एक IPS अफ़सर, जिसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए शस्त्र नहीं, बल्कि किताबें उठाईं

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IPS Suraj Kumar Rai
IAS Success story of Topper Suraj Kumar Rai. Struggle story of becoming an IPS Officer Suraj Kumar Rai. To take revenge, Suraj Kumar Rai became IPS Officer.

Allahabad: आज कल सरकारी नोकरी पाना हर कोई चाहता है, लेकिन उसकी तैयारी के बारे में सुन कान खड़े हो जाते है। इसमें कई अभ्यार्थी ऐसे होते है जो अपने लक्ष्य के प्रति डाटे रहते है, उनको सफलता हर हाल में चाहिये। सरकारी नोकरी (Government Job) का जुनून तो सभी मे है, लेकिन सफलता उन्ही को मिलती है जो कड़ी मेहनत करता है।

सफलता कभी किसी की गुलाम नही होती ना कभी अमीरी गरीबी देखती है। सफलता (Success) तो हमेशा कड़ी मेहनत, संघर्ष, जुनून की मोहताज होती है। अक्सर लोग अपने ऊपर हुए अन्याय का बदला लेने के लिए ग़लत राह का चुनाव करते हैं और इस राह पर चलते हुए वह खु़द इतने भाटक जाते हैं कि किसी को उनके साथ हुई अन्याय याद ही नहीं रहता।

वहीं कुछ लोग इस IPS अफ़सर (IPS Officer) की भाँती भी होते हैं, जो अपने आप को गलत रास्ते पर ले जाने और मन में बदला लेने की भावना नहीं जगाते, बल्कि खु़द को योग्य बनाने में लगजाते हैं। ऐसी ही कहानी है एक IPS अफ़सर की, जिसने अपने पिता के निधन का बदला लेने के लिए शस्त्र नहीं, बल्कि पुस्तकों का सहारा लिया।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी सूरज कुमार राय (Suraj Kumar Rai) बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे। परिवार भी अपने इस होनहार बच्चे का पूरी तरह से समर्थन कर रहा था। पिता ने निर्णय कर लिया था कि बेटा जो चाहे और जितना चाहे उतना पढ़ेगा। सूरज ने भी मन ही मन इंजीनियर बनने का ठान लिया थे।

12वीं की पढ़ाई विज्ञान से पूरी करने के बाद सूरज इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज मे दाखिल मिल गया। सूरज के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन तकदीर को तो कुछ और ही मंजूर था। उन्हें दाखिल लिए अभी माह भर ही हुआ था कि ख़बर मिली पिता जी नहीं रहे। सूरज के पिता की ह-त्या कर दी गई थी।

मामला पुलिस तक तो पहुंचा, लेकिन सूरज ने देखा कि मामले की जांच पड़ताल करने में पुलिस लापरवाही बरत रही है। इस सब देख कर तो सूरज ने न्याय की आस ही छोड़ दी। पिता की ह-त्या के मामले में पुलिस की ओर से कोर्ट में जितने भी सबूत जमा किए गए वे पर्याप्त नहीं थे। सूरज ने तो अपने इंटरव्यू में यहां तक बताया है कि उन्हें अपने पिता के केस में न्याय भी नहीं मिला। वो जब भी थाने जाते तो उन्हें घंटों बैठाया जाता।

अपनी पीड़ा से सीखा दूसरों का दुख महसूस करना

न्याय के लिए कोर्ट और थाने पर भटकते हुए सूरज इस सिस्टम की असलियत को बहुत अच्छे से समझ चुके थे वह सोचने लगे कि उनकी तरह बहुत से लोग होंगे जिन्हें न्याय के लिए इस तरह दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही होगी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक आईपीएस ऑफिसर बनेंगे।

सूरज ने यूपीएससी की परीक्षा पास (UPSC Exam Cracked) करने के पश्चात मीडिया को बताया कि जब वह अपने पिता के केस में थाने और कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे, तब उन्होंने सरकार की कानून व्यवस्था को बहुत धीमा और खोखला पाया। यही सब देख कर उन्होंने निर्णय किया कि अगर इस व्यवस्था में सुधार लाना है, तो उन्हें सिविल सेवा में आना ही होगा। यहीं से उन्होंने अपना नया लक्ष्य तय किया।

असफलताओं के बाद मिली सफलता

उन्हें किसी भी तरह से सफल होना था। दूसरे प्रयास में वह प्री तो क्लियर कर गए परन्तु इस बार मेंस क्लियर ना हो पाया। सूरज (Suraj Kumar Rai) को असफल होने का दुख नहीं था परंतु इस बात का संतोष था। कि उन्होंने पिछली बार से बेहतर किया है।

तीसरे प्रयास में उन्हें अपने आप बेहतर की उम्मीद थी और 2017 ही वो वर्ष था, जब सूरज की मेहनत रंग लाई और वह यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 117 रैंक के साथ पास हो गए। आज ‘IPS Suraj Kumar Rai’ अनेक लोगो के प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

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