सेना जवान की बेटी ने बिना कोचिंग पास किया UPSC, 28वीं रैंक पाकर बनीं IAS अधिकारी

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Chandrajyoti Singh IAS
Success Story Of IAS Topper Chandrajyoti Singh in Hindi. Inspirational Story Of IAS Topper Chandrajyoti Singh. UPSC Crack Story.

Delhi: अगर आप एकांत मन से होकर मेहनत करते हैं, तो आपकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो आप आसानी से कामयाबी पा सकते हैं। कभी भी सफलता अमीरी गरीबी को नही देखती। आपके मजबूत इरादे आने वाली मुश्किलों से लड़ने की ताकत देती हैं। बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि आप कड़ी मेहनत करते रहें।

साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) में 28वीं रैंक पाकर आईएएस (IAS) बनने वाली चंद्रज्योति सिंह (Chandrajyoti Singh) अभी महज 22 साल की हैं। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी सफलता पाने के पीछे वो अपने पैशन और अपनी रणनीति को खास मानती हैं। आइए जानते हैं चंद्रज्योति सिंह का सफर और क्या थी, उनकी रणनीति।

कौन है चन्द्रज्योति

चंद्रज्योति के माता पिता दोनों ही आर्मी में थे। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि मेरे माता पिता ने आर्मी (Army) में रहकर देश की सेवा की है। प्रशासनिक सेवा में आना भी देश की सेवा करने का एक बड़ा तरीका है। चंद्रज्योति मूलत मोहाली चंडीगढ़ की रहने वाले है। वो बताती हैं कि पैरेंट्स भारत के कई शहरों में रहे, इसलिए उनका बचपन अलग-अलग शहरों में पढ़ाई करने में बीता।

इस वजह से इन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में जाने का मौका मिला। यही वजह थी कि इनकी शुरुआती पढ़ाई एक जगह पर नहीं हो पाई। चंद्रज्योति भी अपने पिता से प्रेरणा (Inspiration) लेकर बचपन से ही देशसेवा करना चाहती थी। चंद्रज्योति (Chandrajyoti Singh) को बचपन से ही क्व‍िजिंग और डिबेट का बहुत शौक था। वो अपने स्कूल में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्ट‍ि‍विटी में भाग लेती थी, उसमे जीत भी हासिल करती थी।

जब से उन्होंने सपना देखना शुरू किया, तब से उन्होंने आईएएस (IAS Officer) बनने का ही सपना देखा जिसमें उनके माता-पिता ने उनका हौसला बढ़ाया। माता पिता ने उनके सपनों को उड़ने के लिए पंख दिये। उन्होंने साल 2018 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।

पढ़ने की रणनीति

चंद्रज्योति कहती हैं, उन्होंने अपनी स्ट्रेटजी और रिर्सोस दोनों ही साधारण और सीमित रखे। उन्होंने दिन को दो हिस्सों में बांट लिया था। फर्स्ट हाफ में वे जीएस की प्रेक्टिस करती थी और सेकेंड हाफ में ऑप्शनल की। चूंकि इतिहास उनका विषय था, इसलिए ऑप्शनल के तौर पर इसे चुनने से उन्हें काफी हेल्प मिली। शुरू में वे दिन में 6 से 8 घंटे पढ़ती थी और परीक्षा पास आ जाने पर ये घंटे बढ़कर 10 तक पहुंच जाते थे।

कई स्टूडेंट्स क्या करते है, पहले तो ज्यादा पड़ लेते है, फिर कुछ दिन गेप रख देते है, लेकिन ऐसा नही करना है हर दिन पढ़ाई पर ध्यान देना है। प्रेक्टिस के लिए प्रतिदिन समय देना है। चंद्रज्योति ने पहले सिलेबस पूरा किया उसके बाद टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की और खूब मॉक टेस्ट दिए। टेस्ट सीरीज देने से ये पता चल जाता है, आप किस विषय मे कमजोर है किस विषय मे आपको अधिक जोर देना है। इससे आपके कमजोर विषय का पता आसानी से लग जाता है।

वे कहती हैं दिन के पहले और दूसरे हाफ की पढ़ाई खत्म करने के बाद रात में न्यूज पेपर पढ़ती थी और ऑनलाइन करेंट अफेयर्स (Online Current Affairs) की तैयारी करती थी। वे कहती हैं शुरू में उन्हें पेपर पढ़ने में अधिक समय लगता था, फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ाई और एक से डेढ़ घंटे में पेपर पूरा पढ़ने लगी। इसी समय में करेंट अफेयर्स के लिए वे ऑनलाइन साइट्स की हेल्प लेती थी। चंद्रज्योति एक बात और कहती हैं कि अपनी किताबों पर अपने और ऑनलाइन रिर्सोसेस पर विश्वास रखें। अंत तक इन्हीं से प्रेक्टिस करते रहे। प्रेक्टिस को छोड़ना नही है।

प्रेक्टिस के लिए मॉक टेस्ट

चंद्रज्योति आगे की तैयारी के विषय में कहती हैं कि आंसर राइटिंग बहुत आवश्यक है। जैसे ही सिलेबस खत्म हो जाए लिख-लिखकर प्रेक्टिस करें। वे नोट्स बनाने की बात पर जोर देती हैं। चंद्रज्योति कहती हैं आपको ऑनलाइन नोट्स बनाने हैं या हैंड रिटेन यह आपके ऊपर है, पर इससे लिखने की भी प्रेक्टिस होती है।

नोट्स हफ्ते के हफ्ते रिवाइज करते चलें। रिवीजन पर खास फोकस करें। क्योंकि अगर पढ़ा हुआ भूल जाएंगे तो ऐसी पढ़ाई का कोई मतलब नहीं। हर कुछ दिन में पुराना रिवाइज़ करें तभी आगे बढ़ें। मॉक टेस्ट दें और उन्हें पूरा करने के बाद आंकलन जरूर करें कि कहां गलती हो रही है, अगली बार उस गलती से सीख ले। गलती को दुबारा ना दुहराये। अपने आंसर्स पर टीचर्स के जो रिमार्क हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ें और देखें कि कहां सुधार की जरूरत है।

चंद्रज्योति ने दी सलाह

चंद्रज्योति कहती हैं शुरू में तेज तैयारी करें, लेकिन जब प्री परीक्षा पास आ जाए तो केवल उसी की तैयारी करें। उन्होंने भी प्री आने के दो महीने पहले केवल प्री के लिए स्टडी करना आरंभ कर दिया था। मेन्स के पहले चंद्रज्योति ने खूब टेस्ट दिए और बीच-बीच में रेस्ट लेकर खुद को चार्ज भी करती रही। हर दिन अपने होसलो को मजबूती देते गई।

वे लगातार पढ़ाई करने के मुड़ में नहीं हैं। वे कहती हैं मैं हर 15 दिन में थोड़ा रेस्ट लेती थी और दोस्तों के साथ या मूवी देखकर या किताब पढ़कर समय गुजरती थी। इससे मेरी ताकत डबल हो जाती थी। चंद्रज्योति ने अपनी स्ट्रेटजी को शेयर करते हुए कहा, परीक्षा की तैयारी के लिए मैं हमेशा छोटे नोट बनाया करती थी, इसी के साथ एक फ्लो चार्ट बनाया था जिसे पूरी ईमानदारी से फॉलो किया था।

उन्होंने बताया मैं जानती हूं बचपन से ही मेरा सपना था कि मैं एक दिन इस परीक्षा को पास करूं। उनके हिसाब से बीच के ये ब्रेक आपको पहले से अधिक मजबूत बना देते हैं। इन्हें जरूर अपने जीवन मे उतरना चाहिए। अंत में चंद्रज्योति यही सलाह देती हैं कि प्रॉपर रणनीति बनाकर पूरे मन से तैयारी करें और धैर्य रखें क्योंकि इस परीक्षा में सफलता मिलने में कई बार समय लग जाता है।

चंद्रज्योति ने कहा, जब मैंने मॉक टेस्ट दिए उसमें कम नम्बर आए, लेकिन मैंने कभी भी उस चीज को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और खुद पर विश्वास रखा। उन्होंने बताया कि परीक्षा की तैयारी के लिए वो कभी भी किसी कोचिंग सेंटर नहीं गईं। बल्कि पूरी स्ट्रेटजी के साथ सेल्फ स्टडी की।
इस बीच अपना मनोबल कमजोर न पड़ने दें। मजबूती के साथ खड़े रहे।

कैसे की थी तैयारी

यूपीएससी की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। चंद्रज्योति नियमित रूप से 6 से 8 घंटे और परीक्षा से कुछ दिन पहले 10 घंटे की पढ़ाई किया करती थीं। वह बचपन से ही एक सिविल सर्वेंट के रूप में काम करना चाहती थीं। बचपन से उन्होंने इस परीक्षा को लेकर अपना मन बना लिया था।

सफलता का श्रेय

चंद्रज्योति ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता- पिता को दिया है। चंद्रज्योति ने उन उम्मीदवारों को सलाह भी दी है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं उन्होंने कहा, अपनी बनाई गई स्ट्रेटजी पर फोकस रखें, तैयारी मन से करें और धैर्य रखें। ये मुश्किल परीक्षा है, ऐसे में इस परीक्षा को पास करने में कई साल लग जाते हैं। इस दौरान अपना आत्मविश्वास न गिरने दें। अपने आप पर भरोसा रखें। हर कठिन परिस्थिति का डटकर मुकाबला करें सफलता आपके कदम चूमेगी। हार नही मानना कभी। मंजिल की ओर आगे बढ़ते चले जायें जब तक सफलता हासिल ना हो।

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