Almora: दोस्तों महिलाएं अब अपने आपको अपने घर बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है ऐसा माना जाता है कि समाज में पुरुष काम आएगा और महिला अपने घर गृहस्ती चलाइए।
आपको बता दें आप महिला हर क्षेत्र में अपने नाम के झंडे खुद की मेहनत से गाड़ रही है। नौकरी हो या स्पोर्ट्स व्यापार हो या व्यवसाय हर क्षेत्र में महिलाओं में अपनी धात बनाई हुई है। महामारी के बाद लोग नौकरी पर ज्यादा भरोसा नहीं करती, इसीलिए वे अपना छोटा मोटा स्टार्टअप करके काम शुरू कर रही है।
देश में ढेरों ऐसी महिलाएं हैं, जो स्वरोजगार स्थापित कर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बन रही है। इस लिस्ट में अब अल्मोड़ा की कमला भंडारी भी शामिल हो गई है। आइए जाने कमला भंडारी के बारे में और उनके स्टार्टअप के बारे में।
अल्मोड़ा की कमला भंडारी
हम बात करेंगे उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य के अंतर्गत आने वाले अल्मोड़ा (Almora) जिले की खत्यारी ग्राम पंचायत मनोज विहार कॉलोनी की निवासी कमला भंडारी की। आज कमला भंडारी (Kamala Bhandari) के कारनामे ने उत्तराखंड राज्य की तस्वीरें बदल कर रख दी है।
ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड पहाड़ों में बसा हुआ है और पहाड़ों में बसे होने के कारण इस राज्य में रोजगार की काफी ज्यादा कमी है, इसीलिए लोग कुछ समय के बाद इस राज्य से पलायन करने लगते हैं।
पलायन को रोकने के लिए ढेरों महिलाओं ने कोशिशें प्रारंभ कर दी हैं और उनकी कोशिश सफल भी हो रही है। इस कोशिश में अपना योगदान कमला भंडारी ने भी दिया अपना स्वयं का स्टार्टअप करके। आपको बता दें कमला भंडारी मधुमक्खी का पालन कर खुद को और अन्य लोगों को रोजगार देने के लिए सहायक बनी है।
प्रतिवर्ष 6 क्विंटल शहद का होता है उत्पादन
एक रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि कमला भंडारी 1 वर्ष में करीब 6 क्विंटल शहद का उत्पादन कर लेती है। आपको बता दें वर्तमान समय में मधुमक्खी पालन (Bee keeping) से अपना व्यापार शुरू करना काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।
देश में बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचारी के साथ मिलावट के चलते मार्केट में कोई भी चीज शुद्ध प्राप्त नहीं हो रही ऐसे में यदि मार्केट में पूर्ण रूप से इको फ्रेंडली और शुद्ध चीजें मिलती है, तो व्यापार और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
कमला भंडारी को मधुमक्खी पालन से काफी ज्यादा फायदा हो रहा है, इसीलिए उन्होंने इसे अपना रोजगार चुना और आज में एक सफल उद्यमी बन पाई है। कमला द्वारा उत्पादित शहर पूर्ण रूप से शुद्ध होने के कारण मार्केट में उसकी मांग काफी ज्यादा है। कमला का कहना है कि वह देसी मधुमक्खी से शहद का निर्माण करवाती है।
प्रशिक्षण के बाद शुरू किया मधुमक्खी पालन
मिली जानकारी के अनुसार कमला भंडारी ने सबसे पहले खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से प्रशिक्षण लिया उसके बाद उन्होंने अपने घर से ही दो बक्सों के साथ मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। उन्होंने वर्ष 2013 से मधुमक्खी पालन की शुरुआत की थी, तब से लेकर आज तक उन्हें करीब 10 वर्ष हो गए है।
शुरुआती दौर उनके लिए काफी कठिन था, परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया उनके व्यवसाय के बारे में जब लोगों ने जाना तब लोगों ने उन्हें काफी अप्रिशिएट किया और उनका व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ने लगा। अब लोग उनके घर से ही शहद ले जाते हैं और ज्यादा से ज्यादा डिमांड करते हैं। वर्तमान समय में कमला ढाई क्विंटल शहद का उत्पादन करती है और साल का 400000 RS कमा लेती है।
700 प्रति किलोग्राम है कीमत
आपको बता दें कमला भंडारी के द्वारा बनाए जा रहे शहद की कीमत 700 रुपया प्रतिकिलोग्राम है। वे अपने व्यापार से लगभग 4 लाख रुपया सालाना कमाती है। कमला भंडारी बताती है, शुरुआत में उनको मार्केटिंग करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी पहुंच को बढ़ाया ओर आज के समय में उनका पूरा शहद घर से ही बिक जाता है।
कमला के इस कार्य ने अन्य महिलाओं को भी काफी प्रेरित किया है। साथ ही कमला ने अपने जेसी महिलाओ को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किया है। कमला के द्वारा 50 महिलाओ को प्रशिक्षण और मधुमक्खी पालन करने वाले बॉक्स उपलब्ध करवाए है।