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Guwahati: वर्तमान समय में शिक्षा बेहद महंगी हो गई है। शिक्षको ने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है। लोग जानते है की शिक्षा ही वह हथियार है, जो समाज में इज्जत और एक पहचान दिलाती है। एक समय था जब शिक्षक एक गुरु हुआ करते थे, वे अपने शिष्य को उपदेश देना और उन्हें शिक्षित करना अपना कर्तव्य मानते थे।
उस समय ना कोचिंग संस्थान चला करते थे ना ही स्कूलों और इंस्टियूटों में एक मोटी रकम ट्यूशन के नाम पर लो जाती थी और आज का दौर है जब टीचर शिक्षा को अपना कर्तव्य नही बल्कि व्यवसाय समझने लगे है। स्कूल की शिक्षा अब नाम की शिक्षा रह गई है, क्युकी लोग बड़ी बड़ी कोचिंग संस्थानों में अपने बच्चों को एक मोटी रकम देकर पढ़ाते हैं और उस जगह से गारंटी पाते हैं कि उनका बच्चा 100 फ़ीसदी अच्छे अंको से पास करेगा या फिर नौकरी प्राप्त करेगा।
गरीब बच्चों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या
बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान में एडमिशन लेना अमीर बच्चों के लिए मिंटू का काम होता है, परंतु यदि हम बात करें गरीब तबके के बच्चों की जो महंगी महंगी कोचिंग है, अफोर्ड नहीं कर सकता, परंतु विद्यार्थी होनहार है और केबल मेहनत करके पढ़ाई कर सकते हैं, उनके लिए यह सिचुएशन काफी मुश्किल होती है, वे छात्र बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थानों में पैसा देकर शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते उनके लिए यह शिक्षा काफी मुश्किल हो जाती है।
स्कूलों में शिक्षा ना मिल पाने की वजह से ऐसे छात्रों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल होती है। गरीब बच्चों की समस्या का हल एक IITian टीचर ने निकाली। उन्होंने अपने मास्टर विषय याने गणित की शिक्षा देने के लिए MNC जैसी लाखों की नौकरी छोड़कर गणित की ट्यूशन (Maths Tuition) देना प्रारंभ कर दिया। जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं, श्रवण सर की जिन्होंने एमएनसी की दौड़ से निकलकर बच्चों को गणित की शिक्षा देना प्रारंभ किया आइए जाने सर के बारे में।
जाने श्रवण सर के बारे में
जानकारी के अनुसार श्रवण सर एक आईआईटियन है। उन्होंने जेईई क्वालीफाई (JEE qualified) करके गुवाहाटी आईआईटी (IIT Guwahati) कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की है। वे चाहते तो एक नामचीन कंपनी जैसे एमएनसी में नौकरी करके लाखों रुपए कमा रहे होते, परंतु उन्होंने एमएनसी की नौकरी छोड़ बच्चों को गणित पढ़ाने का फैसला किया और वह नई-नई तकनीक से यूट्यूब के माध्यम से मुफ्त में बच्चों को गणित की शिक्षा देते हैं।
श्रवण से की यह कहानी उनके स्कूली दोस्त राहुल राज के माध्यम से आम नागरिकों के बीच आई। राहुल राज ने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपने दोस्त श्रवण सर की कहानी सुनाई और वह कहानी काफी तेजी से वायरल हुई। उनका कहना है कि श्रवण सर मैथ्स के जीनियस है और उनका उद्देश्य गरीब बच्चों को मुफ्त में अच्छी शिक्षा देना है।
अच्छी मैथ्स पढ़ाना है उनका उद्देश्य
एक रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि श्रवण सर (Shrawan Sir) बहुत अच्छे गणित के शिक्षक हैं। वे चाहे तो किसी बड़े से इंस्टिट्यूट में ऐसे फैकल्टी काम करके करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। या खुद का इंस्टिट्यूट खोलकर हजारों रुपए छात्रों से लेकर करोड़ों रुपए कमा सकते हैं, परंतु श्रवण सर का जीवन का उद्देश्य केवल बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली गणित की शिक्षा देना है ना कि पैसा कमाना।
वे कहते हैं कि वर्तमान समय में ढेरों कोचिंग संस्थान है, जो ट्रिक से गणित हल कराकर बच्चों के गणित सीखने की जिज्ञासा को ही खत्म कर देते हैं। बच्चों के अंदर गणित सीखने की ललक नहीं बल्कि गणित के प्रति दर दिखाई देता है। बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थानों में गणित को फार्मूले से नहीं बल्कि ट्रिक से सॉल्व करके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
फकीरों की तरह जीते हैं अपना जीवन
आपको बता दें राहुल राज के द्वारा जब ट्विटर अकाउंट पर श्रवण सर की कहानी शेयर की गई तो देखते ही देखते यह खबर आग की तरह फैल गई। श्रवण सर की फ्रेंड फॉलोइंग काफी स्ट्रांग है। लोगों ने उनकी कहानी जानकर अपने तरफ से कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं दी।
राहुल राज ने कैप्शन में लिखा है कि श्रवण सर उनके दोस्त हैं और वह जेई क्वालिफाइड एक आईआईटियन है, जिन्होंने आईआईटी गुवाहाटी ज्वाइन भी किया, परंतु सभी स्टूडेंटस की तरह बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करने की होड़ नहीं पाली।
School friend Shrawan is a maths genius. He qualified JEE & joined IIT Guwahati. He quit the race MNC jobs and kept finding ways to study and teach maths. He lives like sages, like travelers, like nomads, like crazy pple. All to teach good maths which coaching classes have killed pic.twitter.com/kXitMlDO9v
— Rahul Raj (@bhak_sala) February 12, 2023
श्रवण सर गणित की जीनियस है, परंतु आज भी एक फकीरों की तरह और बंजारों की तरह जीवन जी रहे हैं। वह चाहे तो किसी बड़े इंस्टिट्यूट में नौकरी करके करोड़ों रुपए कमा सकते हैं, परंतु उन्हें ऐसा नहीं करना बल्कि देश की सवा सौ करोड़ आबादी में अपनी पहचान बनाना।