
Jaipur: वर्तमान समय में भी काफी शिक्षित और होनहार विद्यार्थी कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हजारों वर्ष पहले से चला आ रहा रोजगार का मजबूत साधन कृषि को माना गया है। वर्तमान समय में भारत का 75 प्रतिशत युवा खेती-किसानी के बदौलत अपना जीवन चला पा रहा है। समय के साथ खेती और अन्य पारंपरिक फसलों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है।
आज से कुछ वर्षों पहले हर घर में अनाजों का भंडार लगा होता था, परंतु धीरे-धीरे जमीन ने अपनी उर्वरक शक्ति को खो दिया है फल स्वरूप अब किसान पारंपरिक खेती से अपना जीवन काफी मुश्किलों से चला पा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि कई किसान नुकसान होने पर आत्मह-त्या जैसा घातक कदम भी उठा लेते हैं। इसीलिए कृषि विज्ञान के क्षेत्र में काफी तरक्की देखने मिल रही है।
आज का युवा ठंडे इलाकों में भी उगने वाली फसलों को भारत में तकनीकों के माध्यम से उगा रहा है। ऐसी ही एक कहानी है राजस्थान के युवक की जिसने तकनीकों के माध्यम से थाई एप्पल की खेती प्रारंभ की।
शुरू की थाई एप्पल की खेती
भारत के हर राज्य में खेती किसानी एक पारंपरिक तरीके से और पारंपरिक अनाज की खेती की जाती थी। बढ़ते समय में इस खेती मैं केवल नुकसान ही रह गया है किसान भाई खेती में लगाया हुआ धन भी पूरा प्राप्त नहीं कर पाते। जिसके चलते किसानों को अन्य रोजगार की भी जरूरत पड़ने लगी।
देखा गया कि पारंपरिक खेती से किसानों को फायदा नहीं है तो कृषि विज्ञान के विशेषज्ञों ने किसानों की मदद की और उन्हें आधुनिक खेती के तौर तरीके और तकनीके सिखाएं। आज हर राज्य में लोग पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती भी कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है राजस्थान राज्य के रहने वाले किसान नरहरी मीणा जिन्होंने अपनी खेती से राजस्थान में एक नई क्रांति लेकर आए।
नरहरी मीणा राजस्थान राज्य के टोडाभीम इलाके के अंतर्गत आने वाला खेड़ी गांव के उपसरपंच (Deputy Sarpanch) भी हैं। उप सरपंच साहब ने आधुनिक खेती के तौर तरीके को सीख कर थाई एप्पल की खेती (Thai Apple Farming) शुरू की और आज भी एक सफल कृषक बन गए हैं।
कोलकाता की तरह होते हैं राजस्थान में भी थाई एप्पल
जानकारी के अनुसार भारत के कोलकाता में अमरूद की अच्छी उगाई जाती है। भारत का कोलकाता ही राजस्थान के थाई एप्पल उगाने के लिए प्रेरणा भरा शहर बना। बताया जा रहा है कि खेड़ी निवासी सरपंच नरहरी मीणा को राजस्थान (Rajasthan) में थाई एप्पल उगाने का आईडिया कोलकाता से प्राप्त हुआ।
उन्होंने वहीं से ही यह एप्पल उगाने की ट्रेनिंग भी ली। अच्छी तरह सोच समझ लेने के बाद उन्होंने थाई एप्पल की खेती प्रारंभ की और आज वे इस आधुनिक खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं और अपना जीवन अच्छी तरह यापन कर रहे हैं।
उपसरपंच मीणा का कहना है कि उनके दादा परदादा और पिताजी पारंपरिक खेती के भरोसे ही अपना परिवार पाल रहे थे परंतु जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे-वैसे पारंपरिक खेती से पैसा कमाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। इसीलिए आज के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा आधुनिक खेती करना बेहद जरूरी है।
उपसरपंच नरहरी मीणा की खेती की शुरुआत
उपसरपंच नरहरी मीणा बताते हैं कि उनके माता-पिता और माता पिता के माता पिता कई पीढ़ियों से पारंपरिक खेती ही करते चले आ रहे हैं। उनके माता-पिता खेती किसानी के नाम पर गेहूं चना की फसल लगाकर अनाज का व्यापार करते थे।
मीणा का कहना है कि पारंपरिक खेती केवल पेट भरने के लिए अच्छा स्रोत है परंतु यदि पैसा कमाना है, तो पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती (Modern Farming) को भी अपनाना होगा वरना किसानों का जीवन बहुत ही सीमित हो जाएगा और एक समय के बाद वह फांसी लगाकर आत्मह-त्या करने कोही अपनी नियति समझेगा।
नरहरी बताते हैं कि उन्होंने अपने अच्छे जीवन की शुरुआत 2 बीघा जमीन से ही कर दी थी। उन्हें आमदनी का एक अच्छा स्रोत चाहिए था, जिसके लिए उन्होंने 2 बीघा जमीन पर लगभग 7 महीने पहले कोलकाता से मंगाए हुए थाई एप्पल (Thai Apple) के पेड़ो का रोपण किया। जिसके कुछ ही समय के बाद वृक्षों ने फल देने शुरू किए और उनका व्यापार प्रारंभ हुआ।
कम लागत पर मुनाफा अधिक वाली फसल है थाई एप्पल
नरहरी मीणा का कहना है कि यदि कोई भी किसान कम समय में अच्छा खासा मुनाफा कमाना चाहता है तो थाई एप्पल उसके लिए बेस्ट ऑप्शन है। थाई एप्पल की खेती के लिए 1 बीघा जमीन मैं करीब 200000 RS कमाए जा सकते हैं। याने कम समय कम लागत और कम जमीन पर अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है।
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— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) March 11, 2022
वे बताते हैं कि 6 महीने के अंदर यह वृक्ष फलने फूलने लगते हैं और साल बीतते तक वृक्षों में करीब क्विंटल भर फल निकलते हैं। 6 महीने का समय एक छोटे से पेड़ को वृक्ष बनने में लगता है उसके बाद वृक्ष फल देना प्रारंभ कर देता है। नरहरी का कहना है कि एक तरफ दो बीघा जमीन पर वे लाखों रुपए कमाते हैं और 5 बीघा जमीन में पारंपरिक खेती कर लाखों रुपए भी नहीं कमा पाते।





