फीस भरने के लाले थे, घर-खेत गिरवी रखना पड़ा, दोस्तों की मदत से बने IAS अधिकारी

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Madhav Gitte IAS
Success and Struggle Story of IAS Topper Madhav Gitte. Friends helped him to crack UPSC Exam and Became IAS Officer. Madhav Gitte Inspiration.

Pune: हर कामयाब इंसान को कभी ना कभी अपने हिस्से का संघर्ष करना ही पढ़ता है, तभी वह कामयाब बन पाता है। हर सफल इंसान की कहानी मेहनत, संघर्ष और लगन से लिखी होती है। ऐसी ही एक कहानी हम आज आपको बता रहे हैं। माधव गिट्टे की जगह कोई और होता तो हो सकता था की वह हार मान जाता, क्योंकि हालात इतने एकदम उलट थे कि घर-खेत तक गिरवी रखना पड़ा। पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी और खेतों में मजदूरी करने पड़ी।

माधव गिट्टे (Madhav Gitte) महाराष्ट्र के नांदेड़ से 70 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव के रहने वाले हैं और वे बहुत ही गरीबी में पले बढ़े है। इसके बावजूद माधव यूपीएसपी परीक्षा (Madhav Gitte UPSC Exam) 2019 में 210वीं रैंक हासिल कर आईएएस अफसर (IAS Officer Madhav Gitte) बने हैं। माधव के संघर्ष और सफलता की कहानी (Struggle And Success Story) युवाओं को प्रेरित करने के लिए काफी है।

माधव गिट्टे एक किसान परिवार से आते हैं, जो गरीबी का दंश झेल रहे थे। माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं और पांच भाई बहन हैं। माधव अपने माता पिता की 4th संतान हैं। अपने परिवार में सबसे जादा वही पढ़े लिखे हैं। इनके पास चार एकड़ खेत है। परिवार उसी पर खेती कर अपना जीवन यापन करता। परन्तु दूसरे के खेतों में मजदूरी करनी पड़ी।

माधव (Madhav Gitte) एक हिंदी अख़बार को बताते हैं कि साल 2004 में उनकी माता को कैंसर हो गया था। तब मैं दसवीं कक्षा में था। रोज़ 11 किलोमीटर दूर ​स्कूल साइकिल से आया-जाया करता था। 22 किलोमीटर सफर के बाद खेतों में मजदूरी भी करने जाते थे। मां का पुणे में ऑपरेशन भी करवाया, परन्तु इसके सालभर बाद उनका देहांत हो गया। वह समय बहुत ही कठिन था।

साल भर के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी

ऐसे में मां के देहांत के बाद प​रिवार की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो गई। स्कूल फीस भरने के भी पैसे नहीं थे, तो माधव ने 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ खेतों में मजदूरी करना शुरू कर दिया। उनके पिता चाहते थे कि बेटा फिर से पढ़ाई शुरू करें। एक साल बाद माधव ने 12वीं कक्षा में एडमिशन लिया और साल 2007 में 56 फीसदी अंकों से 12th पास की। अब कॉलेज फीस भी भरने के पैसे नहीं थे।

कठिन परिस्थिति में पठाई करने वाले माधव को 12वीं में कम अंक प्राप्त होने के कारण सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिल नहीं मिला। आईटीआई (ITI) के लिए आवेदन किया, तो उसमें भी असफलता मिली। ऐसे में फिर से खेतों में मजदूरी करने लगे, परन्तु उसी साल अकाल पड़ गया, तो मजदूरी भी नहीं कर पाए। ऐसे में पुणे जाकर एक कम्पनी में हैल्पर काम करने लगे। वहां पर तबियत खराब हुई तो अपने गांव वापस आ आए।

कुछ सकझ नहीं आ रहा था, तो अगस्त 2008 में माधव के पास एक डिप्लोमा कॉलेज से सामान्य फीस में पॉलिटेक्निक करने का कॉल लैटर आया। वहां पर छात्रावास फीस 5 हजार और ए​डमिशन फीस 2 हजार रुपए थे। इतने पैसे भी नहीं थे, तो यह पैसे भी ब्याज पर किसी से लिए। पहला साल निकलने के बाद दूसरे और तीसरे साल के लिए फिर पैसे ब्याज पर लेने पड़े। साल 2011 में माधव ने 87 फीसदी अंकों के साथ कॉलेज टॉप किया तो उनमे कॉन्फिडेंस आया।

अब खेत भी गिरवी रखना पड़ गया

माधव ने अख़बार को बताया की पॉलिटेक्निक के बाद मैं जॉब करना चाहता था और ब्याज पर लिए रुपए भरना चाहता था, मगर पिता आगे और पढ़ाना चाहते थे। पिता ने पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिला दिया। 30 हजार रुपए एडमिशन और 45 हजार हॉस्टल फीस थी। इस बार हमने खेत गिरवी रखकर पैसे इकठा किये। एजुकेशन लॉन के लिए काफी कोशिश की, परन्तु नहीं मिल सका।

इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस के लिए घर भी गिरवी चला गया

माधव की इंजीनियरिंग कॉलेज की दो साल की पढाई खेत गिरवी रखकर हुई, मगर तीसरे साल फिर पैसे की दिक्कत आई तो इस बार उनके पिता ने घर गिरवी रख दिया। फिर जब उनके गांव वालों को पता चला कि माधव इंजीनियरिंग कर रहा है और वहां टोपर है। तो ऐसे में चौथे साल बिना कुछ गिरवी रखे ब्याज पर पैसे दे दिए गए।

कैंपस प्लेसमेंट में जॉब मिली थी

उन्हें इंजीनियरिंग की डिग्री मिलती उससे पहले ही कॉलेज प्लेसमेंट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी मिल गई। माधव ने पुणे में वर्ष 2014 में एक कम्पनी में काम किया। दो साल तक जॉब करने के बाद माधव ने कुछ बड़ा करने का मन बनाया। माधव अपने जैसे परिवारों के लिए कुछ करना चाह रहे थे।

पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब करने के दौरान माधव के दोस्त ने उन्हें एक यूपीएससी टॉपर का वीडियो दिखाया था, तो माधव ने IAS अफसर बनने का मन बना लिया और दो महीने तक यूपीएसपी की परीक्षा जानकारी इकठा की। फिर सुबह 5 से 6 बजे तक लाइब्रेरी जाना शुरू किया।

सुबह 10 से शाम 5 बजे तक कंपनिह में जॉब और उसके बाद रात 10 बजे तक लाइब्रेरी में पढ़ाई करने लगे। माधव का यही सिलसिला लगातार पांच माह तक चला। ऐसे में माधव को लगा कि जॉब करते हुए यूपीएससी की तैयारी करना मुश्किल है। नौकरी छोड़ना चाहा तो पिता का जवाब था कि बड़ी मुश्किल से नौकरी मिली है। कर्ज भी उतारना है। दोनों को साथ करते रहो, मगर माधव के दोस्त मदद को आगे आए।

दोस्तों ने मदत की और हौसला बढ़ाया (Friends Hepled Madhav Gitte)

माधव के दोस्त अक्षय ने रूम रेंट की जिम्मेदारी उठा ली। दूसरे दोस्त दिलीप ने खाने का खर्च दिया। तेजस रविराज ने यूपीएससी परीक्षा की टेस्ट सीरीज उपलब्ध करवाई। उनके अन्न मित्र आशीष और आजिक्य ने बहुत सहायता की। दोस्तों के साथ से माधव ने अप्नी पढाई जारी रखी।

दोस्तों से इतनी सहायता मिलने के बाद माधव ने उनसे सफल होने के लिए डेढ़ साल का समय मांगा और साल 2017 के मार्च में सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) की नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारियों में लग गए। उसी साल 18 जून को पहली यूपीएससी की परीक्षा दी। पहली बार में असफल हुए और पढाई में लग गए।

फिर 2018 में दूसरी बार एग्जाम दिया। इस बार 567रैंक हासिल हुई, मगर आईएएस कैडर नहीं मिला। माधव ने साल 2019 में तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार मेहनत ने साथ दिया और माधव ने 210वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस अफसर बनने का कारनामा कर दिखया। उनके दोस्तों को उन पर आज गर्व है।

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