Tehri Garhwal: जैसा की हम जानते है खाने का राजा नमक होता है, यदि खाने में टीक से नमक नही होता तो खाना कितना भी अच्छा बना हो परंतु स्वाद फीका हो जाता है। मार्केट में नमक कई प्रकार के आते है जो खाने की थाली की शान बढ़ाते है। सफेद प्रकार का नमक ज्यादा उपयोग होने वाला नमक है। अन्य प्रकार के नमक गांव के घरों में मिलते है।
गांव की महिलाएं नमक के स्वाद को बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयोग करती है और उनके प्रयोग काफी हद तक कारगर होते है। नमक को रसोई का राजा भी कहा जाता है, इसके बिना किचन एकदम अधूरा होता है। दोस्तों गांव में तरह-तरह के नमक बनाए जाते हैं, परंतु यह नमक शहरों में मिलना काफी मुश्किल है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए पहाड़ों में रहने वाली महिलाओं ने नमक (Pahadi Salt) के स्वाद को बढ़ाकर उसे व्यवसाय में बदल दिया है। आज हम पहाड़ों में रहने वाली उन महिलाओं की बात करेंगे, जिन्होंने सिलबट्टे में पीसे हुए नमक को देश की हर थाली तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है।
उत्तराखंड का नमकवाली संस्था
दोस्त एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में एक नमक वाली (Namakwali) संस्था चल रही है। इस संस्था की खासियत है कि पहाड़ों में रहने वाली महिलाएं कुछ इस प्रकार का नमक का निर्माण करती है, जो साधारण नमक जितना नमकीन नहीं है। यह पहाड़ों की सबसे पुरानी पद्धति है जिसे आज भी पहाड़ों की महिलाएं बनाए रखने का प्रयास कर रही हैं, साथ ही अगली पीढ़ी को यह कार्यभार सौंपने की तैयारी कर रही।
पहाड़ों की संस्कृति को बनाए रखने और उन्हें एक नया आयाम देने के लिए उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल की रहने वाली एक महिला जिसका नाम शशि रतूड़ी (Shashi Raturi) है। इन्होंने वर्ष 1982 में महिलाओं के हित या ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार देकर अपने राज्य की संस्कृति को बनाए हुए हैं साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है।
उतराखंड का प्रसिद्ध नमक
उत्तराखंड की शशि रतूड़ी ने इस वर्ष नमकबली नाम से एक संस्था का शुभारंभ किया है। इस संस्था की खास बात यह है कि इस संस्था के माध्यम से उस क्षेत्र के सबसे गरीब लोगों की मदद करती हैं जहां उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है और समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाया है।
बताया जा रहा है कि एक समय शशि इस क्षेत्र में एक विद्यार्थी की हैसियत से रह रही थी। आज भी इसी इलाके के गरीब लोगों की मदद करके उस भूमि का कर्ज उतार रही है। जिस तरह भारत का नंबर वन नमक टाटा नमक है, उसी प्रकार उत्तराखंड का प्रसिद्ध और पारंपरिक नमक पिसयू नून है।
इस नमक को महिलाओं के द्वारा सिलबट्टे में पीसकर बनाया जाता है। इस नमक निर्माण करने वाली महिला का कहना है कि यदि भारत का प्रसिद्ध नमक टाटा नमक है, तो उत्तराखंड का प्रसिद्ध नमक पिसयू लून है।
ऑर्डर पर बनाया जाता है नमक
इस संस्था में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि वे अपने हाथों से तरह-तरह के स्वाद का यह नमक तैयार करती हैं। नमक के साथ मसाले भी तैयार करती। बताया जा रहा है कि वे इन मसालों को ऑर्डर में बनाती हैं।
Pahadi namak by #Namakwali
By Mahila Nav Jagran Samiti.
Order Pisyu lun,organic haldi,organic honey and other organic local produces from The mountains of Uttarakhand Himalayas!#Uttarakhand #uttarakhandVocalforlocal #madeinIndia #supportsmallbusiness
Photo courtesy: Namakwali pic.twitter.com/XAuf6KlzFM— Uttarakhand Vocal for Local (@UttarakahndVFL) July 11, 2020
उनका कहना है कि यदि पहले से ही नमक का निर्माण कर लिया जाता है, तो उसका स्वाद समय के साथ खराब होते जाता है, इसीलिए वे इस मसाले और नमक को ऑर्डर पर ही बनाती है। नमक वाली संस्थान में यह नमक कई तरह के स्वाद ओं में प्राप्त होता है जैसे अदरक, लहसुन, भांग, और काफी सारे स्वाद है जो इस नमक के माध्यम से प्राप्त होते है। इस नमक और मसाले में कुछ इस प्रकार के स्वाद होते हैं जो साधारण स्वाद से लेकर मांस की करी का स्वाद भी बढ़ा देता है।
नमक वाली संस्था ने बनाया महिलाओं को सशक्त
दोस्तों बताया जा रहा है कि नमक वाली संस्था ने महिलाओं को सशक्त बनाया है। साथ ही राज्य के लोगों को जीवित रखने के लिए जरूरी पोषक तत्व के साथ स्वादिष्ट भोजन भी प्रदान किया है। बुजुर्गों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य में कुछ मौसम ऐसे हैं।
हरेला पर्व कल मनाया जाएगा। इसे लेकर घर-घर में उत्साह का माहौल है और लोकगीत गाये जा रहे हैं। सावन आरंभ होने से कुछ दिन पहले हरेला बोया जाता है, जिसे संक्रांति के दिन काटा जाता है। आप सभी के लिए प्रकृति से जुड़ा यह लोकपर्व मंगलमय हो।
Credit- @namakwali #harela #harelauttarakhand pic.twitter.com/Da5mXe3VR0
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) July 15, 2022
जब सीजन की सब्जियां मिलना बहुत ही कठिन होता है, उस समय खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए और जरूरी पोषक तत्व को प्राप्त करने के लिए घर की महिलाएं इसी नून का इस्तेमाल करती हैं, जिससे खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है। साथ में जरूरी पोषक तत्व को भी प्राप्त होते हैं। इसी के साथ उत्तराखंड की संस्कृति और रीति रिवाज भी बरकरार है।