डॉक्टर्स-नर्स ड्यूटी के दौरान ना खा-पी सकते, ना ही बाथरूम, प्रिय पाठकों एक सलूट तो बनता है

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Image Credits: Twitter

Bhopal, Madhya Pradesh: देश में लॉकडाउन के बीच कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 24 घंटे में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा सामने आया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक 24 घंटे में कोरना पॉजिटिव के 1035 नए मामले सामने आए और 40 लोगों के प्राण जा चुके है। इसी के साथ देशभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 7447 हो गई है। जिसमें 6565 सक्रिय हैं, 643 स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और 239 लोगों की जान गई है। आज महाराष्ट्र में 92, गुजरात में 54, राजस्थान में 18, उत्तर प्रदेश में 6 और झारखंड में 3 नए मामले आए हैं।

एक अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ की कठिन परिस्थियों को जानना हैं। कोरोना वार्ड में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, नर्स और अन्न कर्मचारी दिन-रात 24 घंटे कठिन ड्यूटी दे रहे हैं। डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ 24 घंटे में तीन शिफ्टों में ड्यूटी देते हैं।

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एक शिफ्ट में तीन डॉक्टर और तीन नर्सें होती हैं, जिनकी लगातार आठ घंटे ड्यूटी होती है। परन्तु कोरोना वार्ड में पॉजिटिव मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों और नर्सों के लिए यह 8 घंटे की ड्यूटी बहुत ही ज़ादा मुश्किल भरी होती है। इन 8 घंटों के वक़्त मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर कुछ भी खा नहीं सकते हैं और ना ही प्यास लगने पर पानी पी सकते है।

डॉक्टर और नर्सें बाथरूम लगने पर शौचालय तक नहीं जा सकते

आज के कोरोना संकर के दौर में इसकी ड्यूटी इतनी मुश्किल भरी है कि डॉक्टर और नर्सें बाथरूम लगने पर शौचालय तक नहीं जा सकते है। उन्हें लगातार मरीजों की देखभाल करनी होती है और अगर वे कुछ समय के लिए फ्री भी हुए तो वे अपना कोरोना शूट नहीं उतार सकते है। मतलब भूख, प्यास और बाथरूम सब कुछ रोककर रखनी होती है।

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आज कोरोना के काम में इस कोरोना फइटर्स डॉक्टर और नर्सों के लिए उनकी ड्यूटी इतनी मुश्किलभरी इसलिए हो जाती है, क्योंकि कोरोना वार्ड में जाने से पहले उनको पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन एक्युपमेंट) पहननी पड़ती है।

एक बार पीपीई किट पहनने के बाद इसे ड्यूटी के दौरान उतरा नहीं जा सकता। अगर किसी कारण उतरा तो उनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा हो जाता है। इसलिए 8 घंटे तक डॉक्टर और नर्सें पीपीई किट (कोरोना शूट) पहनने के दौरान कोई काम नहीं कर सकते है।

नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन चरणों वाली रणनीति

भारतीय केंद्र सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के तमाम उपाय कर रही है। अब Coronavirus महामारी से लड़ने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन चरणों वाली रणनीति बनाई है। केंद्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए राज्यों को एक पैकेज जारी किया है।

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केंद्र सरकार द्वारा इस पैकेज को इमरजेंसी रिस्पॉन्स एंड हेल्थ सिस्टम प्रेपेअरनेस पैकेज का नाम दिया गया है। खबर है की ये पैकेज 100% केंद्र की ओर से फंडेड है और केंद्र का अनुमान ये है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लंबी चलने वाली है। केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जो चिट्ठी भेजी है उसके अनुसार ये प्रोजेक्ट तीन चरण में बंटा हुआ है।

इस प्रोजेक्ट का पहला चरण जनवरी 2020 से जून 2020 तक, दूसरा चरण जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक और आखिरी तीसरा चरण अप्रैल 2021 से मार्च 2024 तक होगा। इसके मुताबिक़ पहले चरण में COVID-19 अस्पताल विकसित करने, आइसोलेशन ब्लॉक बनाने, वेंटिलेटर की सुविधा के ICU बनाने, PPES (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स), N95 मास्क, वेंटिलेटर्स की उपलब्धता पर सरकारें अपना ध्यान केंद्रित करेंगी।

ऐसे में मध्यप्रदेश के इंदौर से खबर आई थी की एक विशेष कौम के क्षेत्र में लोगो ने मेडिकल स्टाफ और डाक्टरों पर पत्थर फेककर भगा दिया था और कुछ जगहों पर जमातियों ने डॉक्टर और नर्सों ने साथ दुर्व्यवहार किया था। ऐसे में ये मेडिकल कामगार कैसे हमारी हिफाजत करेंगे। आखिर यही अब हमारी आखिरी उम्मीद है। आज के समय में हमें इसको सलूट करने की जरुरत है। हम यह वेब आर्टिकल इन कोरोना वारियर्स के सम्मान में बना रहे है। पाठकों से पूरे समर्धन की ईम्मीद को लेकर एक जागरूख पहल।

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