यहाँ कोरोना संकट बना हिन्दू मंदिरों के धन को हड़पकर कौमी स्थलों को खुश करने का जरिया: हैरानी

0
550

Image Credits: Twitter

Chennai/Tamil Nadu: तमिलनाडु से एक हैरान और देश ही अधिकतर आबादी के लोगो को परेशान करने वाली खबर आ रही है। तमिलनाडु पुनः मीडिया एयर सोशल मीडिया की सुर्खियों में है। सोशल मीडिया में लोगो का आरोप है की तमिलनाडु की सरकार मंदिरों को अपनी निजी संपत्ति समझ रखा है। अभी सरकार ने लगभग 47 मंदिरों से मुख्यमंत्री रिलीफ फंड के लिए 10 करोड़ रुपए देने का बेतुका आदेश जारी किया है।

खबर आई है की तमिलनाडु में Hindu Religious and Charitable Endowments तमिलनाडु राज्य के 47 मंदिरों को लॉकडाउन में विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए टोटल 10 करोड़ रुपए मुहैया करने का आदेश सुनाया है। अब इस आदेश के आने बाद इसे हिन्दू भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है। ऐसा कहने का कारण यह बताया गया की एक ओर हिन्दू मंदिरों से इतना धन लूटा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर मस्जिदों को रमज़ान के दौरान हर प्रकार की सुविधा प्रदान की जा रही है। लोगो का कहना है की यह जज़िया कर है।

राज्य सरकार ने अभी ही ये आदेश जारी किया है कि लगभग 3000 मस्जिदों के लिए 5450 टन चावल की आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा 21 रुपए प्रति किलो के दर से ये चावल तमिलनाडु को कुल 11 crore रुपए के मूल्य के हिसाब से मुहैया होगा। मतलब है की मस्जिदों को खुश करने और रमजान मनवाने के लिए तमिलनाडु सरकार हिन्दू मंदिरों पर जज़िया कर लगाने पर उतारू है।

अभी देश में कोरोना लॉकडाउन के कारण धार्मिक स्थलों मंदिरों पर ताला लगा हुआ है और कपाट लगभग बंद है। ऐसी स्थिति में तमिलनाडु सरकार का यह आदेश साफ़ दिखता है की राज्य सरकार केवल अपना खज़ाना भरने और एक कौम के तुष्टिकरण करने का काम कर रही हैं। सोशल मीडिया पर एक सेर यूजर का सवाल की हिन्दू मंदिरों का खज़ाना खैरात का है क्या तमिलनाडु सरकार।

अब सेशल मीडिया पर तमिलनाडु सरकार को लोग लगे है लतियाने पर शायद उनकी बात और ट्रेंड का कुछ असर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर हो। तमिलनाडु सरकार के की इस खिचाई का प्रमुख कारण है कि जहां एक ओर वे हिन्दू धार्मिक स्थलों से करोड़ों का धन हड़पने में ज़रा भी संकोच नहीं कर रहे, तो वहीं ऐसा कोई भी फरमान इसाई और मुस्लिम संस्थानों या उनके धार्मिक स्थलों को नहीं दिया गया है, एक तो इनको हमेशा ही सरकारी अनुदान उपलब्ध होते रहते हैं।

आपको बता दे की इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने रमजान में मस्जिदों में मुफ्त चावल उपलब्ध करवाने के लिए तमिलनाडु सरकार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। इसके लिए पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के उस बयान को आधार बनाया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार किसी भी समुदाय को तीर्थयात्रा के लिए मदद देने के विचार के ‌विरोध में नहीं है।

इस पर लोगो का सवाल है की पैसा केवल हिन्दू मंदिर ही क्यों दें और सरकारी मदद और पैसा लेने का काम दूसरी संस्थाए और मिसनरिया क्यों करे। हिंदी मंदिरो का पैसा और संपत्ति का हनन है। ऐसा आदेश और कृत्य। अब सोशल मीडिया पर इस मामले टॉप ट्रेंड भी लायागया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here