गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट्स को मिला नया बाजार, महिलाएं ऑनलाइन बेच कर कमा रही

0
392
Godhan Nyay Yojana
Chhattisgarh rural women under Godhan Nyay Yojana. Chhattisgarh rural women under Godhan Nyay Yojana sell cow dung products online. Self Help Groups.

Rajnandgaon, CG: ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल में, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राजनांदगांव (Rajnandgaon) जिले में स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) द्वारा बनाए गए गोबर के उत्पादों को ऑनलाइन बेचने की मुहिम शुरू हो गई। जिसमें प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना के अंतर्गत जिले की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं।

गौठान से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए गाय का गोबर खरीदा जाता है और फिर बाजार में बेचा जाता है। साथ ही गाय के उपले और वर्मी कम्पोस्ट के अलावा महिलाएं मिट्टी के दीए, पनीर, हस्तशिल्प और अन्य उत्पाद भी बनाती हैं। राजनांदगांव गांव में गाय के गोबर से बने उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचने वाला राज्य का पहला जिला बन गया है।

अब तक जिले की महिलाओं की मदद के लिए 5 करोड़ रुपये मूल्य की गाय के गोबर से बनी खाद और अन्य उत्पाद बेचे जा चुके हैं। कुछ दिनों पहले शुरू हुई ऑनलाइन बिक्री में अब तक एक लाख रुपए के उत्पाद बेचे जा चुके हैं। इसका उद्देश्य उत्पादन में वृद्धि के लिए बाजार का विस्तार करके निर्माताओं के मुनाफे को और बढ़ाना है। पिछले कुछ दिनों में ऑनलाइन बिक्री में वृद्धि हुई है।

कहा है ये गाव

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में गाय के गोबर से उत्पाद बनाने में लगी हजारों ग्रामीण और गरीब महिलाओं के लिए प्रशासन एक बाजार मोहिया कराने जा रहा है। बढ़ती मांग के बाद प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके उत्पाद अन्य राज्यों सहित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक व्यापक बाजार तक पहुंचेंगें।

इस समूह में बनने वाले उत्पाद

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अधिकारियों कहना है कि 354 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 4,000 से अधिक महिलाओं द्वारा बनाए गए खाद, गोबर के उपले (ईंधन के रूप में प्रयुक्त), दीये और फूलदान जैसे गोबर उत्पाद अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।

मुनाफा होगा दोगुना

जय मां वैष्णवी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी एक महिला मेहतारीन यादव ने पिछले 6 महीनों में गाय के गोबर से बने उत्पादों को बेचकर 8,000 रुपये कमाने का दावा किया है। उसने कहा मुझे बताया गया है कि प्रशासन अब हमारे गोबर उत्पादों को ऑनलाइन बेच रहा है। हमें उम्मीद है कि हम अब और पैसा कमा के अपने परिवार की मदद कर सकते है।

कलेक्टर ने कहा कि इस वर्ष राज्य सरकार की एक योजना के अंतर्गत प्रशासन द्वारा खरीदे गए 66,400 क्विंटल गोबर का ईस्ट करके लगभग 365 गौठान या गौशाला इस कार्य में लगे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ ने इससे पहले ‘गोधन न्याय योजना’ (Godhan Nyay Yojana) नाम से एक योजना स्टार्ट की थी, जिसमें डेयरी किसानों से 2 रुपये प्रति किलो गाय का गोबर खरीदने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता की पेशकश की गई थी।

ऑनलाइन बिक्री से होगा मुनाफा

महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाई गई 1.5 करोड़ रुपये की 53,000 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट बेची जा चुकी है। पहले खाद केवल गौशालाओं में बेची जाती थी, लेकिन अब यह अन्य राज्यों से भी खाद की बढ़ती मांग के कारण अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन बिक रही है। अब तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से लाखों रुपये के ऑर्डर मिल चुके हैं।

जुलाई 2021 से ऑनलाइन बेचे जा रहे उत्पाद

स्वयं सहायता समूह के एक सदस्य मुस्कान वर्मा ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट के अलावा, हम गाय का गोबर बेचते (Selling Gobar) हैं। जिसमें मिट्टी के दीये शामिल हैं। हमारे ग्रुप में 30 महिलाएं हैं। इन उत्पादों को बेचकर हम में से प्रत्येक हर महीने लगभग 8,000 रुपए कमा लेते है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले ये उत्पाद गांव वालों को बेचे जाते थे। लेकिन जुलाई 2021 से, हम अपने उत्पादों को ऑनलाइन (Online) भी बेच कर मुनाफा बड़ा सकते है। अपने बनाये गए उत्पादों (Cow Dung Products) को ऑनलाइन बेचने लके लिए कोई खर्चा करने की भी जरुरत नहीं पढ़ती है।

योजना शुरू करने के लिए देना होगा प्रमाण

इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक पशुपालक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए और उसे रजिस्ट्रेशन (Godhan Nyay Yojana Registration) कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पशुओं से सम्बंधित जानकारी पासपोर्ट साइज फोटो आदि केंद्र में जमा करना होगा। योजना का किसी भी तरह से दुरूपयोग न हो इसलिए सभी के लिए अनिवार्य है ताकि योजना का लाभ ज़रूरतमन्द लोगों को ही मिले।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here