
Haldwani: देश में जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, युवाओं में बेरोजगारी (Unemployment) की दर भी बढ़ती जा रही है। दरअसल बचपन से हर बच्चा एक ही माइंडसेट के साथ तैयार किया जाता है कि पढ़ो लिखो और नौकरी करो। इस वजह से अच्छे-अच्छे टैलेंट जो अपने स्वयं के व्यापार में आसमान की बुलंदियों तक पहुंच सकते हैं, वह नौकरियों की मकड़जाल में फंसे फंसे एक साधारण जिंदगी गुजार देते हैं।
आज देश को जरूरत है नौकरी मांगने नहीं बल्कि नौकरी देने वाले अंडर प्रधान माइंडसेट के युवाओं की। हमारे देश में नौकरी (Job) का मतलब भी सरकारी नौकरी ही मानी जाती है इसलिए युवा पढ़ाई के तुरंत बाद जुट जाते हैं किसी सरकारी नौकरी की तैयारी में।
ऐसा ही एक युवा जो एक प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद कई साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी में लगा रहा, परंतु असफल होने के बाद या निर्णय लिया कि परिवार चलाने के लिए कुछ तो करना ही होगा तो क्यों ना स्वयं का व्यापार करें और शुरु कर दिया उसने इंजीनियर चायवाला का स्टॉल (Engineer Chai Wala Stall)।
उत्तराखंड अल्मोड़ा से आते हैं हमारे पंकज पांडे जी
उत्तराखंड (Uttarakhand) को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रकृति का अनुपम उपहार है। यहां लाखो टूरिस्ट आते हैं प्रकृति की सुंदरता में खो जाने के लिए। इसी खूबसूरत देव भूमि का एक जिला है अल्मोड़ा जिसके अंतर्गत रानीखेत के रहने वाले हैं हमारे पंकज पांडे।

इन्होंने अपने इंजीनियर चाय वाले का स्टोन हल्द्वानी रोडवेज स्टेशन के करीब स्थापित किया है। यहां यह सुबह 5 बजे से 9 तक लोगों को चाय ऑफर करते हैं एवं दोपहर में बंद रखते हैं। फिर शाम को 7 बजे से 10 बजे तक के लिए पुनः चाय स्टॉल शुरू कर देते हैं। शुरुआत से ही इनको प्रतिदिन 500 RS से अधिक की आमदनी होना शुरू हो गई थी। कहते हैं अच्छी शुरुआत आधी सफलता की घोतक होती है।
पंकज ने डिप्लोमा किया है मैकेनिकल इंजीनियरिंग में
जानकारी के अनुसार पंकज (Pankaj Pandey) की प्राथमिक स्कूल शिक्षा अल्मोड़ा स्थित अपने गांव से ही कंप्लीट की थी एवं आगे प्रोफेशनल एजुकेशन के तौर पर उन्होंने राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज गरुण बागेश्वर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
जैसा हर स्टूडेंट की चाह होती है कि पढ़ाई के तुरंत बाद एक बढ़िया सी नौकरी मिल जाए, तो पंकज ने भी इसी आस में आगे नौकरी की तैयारियां शुरू कर दी। हालांकि रिजल्ट हम सब जानते हैं कि उन्हें स्वयं का व्यवसाय शुरू करना पड़ा जिसमें आज वह सफल भी है।
करीब 10 साल तक की थी सरकारी नौकरियों की तैयारी ना मिलने पर लिया यह फैसला
भारत में सरकारी नौकरी क्वालीफाई करना आसान नहीं है। आज कंपटीशन का लेवल बहुत ही ऊपर उठ चुका है। कई प्रकार की कठिनाइयों में एक समस्या तो यह है कि समय पर वैकेंसीज नहीं आती। वैकेंसी आने पर भी उसमें पोस्ट की तादाद बहुत कम होती है। जिससे लाखों लोग बैठते हैं, परंतु सिलेक्शन सिर्फ कुछ सैकड़ा लोगों का ही होता है।
ऐसे ही पंकज जी ने अपने करीब 10 वर्ष सरकारी नौकरी की तैयारियों में लगा दिए, सिलेक्शन नहीं हो सका। फिर उन्हें प्रतीत हुआ कि अब नौकरी के हिसाब से एज क्राइटेरिया से बाहर होने वाले हैं। इसलिए विपरीत परिस्थितियों को समझ के हुए लोगों की परवाह ना करते हुए निर्णय ले लिया इंजीनियर चायवाला स्टॉल स्टार्ट करने का।
देश में जरूरत है उन आत्मनिर्भर युवाओं की को नौकरी देना सीखे
भारत एक विकासशील देश है। लेकिन इसे अगर सच में हमें विकसित बनाना है, तो हमें हमारे युवाओं के मन से नौकरी मांगने की सोच को खत्म कर नौकरी देने की सोच पैदा करनी होगी। ताकि अधिक से अधिक स्टार्टअप शुरू हो। इनसे एक तरफ रोजगार तो बढ़ेगा ही दूसरी ओर भारत का वह फ्रेश टैलेंट जो अभी घरों में बंद है।
उनके आइडिया से देश की तरक्की जबरदस्त तरीके से हो सकेगी। इसलिए भारत सरकार ने भी आत्मनिर्भर इंडिया और मेक इन इंडिया (Make In India) जैसे उपक्रम चलाएं, जिससे लोगों को प्रेरणा मिल रही है। आज शार्क टैंक जैसे टेलिविजन सीरियल्स भी खुद का स्टार्टअप शुरू करने हेतु युवाओं को घर बैठे मोटिवेट कर रहे हैं।