परंतु यह तब सम्भव होगा जब हमारे पास प्रकृति के लिए कोई अच्छा विकल्प होगा और विनय कुमार भी अपनी ब्रांड की मदद से यह विकल्प देना चाहते थे और उन्होंने कर दिखाया।
कैसे करे प्लेटो का यूज़
इन प्लेटो को उपयोग करने के बाद खाया भी जा सकता है। साथ ही पशुओं के लिए चारे की तरह भी उपयोग किया जा सकता है। जमीन के अंडर ये कुछ ही दिनों में सरलता से गल जाते है यदि इन्हें जंगलो में डाल दिया जाएगा, तो यह कुछ ही समय पश्चात खाद में तब्दील हो जाएगी जो पेड़ो के लिए फायदेमंद होगी।
Met Tooshan in Maker Village as a part of Green Innovation Fund event.Bioodegradable options to replace singleuseplastics.becomes manure aftr usehttps://t.co/Ceb5NzFh7u
Check the website out.all set to try out this funky straw frm them #gif #undp #ksum #thooshan #makervillage pic.twitter.com/OLJG3x9alk— LRT (@limirose) October 23, 2021
विनय ने अंगमाली में अपना प्लांट स्थापित किया है। और यह प्लांट ऑटोमैटिक और रोबोटिक है, जो स्वच्छता का पूरा ख्याल रखता है। यह प्लांट ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Aatmanirbhar Bharat) बनाने के लिए एक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया है। क्योंकि प्लांट की मशीनों में सभी कुल पुर्जे भारत की ही देन है।
विनय के इस काम को केरल कृषि विश्वविद्यालय से इन्क्यूबेशन मिला है। साथ ही उनके इस प्रोजेक्ट को IIT कानपुर से भी इन्क्यूबेशन दिया है। यह प्रोजेक्ट यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत ‘ग्रीन इनोवेशन फण्ड’ (Green Innovation Fund) से जीत हासिल कर चुका है।