IPS के बाद IAS अफसर बनने वाली गरिमा अग्रवाल की कहानी मिसाल बनी, विदेश की नौकरी भी छोड़ी थी

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Garima Agrawal IAS
Garima Agrawal story who become an IAS officer and serve the country after completing her engineering from IIT, Hyderabad.

Khargone: भारत में कैरियर का मतलब हमेशा से सरकारी नौकरी ही रही है। रोजगार की बात करते हैं, तो लोगों के जेहन में यही आता है कि, बस पढ़ाई लिखाई करके एक गवर्नमेंट जॉब मिल जाए तो जिंदगी संवर जाएगी। सरकारी नौकरी का पागलपन इस कदर छाया है, लोगों पर जिसका एक जीवंत उदाहरण है, बीते साल उत्तर प्रदेश में सरकारी चपरासी की वैकेंसी के लिए भी पोस्ट ग्रैजुएट स्टूडेंट्स ने अप्लाई किया था।

ऐसे माहौल में आईएएस (IAS Officer) बनने का सपना आप समझ सकते हैं, कितनी ऊंची सोच की बात है। हर साल लाखों लोग बड़ी-बड़ी कोचिंग में दाखिला लेते हैं, आईएएस और आईपीएस बनने के लिए और 8 से 10 साल तक लगातार तैयारी करने के बाद भी सिर्फ कुछ सैकड़ा लोग ही इसे पास कर पाते हैं।

UPSC HQ
Union Public Service Commission

आज हम आपको बताने वाले हैं गरिमा अग्रवाल (Garima Agrawal) के बारे में जिन्होंने यूपीएससी का एग्जाम एक बार नहीं बल्कि 2 बार लगातार क्वालीफाई किया है। एक मिसाल की बात है कि एक बार क्वालीफाई करने के बाद दोबारा से तैयारी करना और लक्ष्य को हासिल करना।

मध्य प्रदेश की रहने वाली है ये होनहार छात्रा गरिमा

आज हम जिस होनहार छात्रा की बात कर रहे हैं, उनका नाम गरिमा अग्रवाल है। जो मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के एक छोटे से जिले खरगोन (Khargone) की रहने वाली है। 1991 में जन्म लेने वाली गरिमा आज करीब 30 वर्ष की है। लेकिन इस उम्र में कैरियर में उनका अचीवमेंट किसी मिसाल से कम नहीं।

यह एक व्यवसायिक फैमिली बैकग्राउंड से आती है। साथ ही इनकी एक बड़ी सिस्टर भी है जिनका नाम प्रीति अग्रवाल है और वह इंडियन पोस्टल सर्विस में अधिकारी के तौर पर कार्यरत है। वैसे तो हर साल कई स्टूडेंट आईएएस बनते हैं पर, गरिमा का नाम इसलिए फेमस हो रहा है, क्योंकि उन्होंने आईपीएस जैसे बड़ी पोस्ट को क्वालीफाई करने के बाद भी आईएएस के लक्ष्य का पीछा किया। जबकि ज्यादातर केस में लोग एक बड़ी पोस्ट मिल जाने के बाद ही कैरियर को विराम दे देते हैं।

गांव में रहकर ही की शुरुआती स्कूल की पढ़ाई

कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। गरिमा बचपन से ही पढ़ाई में काफी इंटेलिजेंट रही है। इन्होंने अपनी शुरुआती स्कूल की पढ़ाई खरगोन जिले में अपने गांव के ही सरस्वती विद्या मंदिर में कंप्लीट की। गरिमा ने दसवीं क्लास की परीक्षा 92 प्रतिशत से पास की थी।

वही 12वीं क्लास की परीक्षा 89 प्रतिशत के साथ पास की। स्कूल एग्जाम में ही अच्छे रिजल्ट प्राप्त करने की वजह से उन्होंने अपना लक्ष्य रखा था कि आगे बढ़ कर एक दिन वो आईएएस बनेगी और उनके रिजल्ट के अनुसार स्कूल के शिक्षकों ने भी उन्हें यही मार्गदर्शन दिया।

आईआईटी हैदराबाद के बाद जर्मनी में इंटर्नशिप तक की कहानी

गरिमा ने 12वीं कंप्लीट करने के बाद सबसे पहले जेईई एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की इंजीनियर (Engineer) बनने के उद्देश्य से और आखिर उन्होंने सीधे आईआईटी हैदराबाद कैंपस में एडमिशन पा लिया। पढ़ाई में इंटेलिजेंट होने की वजह से इन्होंने हैदराबाद आईआईटी से बीटेक कंप्लीट किया।

कॉलेज में ही चल रहे कैंपस के जरिए जर्मनी (Germany) की एक कंपनी में बतौर इंटर्नशिप जॉइनिंग का ऑफर मिला। जिसे गरिमा ने एक्सेप्ट करते हुए ज्वाइन कर लिया। जर्मनी में जॉइनिंग के बाद उनके जेहन में बचपन से बैठा आईएएस बनने का सपना फिर जागृत हुआ और उन्हें लगा कि अपने देश सेवा के लिए आगे बढ़ना चाहिए। बस फिर क्या था जॉब छोड़ कर वापस भारत लौट आई।

पहले अटेम्प्ट में आईपीएस निकालने के बाद पीछा किया आईएएस के लक्ष्य को

जर्मनी से इंडिया वापस आने के बाद गरिमा जुट गई यूपीएससी (UPSC Exam) की तैयारी में 2 साल की मेहनत के बाद 2017 में आईपीएस के लिए चुनी गई। आईपीएस को ज्वाइन किया और हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल में आईपीएस की ट्रेनिंग करने के दौरान ही अपने आईएएस की तैयारी को जारी रखा।

2017 मैं आईपीएस के बाद 2018 में ही ऑल इंडिया 40 वी रैंक में आईपीएस होते हुए आईएएस का एग्जाम क्वालीफाई कर एक मिसाल कायम कर दी। गरिमा इन दिनों तेलंगाना में सहायक जिला मजिस्ट्रेट के तौर पे कार्यरत हैं। गरिमा को उनके इस साहसिक सफलता के लिए हम शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।

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