Barmer: जैसा कि आप जानते हैं कि राजस्थान (Rajasthan) अपनी संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ अपनी कला के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विख्यात है। राजस्थान ही एक ऐसा राज्य जहां राजा रानी के महल के साथ-साथ उस समय की परंपरा को देखा जा सकता है। राजस्थान की महिलाएं खान-पान से लेकर हाथों की कलाकारी के लिए भी जानी जाती है।
इस राज्य में कई ऐसे शहर हैं जहां राजस्थान की संस्कृति उभर कर देखी जा सकती। इस राज्य का पहनावा अपने आप में ही अद्वितीय है। पहले के समय में ज्यादातर महिलाएं घर का कामकाज करके हाथों से कढ़ाई बुनाई करके घर को सजाने और घर में उपयोग होने वाली चीजों का निर्माण करती थी, परंतु जब से महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ी है और कामकाज के चलते हाथों की कलाकारी से बेहद दूर हो गई है।
कुछ महिला आज भी है जो इस कला को अपना रोजगार बनाए हुए हैं। आज के समय में हस्तकला भी एक व्यापार बन गई है, ज्यादातर महिलाएं बाजारों से उपयोग होने वाली चीजों को खरीद कर इस्तेमाल करती हैं ऐसे में हस्तकला से परिपक्व महिलाओ के लिए यह अवसर होता है कि वह अपनी कला का प्रदर्शन बाजार में करके अपने आप को आत्मनिर्भर बना सकें।
राजस्थान है हस्तशिल्प कला का गढ़
राजस्थान राज्य में हस्तशिल्प कला (Handicraft Art) में माहिर महिलाएं अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए तरह तरह के उत्पाद बनाकर बाजार में बेच रहे हैं और खुद को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। राजस्थान के बाड़मेर (Barmer) के महावार के रहने वाले केवलाराम मेघवाल (Kewlaram Meghwal) ने उम्र एक संख्या है की बात को सत्य करते हुए ऐसा दिखाया है कि आज राजस्थान की हजारों महिलाओं को रोजगार मिला है।
सच्चे मन से की गई मेहनत एक दिन सफल जरूर होती है। इस बात को साबित कर दिखाया है केवला राम मेघवाल ने मैं 15 साल की उम्र से हस्तशिल्प कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उन्होंने इस सफलता के लिए खूब मेहनत की और आज भी इतनी सफल है कि उनके साथ कई महिलाएं काम करती है और अपने घर परिवार को भी सपोर्ट।
केवलाराम मेघवाल का संघर्ष
केवलाराम मेघवाल का कहना है कि उन्होंने अपनी 15 साल की उम्र से इस काम को करना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने कोई खास पढ़ाई लिखाई नहीं की परंतु वे हस्तशिल्प कला में माहिर थे इसीलिए उन्होंने 15 सालों तक कई कंपनियों में काम किया परंतु कंपनियां उन्हें एक निश्चित वेतन पर ही काम करवाती थी।
उनका कहना है कि वह मात्र 25000 RS में काम करते थे जो उनकी कला से बेहद कम है, इसीलिए उन्होंने खुद का व्यापार करने का विचार किया। वर्ष 2017 में उन्होंने अपने काम के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा कदम उठाया जो उनके लिए क्रांति साबित हुआ।
उन्होंने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ अपने हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन कर एक अच्छा खासा कारोबार खड़ा कर दिया है। उनके इस फैसले ने कई महिलाओं का जीवन बदल कर रख दिया आज केवल आराम के कारण 40000 महिलाओं से भी ज्यादा महिलाएं इस स्वसहायता समूह से रोजगार प्राप्त कर रही।
5 साल में बनाई 5000000 की कंपनी
केवलाराम का कहना है कि शुरुआत में उन्होंने काफी संघर्ष किया छोटे-छोटे गांव में जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी मोटिवेट किया उसके बाद उन महिलाओं के समूह से अपना कारोबार प्रारंभ किया। कंपनी को बनाए अभी 5 वर्ष हुए हैं और 5 वर्ष में ही उनकी कंपनी 5000000 रुपए के टर्नओवर के पार हो गई है। बिना किसी लागत के इस कार्य को करना महिलाओं को खूब भाता है।
इतना ही नहीं कंपनी की तरफ से स्व सहायता समूह की सभी महिलाओं को 40 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है, उसके बाद एक कार्ड दिया जाता है। इस कार्ड को मिलने के बाद ही महिलाएं स्वरोजगार प्रारंभ कर सकती हैं, क्योंकि 40 दिन की ट्रेनिंग में उन्हें काम के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।
गांव में 200 से भी अधिक महिलाओं को सिलाई मशीन दी गई
केवलाराम का कहना है कि उनका कारोबार काफी ज्यादा बढ़ रहा है, इसीलिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की जरूरत होती है। कुछ महिलाएं ऐसी भी होती है, जिनके पास सिलाई मशीन नहीं होती है, वे महिलाएं सिलाई मशीन खरीदने के लिए सक्षम नहीं होती हैं, इसीलिए केवल आराम ने स्व सहायता समूह की महिलाओं को निशुल्क सिलाई मशीन उपलब्ध कराते हैं।
राम ने बताया कि अभी तक बे बाड़मेर के 5 गांव की 200 से अधिक महिलाओं को सिलाई मशीन मुहैया करा चुके हैं। स्व सहायता समूह की एक महिला जिनका नाम सुआ देवी है, उनका कहना है कि एक समय तक ही सीमित थी परंतु जब से हस्तशिल्प कला के बारे में पता चला है तब से ना केबल आत्मनिर्भर साथ ही लोगों के बीच अपनी एक पहचान बना रही है।